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खूबसूरत शांत त्रिउंड

पहाड़ों पर ज्यादातर गुमनाम जगहें ऐसी हैं जहां परिवार के साथ जाना संभव नहीं। पथरीले पहाड़ शायद बच्चों को पसंद भी न आएं। लेकिन हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला से लगभग 30-35 किलोमीटर पर एक खूबसूरत, शांत, धुंध के धुंए में लिपटा एक ट्रेकिंग रूट ऐसा है जो न केवल बच्चों को पसंद आएगा बल्कि आप यहां बच्चों को साथ ले जाकर पहाड़ों से उनकी दोस्ती का आगाज करवा सकते हैं।
खूबसूरत शांत त्रिउंड

अनोखे ट्रेक त्रिउंड जाने के लिए पहले धर्मशाला जाना होगा। वहां पहुंचकर सीधा त्रिउंड नहीं जा सकते। क्योंकि शरीर को वहां के मौसम के अनुकूल बनाने और त्रिउंड सलामत पहुंचने के लिए एक दिन का आराम जरूरी है। धर्मशाला से दस किलोमीटर दूर धर्मकोट के लिए टैक्सी लेनी होगी। धर्मशाला से मैकलॉड्गंज होते हुए आप धर्मकोट पहुंच जाएंगे। चाहें तो रास्ते में सेंट जॉन चर्च और बौद्धमठ देखने के लिए कुछ देर मैक्लॉड्गंज रूक सकते हैं। वहां से लगभग पांच किमी दूर धर्मकोट आप शाम तक पहुंच जाएंगे। यहां रुकने के लिए वाजिब दाम पर होम स्टे और बहुत सारे होटल हैं। ब्रिटिश रियासत के पंसदीदा कस्बे धर्मकोट को आप मिनी इस्राइल कह सकते हैं। शांत, घने जंगल से घिरा, अलग-थलग दुनिया से कटे से इस छोटे से कस्बे में विदेशी कई-कई महीने टिके रहते हैं। साइन बोर्ड रूसी और हिब्रू भाषा में लिखे मिलेंगे। यहां की रात बेहद दिलकश होती है। टिमटिमाती रोशनी में तैर रहे संगीत के बीच आप शकशुका (इस्राइली व्यंजन) समेत कई विदेशी व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। अगले दिन सुबह लगभग 9 बजे धर्मकोट से दस-पंद्रह किमी दूर त्रिउंड के लिए ट्रेकिंग शुरू कर सकते हैं।

पहली दफा जा रहे हैं तो संकरी कच्ची पगडंडी पर चलते हुए हांफना कोई बड़ी बात नहीं। बच्चों को घोड़ा करवा सकते हैं। हालांकि त्रिउंड में एक-दो दुकाने हैं जहां खाने के लिए मैगी और दाल-चावल मिल जाता है लेकिन फिर भी भरोसा करके न जाएं। परिवार के साथ जा रहे हैं तो खाने का सामान, स्लीपिंग बैग, टेंट, ईंधन साथ लेकर जाएं। रास्ते में खाने के नाम पर सिर्फ मैगी मिलेगी। शाम छह बजे तक आप त्रिउंड पहुंच जाएंगे।

ब्रिटिश काल की यह ऐतिहासिक जगह त्रिउंड चोटी पर घास का एक खुला मैदान है। यह चारों ओर बर्फ से ढके धौलाधार के पहाड़ों से घिरा है। कहीं भी जगह मिलन पर टेंट गाड़ सकते हैं। दुकान पर खाना मिल जाए तो गनीमत, नहीं तो पत्थरों का चूल्हा बनाएं, लकडिय़ां ढूंढें और कुछ पकाएं। रात में यहां की दुनिया हमारी दुनिया से अलग लगती है। अगले दिन सूरज की पहली किरण में चारों ओर धौलाधार के उजले पहाड़ और त्रिउंड की गहरे हरे रंग की घास आपको जन्नत सा अहसास देगी।

कैसे जाएं

धर्मशाला जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा 12 किलोमीटर दूर गग्गल है। रेल मार्ग द्वारा जाना हो तो पठानकोट तक ब्रॉडगेज ट्रेन से जाकर वहां से बस या टैक्सी ली जा सकती है। पठानकोट से धर्मशाला 91 किलोमीटर है। पठानकोट से नैरोगेज रेल से कांगड़ा तक जाया जा सकता है। वहां से धर्मशाला 18 किलोमीटर दूर है। बस से जाने के लिए दिल्ली, चंडीगढ और पठानकोट से ढेरों बस सेवाएं उपलब्ध है। धर्मशाला से धर्मकोट के लिए टैक्सी ले सकते हैं।

कब जाएं

त्रिउंड जाने के लिए मार्च से जून और सितंबर से नवंबर का समय उपयुक्त है।

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