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मैगज़ीन डिटेल

बिहार विधानसभा चुनाव’25/ आवरण कथा: मुद्दा तो बिलाशक रोजगार

बिहार में पहले चरण के मतदान तक यह साफ हो चला है कि रोजगार, नौकरी, पलायन, महंगाई, पढ़ाई और इलाज की बेहतर व्यवस्था ही वोटरों के दिमाग में, बाकी सारे मुद्दे और पुराने सियासी समीकरण हुए पीछे

घुसपैठ: ‘बिदेसिया’ से ‘घुसपैठिया’ तक

क्या है इस मुद्दे के मायने और क्या है सरकारी दावों की सच्चाई? क्या यह विमर्श भी है महज राजनैतिक जुमला

झारखंड 25 सालः तरक्की के चौक-चौराहे

झारखंड नवंबर में अपनी स्थापना के रजत जयंती वर्ष में उस मुकाम पर खड़ा, जहां उसने अपनी नई पहचान बनाई, और भविष्य के एजेंडे तय किए

झारखंड 25 सालः सफर पच्चीसी के मुख्यमंत्री और उनकी पहल

झारखंड राज्य बनने से लेकर आज तक के मुख्यमंत्रियों का लेखा जोखा

बिहार विधानसभा चुनाव ’25 : जेन जी युवा सियासी रुझान

क्या युवा मतदाता बिहार के राजनैतिक व्याकरण को नए सिरे से लिखेंगे या विधानसभा चुनाव में पुरानी परिपाटी ही चलेगी? इसी सवाल से तय होगा इस बार बदलाव कैसा होना है

बिहार विधानसभा चुनाव’25/ आवरण कथा: वादों और ऐलानों की फेहरिस्त

हर परिवार में एक सरकारी नौकरी: सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर कानून और 20 महीनों के भीतर नौकरी

बिहार विधानसभा चुनाव’25/ईबीसी: इनसे तय होंगे नतीजे

बिहार में सभी पार्टियां अति पिछड़ा वर्ग को लुभाने की कोशिश में, यही 36 प्रतिशत आबादी दोनों ही प्रमुख दावेदारों के लिए अहम है

बिहार विधानसभा चुनाव’25/इंटरव्यू/पवन कुमार वर्मा: ‘बिहार बदलाव चाहेगा, हमें सीटें मिलेंगी’

मुझे यकीन है कि वे तेजस्वी को हरा नहीं पाते, तो कड़ी टक्कर जरूर देते

बिहार विधानसभा चुनाव’25/इंटरव्यू/जागृति ठाकुर: ‘‘जाति नहीं, मुद्दों का चुनाव’’

मूल्य-आधारित और मुद्दा-आधारित राजनीति को स्थापित करना मेरी जिम्मेदारी है

क्रिकेटः दुनिया जीतकर ठोका खम

इस जीत में 20 साल का सफर, हजारों सपनों की तपिश और करोड़ों दिलों की धड़कनें शामिल

सप्तरंग

ग्लैमर जगत की खबरें

फिल्म: स्मृति के खोए हुए फ्रेम

बॉलीवुड की पटकथा में आजकल नए ‘खलनायक’ के तौर पर उभर रहा डिमेंशिया बीमारी आंसू बहाता है और फिल्में हिट भी करता है, मगर सच्चाई से है कोसों दूर

कारोबार: टाटा घराने में घमासान

मेहली मिस्त्री की विदाई से नया मोर्चा खुला और नोएल टाटा का कब्जा मजबूत हुआ

पुस्तक समीक्षाः मातृत्व प्रेम और लेखक के सरोकार

इन लेखों के विषय अलग हैं, लेकिन इनमें जो स्पष्टता है, प्रगतिशील और मानवीय दृष्टि है, वह हर लेख को जोड़ती चलती है

पुस्तक समीक्षाः सामंतवादी व्यवस्था पर चोट

उपन्यास में सामंतवाद और खानाबदोश जीवन का अंतरद्वंद्व सलीके से सामने आता है

प्रथम दृष्टि: महिला क्रिकेट का '83

क्रिकेट में हमारी ‘छोरियों’ ने उतनी ही बड़ी लकीर खींच दी है, जैसी हमारे ‘छोरों’ ने 1983 में खींची थी। आज जरूरत है कि खेलों में महिलाओं और पुरुषों में हर मायने में समानता हो, चाहे प्राइज मनी का सवाल हो या कॉर्पोरेट स्पांसरशिप का

पत्र संपादक के नाम

पाठको की चिट्ठियां

शहरनामाः भिलाई

औद्योगिक नगरी

स्मृतिः पापा फिर मिलते हैं...

डॉ. रामदरश मिश्र का जाना केवल पारिवारिक शोक नहीं, बल्कि संपूर्ण भारतीय साहित्य जगत के लिए एक शताब्दी का अवसान है

स्मृति: चला गया हीरो मुरारी

जयपुर में जन्मे गोवर्धन असरानी का परिवार बंटवारे के बाद सिंध से जयपुर आ बसा

स्मृतिः हमारा बुलंद पीयूष

पीयूष पांडे भारत में विज्ञापन क्रांति ले आए और पूरे देश की भाषा, उसकी स्मृति और और सामान खरीदने का पूरा नजरिया ही बदल दिया

स्मृतिः हंसी का सौदागर

सिनेमा में भी सतीश शाह की उपस्थिति हमेशा याद रहेगी