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मैगज़ीन डिटेल

हमारे मन में बसा हमारा पड़ोसी

हमारे यहां शास्‍त्रों में कहा गया है कि जब कोई लगातार चिंतन करता है तो वह उसी तरह का हो जाता है। ईश्वर का चिंतन करने वाले और नाम जपने वाले अपना स्वरूप खोकर ईश्वर में लीन हो जाते हैं

कांटों का ताज

जो नई सरकार केंद्र में सत्ता संभालेगी उसे एक लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था मिलेगी। उसके पास 'न्याय' और दूसरी लोकलुभावन योजनाओं के लिए पैसा नहीं होगा

क्षत्रपों की दिल्ली दावेदारी!

लोकसभा चुनाव आखिरी मुकाम पर पहुंचे तो कयास भी शुरू, दावेदारों और संभावित परिदृश्य पर एक नजर

छोटों के बड़े भाव

त्रिशंकु लोकसभा के आसार के बीच खास जातियों में असर रखने वाली चंद सांसदों की पार्टियों की बढ़ेगी पूछ

खिलाड़ी छोटे, मगर असर नहीं खोटा

तमिलनाडु में द्रमुक और अन्ना द्रमुक के मोर्चों के बीच दो ध्रुवीय मुकाबले से हटकर तीन नेता एएमएमके के टीटीवी दिनकरन, एमएनएम के कमल हासन और नाम तामीजर काची के सीमन मैदान में हैं

“हमने मोदी के लिए सारे दरवाजे बंद कर दिए”

बेहद लंबे और थकाऊ लोकसभा चुनाव आखिरी चरण में पहुंच चुके हैं और कांग्रेस अध्यक्ष 48 वर्षीय राहुल गांधी पर सबकी नजरें टिकी हैं। आखिर वे 2014 में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन से उबरकर इस बार पार्टी को मोर्चे पर सबसे आगे ले आए हैं। इस दौरान उन्हें गठजोडों के बनने-बिगड़ने, तीखी व्यक्तिगत टीका-टिप्पणियों, बड़बोली बयानबाजियों से दो-चार होना पड़ा। उन्होंेने पंजाब में प्रचार अभियान पर जाते हुए आउटलुक अंग्रेजी के संपादक रुबेन बनर्जी और पॉलिटिकल एडिटर भावना विज-अरोड़ा से अर्थव्यवस्थां से लेकर राजनीति तक तमाम मुद्दों पर बातचीत की। प्रमुख अंशः

जनादेश/2019 जम्मू-कश्मीरः लीजिए चुनाव का नया मॉडल

महज पांच फीसदी मतदान और 95 फीसदी बॉयकाट के नए चुनाव मॉडल का देश को तोहफा

जनादेश/ 2019 पंजाबः दोनों तरफ दांव भारी

पंजाब का चुनावी माहौल 2014 से बिलकुल विपरीत, सत्तारूढ़ कांग्रेस के सामने बिखरा विपक्ष कमजोर

जनादेश/2019 मध्य प्रदेशः मालवा का मन डोला

पश्चिमी मध्य प्रदेश में आरएसएस की जड़ें काफी मजबूत मानी जाती हैं लेकिन इस बार जीत पहले जैसी आसान नहीं

क्रिकेट और राजनीति के पेचोखम

क्रिकेट खिलाड़ियों का ग्लैमर और लोकप्रियता राजनीति के अखाड़े में कितना काम करती है? कुछ कामयाब तो कुछ के हाथ लगती है नाकामी

विकास की रफ्तार झूठी, आंकड़ों की साख लुटी

पहले असंगठित क्षेत्र का आंकड़ा संदिग्ध था लेकिन अब संगठित क्षेत्र के आंकड़ों पर भी संदेह, नीतियां विकास और रोजगार की संख्या पर आधारित होती हैं, इसलिए अब वे भी सवालों के घेरे में

चक्का बैठा, डब्बा गोल

चार पहिया और दुपहिया वाहनों की बिक्री में गिरावट अर्थव्यवस्थाख की बदहाली की भयावह कहानी

इतिहास की प्रतिध्वनियां

चुनाव में युद्ध को लेकर हिटलर और मुसोलिनी के संवाद की प्रतिध्वनि हमारे देश में क्यों सुनाई दे रही हैं?

शेषन की तरह फैसला तो लेना होगा

सत्तारूढ़ और प्रमुख नेताओं के आचार संहिता उल्लंघन पर दो-एक से फैसले, नमो टीवी विवाद ऐसे अनेक मामलों में चुनाव आयोग की साख पर गंभीर सवाल शायद ही कभी उठे हों। इन तमाम मामलों के साथ इलेक्टोरल बांड, फेक न्यूज, पेड न्यूज और सोशल मीडिया की नई चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने संपादक हरवीर सिंह और एसोसिएट एडिटर प्रशांत श्रीवास्तव से बातचीत में विस्तार से अपनी राय रखी। कुछ अंशः

“अबकी बार वोटर ठगे जाने को तैयार नहीं”

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ पर कांग्रेस को आम चुनावों में भी विधानसभा चुनावों जैसी कामयाबी दिलाने की भारी चुनौती है, लेकिन भोपाल स्थित वल्लभ भवन के अपने दफ्तर में वे शांत और सुकून में दिखते हैं। उनकी मानें तो कहीं मोदी लहर नहीं है, सिर्फ झूठ की आंधी उठाने की कोशिश है लेकिन मध्य प्रदेश के मतदाता अबकी बार ठगे जाने को तैयार नहीं हैं। उन्हें पक्का यकीन है कि राज्य की कुल 29 संसदीय सीटों में 22 सीटें कांग्रेस जीतेगी। वे चुनाव बाद की योजनाओं में मशगूल हैं और किसानों और रोजगार के मुद्दों पर ध्यान लगा रहे हैं। उन्होंने संपादक हरवीर सिंह और विशेष संवाददाता रवि भोई से चुनावी मुद्दों के साथ बिजली की स्थिति, किसानों की समस्या, रोजगार, राज्य में निवेश के साथ आगामी योजनाओं और सरकार के भविष्य के बारे में भी विस्तार से बातचीत की। मुख्य अंशः

अनुभव के उजाड़ में जीवन की बारिश

प्रत्यक्षा का नया उपन्यास बारिशगर उनके इस वैशिष्ट्य का अन्यतम उदाहरण है

चौधरी चरण सिंह की प्रासंगिकता

चरण सिंह ने लेखों और पुस्तकों के जरिए 1950 के दशक से ही विकास की अवधारणा का प्रतिपादन किया

चरण सिंह ने दिखाई राह

आधुनिक भारत के चंद नेताओं में शुमार हैं, जिनके आर्थिक मॉडल में संभव है मौजूदा कृषि संकट का हल

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