मराठा ही नहीं, पाटीदार और जाट आंदोलनों में नई हलचल से आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाया, 2019 के आम चुनावों पर इसके गहरे साए की संभावना से सियासी सक्रियता भी बढ़ी
केरल की आपदा प्राकृतिक से अधिक हमारी लालच और विकास के मॉडल की प्रतीक है। मगर इस विपत्ति की घड़ी में भी कुछ अप्रिय सवाल ऐसे खड़े हुए जिनसे हमारी संघीय ढांचे की भावना और निष्पक्षता कठघरे में खड़ी होती है। इनका फौरन जवाब तलाशना जरूरी
जाट आरक्षण के नए आंदोलन से बदलने लगे राजनैतिक समीकरण, मसला कोर्ट में अटकने की सरकारी दलील नहीं आ रही काम
आरक्षण की जंग से सियासी समीकरण तय करने की तैयारी
गुर्जर कर रहे हैं पिछड़ा वर्ग आरक्षण में श्रेणी विभाजन की मांग, लेकिन पिछड़े वर्ग में शामिल प्रभावशाली जातियां कर रही हैं विरोध
खेती की बदतर स्थिति और रोजगार की कमी ने मराठा समुदाय के दर्द को दोगुना किया
आंध्र प्रदेश में सत्ता की चाबी माना जाने वाला कापू समुदाय वोट बैंक ही बना रहा, तीखे तेवर से बढ़ी सरगर्मी
पाटीदार समाज की नाराजगी से 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 99 सीट मिली, अब लोकसभा चुनाव में नुकसान का डर
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से छेड़छाड़ ले आई 100 साल की सबसे बड़ी त्रासदी
बीमारी से उबरने के बाद अजीत जोगी की राजनीतिक सक्रियता बढ़ने से भाजपा और कांग्रेस में बनने लगे हैं नए समीकरण
कभी सामाजिक और राजनैतिक सरोकारों के प्रति जागरूक करने का जरिया रहे नुक्कड़ नाटक सरकारी संदेशों और मार्केटिंग का साधन बने
हमें ऐसे नेता चाहिए जो गेम्स खा जाएं, दूर दराज की तोप खा जाएं, पुल खा जाएं, पर शहर फिट रखें
बाल संरक्षण गृहों में शोषण पर सरकार और समूचा तंत्र सुस्त, मुजफ्फरपुर और देवरिया तो बस नमूने भर
स्वाधार और अल्पावास योजना जांच से पता चला था 38 संस्थाओं का अस्तित्व ही नहीं है
182 शेल्टर होम में से 92 शेल्टर होम ऐसे एनजीओ चला रहे हैं जिनका जेजे एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं
इनकम टैक्स रिटर्न समय से फाइल नहीं करने पर 5000-10,000 रुपये तक पेनॉल्टी देनी पड़ेगी
हमारी उत्पादन लागत चीन के बराबर पहुंच गई है, जिसका सबसे ज्यादा फायदा सेकेंड्री स्टील इंडस्ट्री को मिलेगा
आदिल हुसैन का अभिनय भाषाओं के बंधनों को तोड़ता और सरहदों के पार गूंजता नजर आता है
यह किताब गहन जानकारियों के हलके में सिनेमा, साहित्य, बाजारू-मनोवृत्तियों और सिनेमैटिक-तात्विक ज्ञान की भी पड़ताल नए निष्कर्ष सामने लाती है
लिविंग डोनर लाखों में, लेकिन गिनती के कडैवर डोनर और संसाधनों की कमी से प्रत्यारोपण अब भी जटिल
आज देशभक्ति का प्रमाण मांगा जा रहा है, यह समाज को बांटने और संविधान पर चोट की कोशिश है
वाजपेयी मतभेद को मनभेद में नहीं बदलने देने वाले राजनेता थे, काश आज की भाजपा उनसे सबक ले पाती
सरकार, पार्टी, सहयोगी और यहां तक कि विपक्ष को भी साथ लेकर चलने में यकीन रखते थे वाजपेयी
‘जय किसान-जय विज्ञान’ का नारा देने वाले वाजपेयी का किसानों को तकनीक उपलब्ध कराने पर जोर रहा
यकीनन अटल जी राजनीति में इतना मशरूफ नहीं होते तो अच्छे साहित्यकार होते
ओजस्वी वक्ता से सर्वमान्य राजनेता तक का सफर पूरा कर अनंत यात्रा पर निकले वाजपेयी
एक खांटी कम्युनिस्ट का सर्वसम्मति से लोकसभा स्पीकर चुना जाना हालिया इतिहास की बेमिसाल घटना
‘भारत-चिंता’ उनके मन में (लिखने में भी) बनी रही, नोबेल पुरस्कार लेते हुए भी भारतवंशी होना नहीं भूले