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कोरोना वायरस का डर, इम्युनिटी बना कमाई का नया फंडा

हल्दी वाला दूध, जड़ी बूटी से बना ब्रेड, रेस्टोरेंट मेन्यू में स्पेशल डिश, तो बीमारी से लड़ने वाले...
कोरोना वायरस का डर, इम्युनिटी बना कमाई का नया फंडा

हल्दी वाला दूध, जड़ी बूटी से बना ब्रेड, रेस्टोरेंट मेन्यू में स्पेशल डिश, तो बीमारी से लड़ने वाले एनर्जी ड्रिंक, ये कोविड-19 दौर की नई मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है। कंपनियों ने महामारी के संकट में बिक्री बढ़ाने का “इम्युनिटी” मंत्र अपना लिया है। यह मंत्र उन्हें आपके दिलो-दिमाग पर कोविड-19 के छाए डर से मिला है। यह डर इतना हावी है कि अकेले गूगल पर इम्युनिटी शब्द की सर्चिंग 500 फीसदी बढ़ गई है। ई-कॉमर्स कंपनियों से हर तीसरा ग्राहक इम्युनिटी बढ़ाने वाले उत्पाद खरीद रहा है। इसी तरह 32 शहरों में 94 फीसदी ग्राहक इम्युनिटी उत्पाद खरीदने के लिए तैयार हैं। हो भी क्यों न जब कोविड-19 से लड़ने के लिए इम्युनिटी को ही बड़ा हथियार माना जा रहा है।

लोगों में बसे डर को गाजियाबाद के निरंजन प्रजापति की बातों से समझा जा सकता है। वह कहते हैं, “कोरोना से लड़ने के लिए हमारे पास अभी तक क्या है, न तो कोई दवा , न टीका और न ही उचित इलाज, ऐसे में आम आदमी क्या करे। अभी तक हमें विशेषज्ञों की बातें सुनकर यही समझ में आया है, कि आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी बढ़ाइए। ऐसे में, इसके लिए जो भी संभव हो रहा है, मैं कर रहा हूं। हाल ही में मैंने इम्युनिटी बढ़ाने के लिए एक पाउडर और चाय की पत्ती खरीदी है।”

निरंजन के डर को मनोचिकित्सक डॉ. अवदेश शर्मा भी जायज ठहराते हैं, उनका कहना है “इन परिस्थितियों में एक इंसान को जो भी विकल्प दिखता है, वह उसके पीछे दौड़ता है।” जहां तक इम्युनिटी बूस्टर की बात है, तो इस समय पूरी दुनिया में यही मंत्र है कि मजबूत इम्युनिटी ही कोरोना से बचा सकती है।

इम्युनिटी के बढ़ते बाजार की तसवीर गूगल की रिपोर्ट भी साफ करती है। जनवरी से मार्च 2020 के बीच इम्युनिटी को लेकर 500 फीसदी सर्चिंग बढ़ गई है। लोग इम्युनिटी के लिए गिलोय, काढ़ा आदि की सबसे ज्यादा सर्चिंग कर रहे हैं। अकेले गिलोय की सर्चिंग 380 फीसदी बढ़ी है। इसी तरह काढ़ा की सर्चिंग 90 फीसदी तक बढ़ी है। वहीं, विटामिन-सी की सर्चिंग 150 फीसदी तक बढ़ गई है। जाहिर है लोगों की बढ़ती रुचि को भुनाने के लिए कंपनियों ने भी अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बदल दी है।

मसलन, देश के दो प्रमुख दूध ब्रांड मदर डेयरी और अमूल ने इम्युनिटी प्रोडक्ट बाजार में उतार दिए हैं। मदर डेयरी ने जहां हल्दी वाला दूध बाजार में उतारा है, वहीं अमूल ने भी हल्दी, अदरक और तुलसी वाला दूध बाजार में उतार दिया है। इसी तरह प्रमुख बेकर्स बॉन ने जड़ी-बूंटी वाला ब्रेड बाजार में पेश किया है। जाहिर है, कंपनियों को लग रहा है, कि इस समय ग्राहकों को इन उत्पादों के जरिए न केवल आकर्षित किया जा सकता है, बल्कि ब्रांडिंग भी की जा सकेगी।

बढ़ते इम्युनिटी बाजार पर डॉबर इंडिया लिमिटेड के सीईओ मोहित मल्होत्रा का कहना है, “कोविड-19 महामारी के दौर में ग्राहकों के नजरिए में काफी बदलाव आया है। लोग आयुर्वेद आधारित इम्युनिटी बढ़ाने वाले उत्पादों की ज्यादा मांग कर रहे हैं। इस अवधि में हमारे प्रमुख ब्रांड च्यवनप्राश की डिमांड में 400 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह शहद की मांग 80 फीसदी बढ़ गई है। हालत यह हो गई कि कुछ समय के लिए इन उत्पादों की मांग इतनी ज्यादा बढ़ गई कि उनकी आपूर्ति करने में दिक्कत आने लगी।” इम्युनिटी बढ़ाने वाले उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी ने तुलसी ड्रॉप, आंवला जूस, गिलोय-नीम-तुलसी जूस और एक इम्युनिटी किट भी लांच कर दी है।

