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मैगज़ीन डिटेल

महात्मा और राष्ट

अपने आखिरी दिनों में राष्ट्रवाद में वह नया आयाम जोड़ा, जिसकी आज दुनिया को सबसे ज्यादा जरूरत

गांधी को आत्मसात करें

हम सभी के लिए यह समय आत्मालोचना का है कि जिस गांधी के मूल्यों और दर्शन को दुनिया स्वीकार कर रही है, वे हमारे जीवन से गायब क्यों होते जा रहे हैं?

गांधी के साथ चलने के खतरे

कैसे जिएं और किन बातों के लिए मरें, यह समझना हो और कुछ पाना हो तो गांधी के साथ चलें

गांधी कथा में असहमति

असहमति का आदर गांधी के लिए अपने विचारों पर दृढ़ता जैसा ही अहम था

गांधी आर्थिकी से ही बदलेगी दुनिया

गांधीवादी विचार लोकतंत्र, पर्यावरण सुरक्षा और समता की स्था पना के लिए मौजूदा बाजारवादी स्वार्थप्रेरित अर्थव्यवस्थार का मुकम्मल विकल्प

बा और बापू

बापू के बारे में बहुत गलत बातें फैलाई जा रही हैं, जिनके प्रति जागरूकता जरूरी

गांधी प्रासंगिक कैसे नहीं

अब समय आ गया है कि हम खुद से पूछें, “क्या हम गांधी के लायक हैं?” जवाब है नहीं

आंबेडकर-गांधी विवाद

आज ज्यादा जरूरत दोनों के सामंजस्य के बिंदुओं को तलाश आगे बढ़ने की है

'स्वच्छ भारत' आडंबर से ज्यादा कुछ नहीं

गांधी को सिर्फ स्वच्छता और शौचालय निर्माण तक सीमित करना उसी नजरिए का विस्तार है, जो जाति विशेष को निचले पायदान पर रखना चाहता है, इसके लिए सामाजिक अन्याय मिटाना जरूरी

बापू , आज डर लगता है!

जिसे तुमने पाप, अन्याय, उत्पीड़न बताया, आज उसका चारों ओर बोलबाला है

गांधी का जीवन-दर्शन

सभी तरह की हिंसा को झेल रहे भारत के लिए गांधी का रास्ता आज और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है

फिल्म और गांधी

महात्मा का महिमामंडन और खंडन करने वाली फिल्में 1920 के दशक से ही बनने लगीं और बनती रहेंगी

गांधी हमेशा एक संभावना है

जब कभी अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा मंडराता है, लेखकों-बुद्धिजीवियों को गांधी याद आने लगते हैं

मराठा वोटरों पर जोर-आजमाइश

शरद पवार को घेरकर भाजपा-शिवसेना की सत्ता में दोबारा वापसी की रणनीति मगर राकांपा-कांग्रेस उसे ही हथियार बनाने की कोशिश में

जदयू से अलगाव की राह पर भाजपा

संजय जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक साथ कई हित साधने की कोशिश

दिल्ली यूनिवर्सिटीः परमानेंट नहीं, गेस्ट टीचर लाओ

यूनिवर्सिटी की रैंकिंग घटी लेकिन प्राथमिकता यह है कि जहां परमानेंट पोस्ट खाली हैं, वहां गेस्ट फैकल्टी से काम चलाया जाए

“खट्टर को हराना मुश्किल नहीं”

कांग्रेस की कमान दोबारा संभालने के तुरंत बाद सोनिया गांधी ने लंबे अरसे से असंतुष्ट चल रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा चुनाव समिति का प्रमुख बनाने के साथ विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस बदलाव से दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हुड्डा के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। लेकिन उन्हें विश्वास है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराना बहुत मुश्किल नहीं होगा। हुड्डा ने कांग्रेस की चुनौतियों, राज्य के राजनीतिक परिदृश्य और सरकार की नीतियों और रणनीति पर संपादक हरवीर सिंह से बातचीत की। प्रमुख अंश:

गांधी की मृत्यु भी एक संदेश

नेमेथ लास्लो के गांधी की मृत्यु नाटक में भारत का विभाजन सांप्रदायिक उन्माद से अधिक स्वतंत्रता संग्राम के हिंदू-मुस्लिम नेताओं के अंतर्विरोधों और लार्ड माउंटबेटन की कूटनीति का परिणाम दिखता है

महात्मा गांधी यानी डिस्काउंट ऑफर

गांधी के जिक्र के बगैर इंडिया में परम धनप्रदायक रोजगार यानी नेतागीरी का रोजगार नहीं चल सकता है

किसान को पाबंदी का तोहफा

कृषि उपज की बेहतर दाम की संभावना बनते ही प्रतिबंध आ जाता है, क्योंकि सरकार को फिक्र उपभोक्ताओं के आंसू पोंछने की होती है

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