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झारखंड: सत्‍ता चली गई, जंग जारी है

निर्दलीय विधायक और भाजपा शासन के दौरान रघुवर दास की कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय ने अपनी पुस्‍तक...
झारखंड: सत्‍ता चली गई, जंग जारी है

निर्दलीय विधायक और भाजपा शासन के दौरान रघुवर दास की कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय ने अपनी पुस्‍तक के जरिये रघुवर दास पर हमला बोला है। झारखंड के बहुचर्चित मेनहर्ट घोटाले पर उनकी पुस्‍तक ''लम्‍हों की खता'' का सोमवार को लोकार्पण हो गया। इसके पहले ही इसकी सॉफ्ट कापी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्‍यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह को और मंगलवार को झारखंड की राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू को दे दी गई।


164 पेज की किताब सिंगापुर की कंपनी मेनहर्ट को रांची में सिवरेज ड्रेनेज के डीपीआर का काम सौंपने के प्रकरण में विधानसभा समिति, अदालत, निगरानी और विभाग की संचिकाओं की टिप्‍पणियों पर केंद्रित है। रघुवर दास जब नगर विकास मंत्री थे उसी समय पुरानी एजेंसी से करार रद कर इस एजेंसी का चयन किया गया था। सरयू राय मंत्री रहते हुए भी सरकारी योजनाओं, निर्णयों के संबंध में पत्र लिखकर अपनी ही सरकार की आलोचना को लेकर चर्चा में रहे हैं। सरयू राय का अंजाद पहले से क्रांतिकारी सा रहा है। उन्‍होंने बिहार के बहुचर्चित पशुपालन घोटाला और झारखंड में लौह अयस्‍क खदान आवंटन में घोटाले को उधेड़ा था। पशुपालन मामले में राजद अध्‍यक्ष लालू प्रसाद और पूर्व मुख्‍मंत्री डॉ जगन्‍नाथ मिश्र तथा झारखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री मधु कोड़ा को जेल जाना पड़ा।

सरयू राय कहते हैं कि वे नहीं चाहते कि चौथा पूर्व मुख्‍यमंत्री जेल जाये। लोकार्पण के मौके पर सरयू राय ने कहा कि इस मामले में कार्यपालिका, न्‍यायपालिका और विधायिका ने अपनी जिम्‍मेदारी नहीं निभाई। पूरा आरोप तत्‍कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास के ईर्दगिर्द घूमता है।

विमोचन करने वाले पूर्व मुख्‍य सचिव एके सिंह ने कहा कि मेनहर्ट की फाइल उनके पास भी आई, उन्‍होंने कुछ सवाल किये मगर उत्‍तर आने के पहले ही उन्‍हें चलता कर दिया गया। पुस्‍तक में सरयू राय ने लिखा है कि पहले जब बच्‍चा सिंह नगर विकास मंत्री थे ओआरजी और स्‍पैन ट्रायवर्स मार्गन के साथ समझौता हुआ था।

2005 के विधानसभा चुनाव में जब अर्जुन मुंडा पुन: मुख्‍यमंत्री बने रघुवर दास को नगर विकास मंत्री बनाया गया। 2 जून 2005 को रघुवर दास ने एक बैठक बुलाकर ओआरजी और स्‍पैन के काम को अधूरा बताकर परामर्शी के काम से हटा दिया। और नियम को दरकिनार कर मेनहर्ट को काम सौंप दिया गया।

मेनहर्ट को काम सौंपे जाने में गड़बड़ी को लेकर झारखंड में लगातार खबरें छपती रहीं। धारणा यह रही कि रघुवसर दास के लिए यह नुकसानदेह साबित होगा। बहरहाल इस मामले पर अमूमन कम बोलने वाले रघुवर दास ने सरयू राय की पुस्‍तक आने के बाद खुल कर प्रतिक्रिया दी।

आउटलुक से बातचीत में कहा कि सरयू किसी रूप में मीडिया में बने रहना चाहते हैं। वे ओआरजी का ठेका रद किये जाने से नाराज लगते हैं। जिस अपार्टमेंट में उनका फ्लैट है उसी में ओआरजी का दफ्तर था। मैं नगर विकास मंत्री बना तो देखा ओआरजी ने काम नहीं किया है, इसलिए उससे काम छीनने का निर्णय किया गया।

जिस मेनहर्ट पर यह किताब है वह बहुत पुराना मसला है। सचिव, मुख्‍य सचिव ने जांच की कैबिनेट में मामला गया। भारत सरकार के पास गया , वहां से भी स्‍वीकृति मिली। अदालत के आदेश के बा भुगतान किया गया। तो क्‍या सरयू राय अदालत के आदेश को भी नहीं मानते। आदेश सही नहीं था तो अपील में उन्‍हें जाना चाहिए था।  जब केंद्र में मनमोहन सिंह की और झारखंड में अर्जुन मुंडा के नेतृत्‍व में भाजपा-जेएमएम की सरकार थी इसे मंजूरी मिली। जिस समय कोर्ट के आदेश पर मेनहर्ट को भुगतान हुआ, न तो मैं मुख्‍यमंत्री था न मंत्री। फिर मैं कहां से आता हूं।

सरयू राय पर आक्रमण करते हुए कहा कि जिस शासन व पार्टी का वे हिस्‍सा रहे उसके विरुद्ध अनर्गल बोलना उनका स्‍वभाव रहा है। भगवान उन्‍हें सदबुद्धि दे। एक व्‍यक्ति पद एवं गोपीयता मंत्री बनता है और वही गोपनीय बातें मीडिया को ब्रीफ करता है। मंत्री का खुद लिखा बफशीट किसी पीआइएल की फाइल में मिले इससे शर्मनाक क्‍या हो सकता है।

बहरहाल झारखंड में भाजपा की सत्‍ता जा चुकी है, रघुवर दास मुख्‍यमंत्री न सरयू राय मंत्री। सत्‍ता जाने के बावजूद जंग जारी है। सरयू राय कहते हैं आज नहीं तो कल न्‍याय होगा, दोषी दंडित होंगे। हो सकता है तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।

 

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