जातिवार जनगणना के तर्क-वितर्क और सामाजिक न्याय की जरूरतें, यह बहुसंख्यकवादी राजनीति की काट का नैरेटिव पैदा करने में कितनी कारगर
बुकर चयन समिति ने मौजूदा समय की ऐसी बड़ी लेखिका को पहचाना है, जो हमारे समय के जलते सवालों से मुठभेड़ करने में भी हिचकती नहीं
रैप गायक, कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या से सीमावर्ती राज्य की खौफनाक सच्चाई के साये में पंजाबियत हो रही स्याह
यासीन मलिक को आजीवन कैद की सजा से क्या कश्मीर समस्या के समाधान में मदद मिलेगी, स्थानीय नेताओं के अनुसार सरकार बाहुबली रवैया छोड़े तभी बात बनेगी
प्रदेश के एक-तिहाई कमजोर बच्चों को चुनावों के पहले सबल बनाने का अभियान मुख्यमंत्री ने छेड़ा, विपक्ष बता रहा इसे नौटंकी
नीतीश की ‘बीच की राजनीति’ में कई संकेत छिपे हैं, जिसका भाजपा को भी भान है लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों तक अपने एजेंडे के साथ बने रहना उसकी मजबूरी, जदयू नेता को भी इसका एहसास शिद्दत से है, इस नए सियासी जोड़तोड़ का क्या हो सकता है नतीजा, इस पर एक नजर
भाजपा के जोड़-तोड़ ऑपरेशन के जवाब में जदयू नेता ने राजद के रिजर्व पावर से गोटियां बिछाईं
राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी का मानना है कि पिछड़ों और अति पिछड़ों को उपेक्षित कर न राजनीति की जा सकती है न देश का विकास
भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल का मानना है कि जाति जनगणना का मॉड्यूल वैज्ञानिक और व्यावहारिक होना चाहिए, वोट की राजनीति से प्रेरित नहीं।
खीरू महतो को राज्यसभा का टिकट देकर नीतीश ने एक तीर से किए कई शिकार
कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले ऐसे खिलाड़ी जिन्होंने आइपीएल में जगह बनाई
कान फिल्मोत्सव में मिले महत्व से जाहिर है अगला दशक भारतीय सिनेमा को बदलने वाला होगा
हाल ही रिलीज हुई फिल्म जंगल क्राइ करीब डेढ़ दशक पहले लंदन के अंतरराष्ट्रीय रग्बी टूर्नामेंट में ओडिशा के आदिवासी बच्चों की चमत्कारी जीत की कहानी है, उस बेमिसाल टीम के सूत्रधार की जुबानी
एक तरफ जनधन, स्वच्छ भारत, उज्ज्वला जैसी योजनाएं हैं तो दूसरी तरफ नोटबंदी, रिकॉर्ड बेरोजगारी और कोरोना के शुरुआती दौर में सरकार की असंवेदनशीलता भी
शाहरुख खान के बेटे के बेदाग साबित होने से एनसीबी के साथ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाइयों पर उठे नए सवाल
कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हार्दिक से बातचीत
बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह से अश्वनी शर्मा की बातचीत
पुस्तक जटिल विषयों एवं बहसों को आसान बना कर समझाती हुई चलती है। कहीं भी ‘पोलेमिकल’ नहीं होती
जैसे सिगरेट के पैकेट पर वैधानिक चेतावनी होती है, वैसे ही क्या सेंसर बोर्ड को सिनेमा के हर प्रचार माध्यम में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दर्शक भ्रामक पब्लिसिटी के कारण परदे पर दिखाए गए दृश्यों को सत्य न समझ बैठें
रेडियो पर फरमाइशी गीत सुननेवाले अनूठे दीवानों का शहर
सत्ता के तिलिस्म की गिरफ्त में बेचारा कलेक्टर ऊपर वालों की जी हुजूरी और नीचे वालों पर रौब न गांठे तो क्या करे
अत्यंत लोकप्रिय, प्रतिभाशाली गायक केके उर्फ कृष्णकुमार कुन्नथ ने विशिष्ट शैली में रोमांटिक, उदास, पार्टी सांग्स, यारी-दोस्ती सभी मूड के ब्लॉकबस्टर गाने गाए