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इंतजार खत्म: अब इस महीने से बच्चों को भी लगेगा कोरोना का टीका, दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन लेंगे बच्चे

देश में अब 18 साल के कम उम्र के बच्चों के लिए भी वैक्सीन आ गई है, जिसके बाद बच्चों की वैक्सीन का इंतजार कर...
इंतजार खत्म: अब इस महीने से बच्चों को भी लगेगा कोरोना का टीका, दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन लेंगे बच्चे

देश में अब 18 साल के कम उम्र के बच्चों के लिए भी वैक्सीन आ गई है, जिसके बाद बच्चों की वैक्सीन का इंतजार कर रहे लोगों के लिए ये बड़ी खुशखबरी है। एक तरफ जहां कोरोना को खत्म करने के लिए देश में युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है। वहीं लोगों को बच्चों की वैक्सीन का भी लंबे समय से इंतजार था। अब दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन जायकोव-डी को भारत में मंजूरी मिल गई है। अब 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए जायडस कैडिला की तीन डोज वाली वैक्सीन जायकोव-डी को अपाताकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। यह वैक्सीन 12 साल ज्यादा और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए बनाई गई है।

वहीं, अब बच्चों की वैक्सीनेशन को लेकर सरकारी राष्ट्रीय सलाहकार समूह ने बड़ी जानकारी साझा की है। एनटीएजीआई प्रमुख एनके अरोड़ा के बताया कि अक्टूबर से बच्चों को टीका लगेगा। इसमें भी गंभीर बीमारी वाले बच्चों की लिस्ट तैयार होगी। टीका सबसे पहले इन्हीं बच्चों को लगेगा। एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, वैसे राज्य सरकारों को सुझाव है कि बौद्धिक विकास के लिए प्राथमिक स्कूल जल्दी खोलें। 12 से 17 के बीच के गंभीर बीमारी वाले बच्चों की एक सूची तैयार की जाएगी, ताकि टीके की प्राथमिकता तय की जाए। जायकोव-डी वैक्सीन के रोल आउट से पहले ये लिस्ट सार्वजनिक की जाएंगी। इस लिस्ट के आधार पर अक्टूबर से 12 से 17 के बीच के गंभीर बीमारी वाले बच्चे को टीका मिलना शुरू हो जाएगा।

12 से 17 साल के 12 करोड़ बच्चे हैं। स्वस्थ बच्चों में गंभीर बीमारी या मृत्यु की संभावना न के बराबर है। 18- 45 साल के बीच के लोगों में गंभीर बीमारी होने की संभावना 10 से 15 गुना ज़्यादा होती है। चिंता गंभीर बीमारी वाले बच्चों को लेकर है इसलिए उनको टीकाकरण में प्राथमिकता है।

 

बता दें कि 18 साल से कम के देश में करीब 44 करोड़ बच्चे हैं। डेढ़ साल के अनुभव के आधार पर जानकारी है कि बच्चों में इन्फेक्शन होता है पर गंभीर बीमारी या मृत्यु की संभावना न के बराबर होती है। संक्रमण के प्रसार में बच्चों की भूमिका होती है पर बीमारी का ज्यादा असर नहीं होता है। बच्चों के स्कूल खोले जा सकते हैं, टीकाकरण की इस वक्त जरूरत नहीं, लेकिन स्कूल के कर्मचारियों का टीकाकरण जरूरी है। राज्य सरकारों को सुझाव रहेगा कि बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए जल्दी प्राथमिक स्कूल खोल सकते हैं।

 

गौरतलब है कि इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद देश में अब कोरोना के खिलाफ 6 वैक्सीन से लोगों को सुरक्षा दी जा सकेगी। कंपनी ने कहा कि उसकी सालाना जायकोव-डी की 100 मिलियन से 120 मिलियन खुराक बनाने की योजना है। कंपनी ने वैक्सीन का स्टॉक करना भी शुरू कर दिया है। कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड के रूप में सूचीबद्ध जेनेरिक दवा निर्माता ने 1 जुलाई को जायकोव-डी के प्राधिकरण के लिए आवेदन किया था। वैक्सीन का ट्रायल 28 हजार से अधिक स्वयंसेवकों पर किया गया है। परीक्षण में इसकी प्रभावकारिता 66.6 प्रतिशत आकी गई है। जायकोव-डी कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का पहला प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है। यह वायरस से आनुवंशिक सामग्री के एक हिस्से का उपयोग करता है।

 

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