कोहली के कप्तानी छोड़ने से भारतीय टीम पर शायद ही कोई फर्क पड़े
ट्वेंटी-20 की कप्तानी छोड़ने की कोहली की घोषणा ने सबको चौंकाया, क्या तेंडुलकर की तरह वे भी सिर्फ खिलाड़ी के तौर पर खेलना जारी रखेंगे
मैदान पर उग्र दिखने वाले कोहली सफल भारतीयों की नई पीढ़ी के हैं, जिसे मालूम है कि वह बेहतर है
बकौल नवजुद्दीन सिद्दीकी, उनमें कभी स्टार बनने की ख्वाहिश नहीं रही, मगर एक्टर बनना तो उनका अपना खास शगल है
कन्हैया और जिग्नेश मेवाणी को लाकर मजबूती की कोशिश अमरिंदर और सिद्धू प्रकरण से हुई धूमिल
बेटी की अस्थियां गंगा में विसर्जित करने के लिए अपने घर में कैद दलित परिवार को एक साल बाद भी न्याय का इंतजार
सोहर, कजरी, फाग से लेकर झूमर और विवाह गीत तक गांधी के रंग में रंगे
कटिहार के शुभम कुमार ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2020 में कुल 761 सफल उम्मीदवारों में पहला स्थान प्राप्त किया है।
सच्चिदा जी के समग्र लेखन में एक अंतर्दृष्टि मिलती है। इस दृष्टि का निर्माण समानता, लोकतंत्र, विकेन्द्रीकरण, व्यक्ति-स्वातंत्र्य, अहिंसा, श्रमशीलता, अपरिग्रह, सह-अस्तित्व जैसे मूलभूत मूल्यों से हुआ है
क्या इसे विराट युग के अंत की शुरुआत के रूप देखा जा सकता है? ऐसा कहना निस्संदेह जल्दबाजी होगी। कप्तानी की जिम्मेदारी से मुक्त होकर अच्छा प्रदर्शन करने वालों की मिसालें भी तो हैं ही
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के एक साल पूरे हो चुके हैं और यह नीति उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलावों को गति दे रही है
कमला भसीन बहुत जिंदादिल थीं इसलिए बहुत मजबूत थीं