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मैगज़ीन डिटेल

आवरण कथा/पोर्न धंधा : गरम मसाला

इंटरनेट, स्मार्टफोन, वेब सीरीज, ऐप, ओटीटी प्लेटफॉर्म के दौर में अश्लील वीडियो, फिल्मों, नग्न तस्वीरों का बाजार बेहिसाब बढ़ा, लॉकडाउन में सस्ते मनोरंजन, मजबूरी के दोहन और कमाई का जरिया बना

कर्नाटक : नाटक पूरा बदलाव अधूरा

मुखिया शांति से बदला लेकिन नए मुख्यमंत्री के लिए असंतोष चुनौती

ओशो आश्रम : रजनीश नाम विवाद

आचार्य रजनीश के बनाए पुणे के प्रसिद्ध आश्रम के कुछ हिस्से बेचने पर उठा नया बवाल

आवरण कथा/देसी पॉर्न स्टार: असली या नकली!

यौन कंटेंट वाले वीडियो और वेब शो में दिखने वाली हजारों अनजाने लड़कियां, ये असली या नकली

आवरण कथा/इंटरव्यू/गहना वशिष्ठ :

6 फरवरी को गहना वशिष्ठ को गिरफ्तार किया गया था। पांच महीने जेल में बिताने के बाद फिलहाल वे जमानत पर हैं। कुंद्रा की न्यायिक हिरासत के बाद अब उन पर डरा-धमकाकर वीडियो शूट करवाने के भी आरोप लग रहे हैं।

आवरण कथा/महिला पोर्न : स्‍त्री यौन इच्छाएं भी कम नहीं

महिलाओं में पोर्न देखने का चलन बढ़ा तो उनके कामोन्माद को दिखाने वाले कंटेंट भी तैयार होने लगे और स्‍त्रीवादी पोर्न भी फैशन बना

आवरण कथा/नजरिया : अपराध पर अंकुश जरूरी

पोर्न देखना या न देखना नैतिक बहस, लेकिन इसकी आड़ में अपराध को छुपाया नहीं जाना चाहिए

आवरण कथा/पोर्न धंधा : तीन देवियां? न, न, अनेक

बंगाल में कामोत्तेजक सामग्री तैयार करने वाले अभिनेता- अभिनेत्रियों, ऐप और प्रोडक्शन हाउस की भरमार

हॉकी : वे वाकई डीप डिफेंडर

पटनायक ने इस खेल के प्रति अपने लगाव को कभी सार्वजनिक रूप से जाहिर नहीं किया, लेकिन कभी गर्त में पहुंच गई भारतीय हॉकी आज दुनिया के सामने बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है तो उसका बड़ा श्रेय ओडिशा और उसके मुख्यमंत्री को जाता है।

सप्‍तरंग

ग्लैमर जगत की हलचल

कांग्रेस : वर्षा सत्र की हरियाली या?

कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी ने विपक्ष को एकजुट करने में सक्रियता बढ़ाई मगर अभी कई सवालों के जवाब बाकी

विपक्ष : अब तो सारे देश में खेला

ममता ने नए नारे के साथ विपक्षी एकजुटता की पहल तेज की, भले ‘नेता कौन’ का मसला आगे के लिए टला मगर अभी कई पेच सुलझना बाकी

उत्तर-पूर्व : अब तो हल निकले

गठन के समय से ही सातों राज्यों के बीच सीमा विवाद जारी, लेकिन अभी तक इसे सुलझाने के गंभीर प्रयास नहीं

अंतरिक्ष उड़ान : ऊंचे आकाश में तफरीह

दुनिया के दो अरबपतियों ने अंतरिक्ष पर्यटन की नई राह खोली, मगर सवाल यही कि यह कितना परवान चढ़ेगी

स्मृति : जल रही शिलूका कोई

सातवें दशक में जो लोग धर्मयुग के पाठक रहे उन्हें पद्मा सचदेव का लिखा याद होगा।

पुस्तक समीक्षा : समय का लेखा-जोखा

इस डायरी को पढ़ना महानगर में सुकून के कुछ पल जी लेने जैसा है।

विमर्श : इतिहास पर छापा

हिंदुत्ववादी शक्तियां इतिहास को विचारधारा के अनुसार बदलने के लिए राजसत्ता का इस्तेमाल करती हैं

प्रथम दृष्टि : खस्ताहाल स्कूल

आज सरकारी स्कूलों में सिर्फ उनके बच्चे पढ़ते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति निजी विद्यालयों की फीस भरने लायक नहीं। ऐसे में सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत भला कैसे सुधरेगी? पटना हाइकोर्ट का सवाल नीति-नियंताओं के सामने खड़ी चुनौती है

संपादक के नाम पत्र

पिछले अंक पर आईं प्रतिक्रियाएं

अंदरखाने

सियासी दुनिया की हलचल

खबर-चक्र

चर्चा में रहे जो

शहरनामा : जगदलपुर

खूबियों से भरा ये शहर है मेरा

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