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मैगज़ीन डिटेल

ठिठुरते गणतंत्र में क्या लौटेगी गर्मजोशी

आशा, निराशा की अनेक संभावना-आशंका लपेटे इस साल की राजनीति तय करेगी 2019 के चुनाव के नतीजे और हमारे गणतंत्र का भविष्य

भावनाओं पर भारी हकीकत

हमारे राजनैतिक दल अक्सर जनता से मिलने वाले सबक को भूल जाते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि जब लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हों तो उनकी भावनाओं का राजनैतिक दोहन आसान नहीं होता है

क्षितिज पर उभरते बदलाव के अक्स

इस साल चुनावी गहमागहमी के बीच अर्थव्यवस्था और समाज के मुद्दे तय करेंगे अगली राजनीति की दिशा

विदेश मोर्चे पर मजबूती की दरकार

भारत का दुनिया में असर तो बढ़ा मगर नए साल में उसे पड़ोसियों सहित विश्व मंच पर नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा

सीमित होते विकल्प तेज ग्रोथ की बड़ी चुनौती

लगातार चुनावों के मद्देनजर एनडीए सरकार को अपने आखिरी पूर्ण बजट में लोकलुभावन उपायों पर जोर देना होगा मगर मौजूदा वित्तीय हालत उसे बड़े सरकारी खर्च की मोहलत शायद ही दे

संकट गहराने की ही आशंका

हड़बड़ी में उठाए गए नोटबंदी-जीएसटी जैसे कदम और बैंकों पर निगरानी में कमजोरी से उपजी निराशा

बदलती हकीकतों के सिनेमाई अक्स

नए साल का बॉलीवुड बहुत बदला हुआ नजर आएगा। सामाजिक सरोकार और विषय चयन इसकी गवाही देंगे

घर में शेर पर क्या बाहर भी दिखेगी धमक

भारतीय क्रिकेट टीम पिछले कुछ समय से अपराजेय है, क्या नया साल भी ऐसा ही होगा

साहित्य में युवा विस्फोट

हिंदी में कभी इतनी तादाद में युवा लेखक नहीं थे, अन्य भारतीय भाषाओं में भी शायद ही ऐसा हो, इस साल रचनाओं पर रहेगी नजर

पानी का गिरता स्तर और अंडरग्राउंड राजनीति

बोरवेल से पानी तो राजनीति से निकलता है कीचड़

कुंद विचारों के दोराहे पर

एक ओर बीमार कट्टरता है तो दूसरी ओर खोखली धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र के लिए यह शुभ नहीं

धर्म, राजनीति और हिंसा-अहिंसा

दुनिया के अन्य हिस्सों से प्राचीन भारत में सामाजिक और राजनैतिक हिंसा कम नहीं थी मगर इतिहास की चुनिंदा व्याख्या नहीं होनी चाहिए, उसे लोकतंत्र, आजादी, बराबरी के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए

आहत भावनाओं से उपजा था सिख कट्टरपंथ

सिख परंपरा में हिंसा अपरिहार्य तो नहीं मगर हक के लिए शहादत तक लड़ने पर जोर रहा है

मुसलमान होने के मायने

हिंदुस्तान में मुसलमान कोई एक नहीं, बल्कि विविध क्षेत्रीय और जातीय पहचानों वाले हैं मगर नफरत की फिजा से आहत हैं

सद्भाव का सारथी है धर्म

लेकिन धर्म महज मान्यताओं में बदल गया है, इसलिए आज टकराव और हिंसा का कारण बना हुआ है

स्टॉक मार्केट का जादूगर

भविष्य को पढ़ना आसान नहीं लेकिन मशहूर निवेशक राकेश झुनझुनवाला इस कला में माहिर हैं। भारत के भविष्य को भांप चुके इस शख्स के जीवन-लम्हों और निवेश के दांवपेंच पर मालिनी भूप्ता की नजर

जीते पर खुशी विपक्ष में ‌खिली

गुजरात नतीजों से कमजोर पड़ी मोदी की सर्वशक्तिमान और अकेले दम पर चुनाव जितानेवाले नेता की धमक

किस्सा-ए-राग परधानी

एक-दूसरे के काम में टांग अड़ाना है मदारीपुर के लोगों की आदत

मतलब की तलब से भरे व्यंग्य

विषय चयन और बयानिया दोनों में लिया गया है जहीन और महीन युक्तियों का सहारा

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