लोगों के बीच इम्युनिटी में बढ़ती रुचि पर एएफएक्यूएस द्वारा जारी तबोला पब्लिशिंग नेटवर्क की रिपोर्ट भी कई अहम बातें बयां करती है। रिपोर्ट के अनुसार, प्लेटफॉर्म पर इम्युनिटी बढ़ाने, हल्दी के इस्तेमाल से व्यंजन बढ़ाने पर लेख सबसे ज्यादा पढ़े गए। इस दौरान 39 फीसदी ट्रैफिक बढ़ा है। नेटवर्क के प्लेटफॉर्म से 56 लाख पेज व्यू इम्युनिटी पर आए हैं। 

कंपनियों ने बढ़ती डिमांड को देखते हुए अपने विज्ञापन के तरीकों को भी बदला है। मसलन, आइटीसी ने अपने डेयरी ब्रांड आशीर्वाद स्वस्ती को प्रमोट करने के लिए इम्युनिटी गाना लांच कर दिया है। इसी तरह पैकेज्ड पानी की आपूर्ति करने वाली कंपनी बिसलेरी ने पानी में खनिज को अतिरिक्त रूप से शामिल कर पानी की ब्रांडिंग शुरू कर दी है। वहीं देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड ने अपने हिट ब्रांड हॉरलिक्स में इम्युमिटी बूस्ट करने वाले खनिज विटामिन सी, डी और जिंक प्लस को शामिल कर  उसकी मार्केटिंग शुरू की है। इसी तरह ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी कंपनियां प्रमोशन से पीछे नहीं हट रही हैं।

बढ़ते बाजार पर इम्युनिटी मंत्रा के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रशांत गुप्ता का कहना है, “कोविड-19 महामारी ने लोगों को समझा दिया है कि आज के दौर में खान-पान का बहुत महत्व है। हमें यह समझना होगा कि केवल दवा खाने से हम सेहतमंद नहीं रह सकते हैं। हमारे शरीर का तंत्र बेहतर खाने से स्वस्थ रह सकता है। हम क्या खाते हैं, क्या पीते हैं, कैसी हमारी दिनचर्या है, यह सब रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काम आती हैं। इसीलिए हमें खाने को दवा के रूप में देखना चाहिए। यानी हमारा भोजन ऐसा होना चाहिए, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखे न कि बीमार करे। समस्या यह है कि अभी ज्यादातर लोगों में खाने को लेकर यह नजरिया नहीं है। इम्युन मंत्रा ऐसे ही खान-पान पर जोर देता है। जो कि पूरी तरह आयुर्वेदिक है। अगर कोई व्यक्ति अपनी जीवनशैली में इस आधार पर बदलाव लाता है, तो निश्चित तौर पर उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी।”

एक सवाल जो किसी के भी मन में उठ सकता है कि जब आज के दौर में इम्युनिटी पर ही सबका जोर है, तो ब्रांडेड कंपनियों से लेकर दूसरी कई कंपनियां भी बाजार में उतर गई हैं। अकेले सैनिटाइजर बनाने के लिए 152 नई कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इस स्थिति में उत्पादों पर किस तरह भरोसा किया जाए। इस पर फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) से मिली जानकारी के अनुसार, “अथॉरिटी सभी उत्पादों पर नजर रख रही है। कोविड-19 के संकट को देखते हुए ई-निरीक्षण की भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा अगर उसे कोई शिकायत मिलती है, तो उस पर भी कार्रवाई की जाती है। साथ ही लोगों के लिए यह भी जानना जरूरी है कि हर उत्पाद पर एफएसएसएआई से मिले प्रमाण पत्र की जानकारी लिखना जरूरी होता है। इसे देखते हुए कोई भी उत्पाद खरीदने से पहले ग्राहकों को उस प्रमाण पत्र का ब्योरा जरूर देखना चाहिए।”

साफ है कि कोविड-19 संकट में इम्युनिटी का एक बड़ा बाजार खड़ा हो गया है। जिसे भुनाने के लिए सभी मैदान में कूद पड़े हैं। अब यह रेग्युलेटर की जिम्मेदारी है कि लोगों में फैले डर का कोई फायदा नहीं उठाए और लोगों तक सही उत्पाद पहुंचे, तभी इस संकट के दौर में हम कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई जीतने में सफल होंगे।

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