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बिहार के वैशाली में इंसेफेलाइटिस के डर से घर छोड़ रहे लोग

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण मौतों की संख्या बढ़कर 115 हो गई...
बिहार के वैशाली में इंसेफेलाइटिस के डर से घर छोड़ रहे लोग

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण मौतों की संख्या बढ़कर 115 हो गई है। वहीं वैशाली जिले के हरिवंशपुर गांव के लोगों ने एईएस के डर से अपने घर छोड़ दिए हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई, जिसमें राज्य और केंद्र सरकार को बच्चों के इलाज के लिए पुख्ता इंतजाम करने संबंधी निर्देश दिए जाने की मांग की गई थी। इस याचिका पर बुधवार को कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया है।

मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही ने बताया कि बुधवार को पांच और बच्चों की मौत हो गई। इन पांच बच्चों को मिला कर उनके अस्पताल में मरने वाले बच्चों की संख्या अब 95 हो गई है। उन्होंने बताया कि बुधवार को 22 और बीमार बच्चों को भर्ती कराया गया। अब तक उनके अस्पताल में एईएस के कारण भर्ती कराए गए कुल बच्चों की संख्या 372 हो गई है। स्वास्थ्य लाभ के बाद 118 बच्चों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है।

वहीं निजी केजरीवाल अस्पताल में मंगलवार की रात से एईएस पीड़ित दो और बच्चे भर्ती कराए गए।

इंसेफलाइटिस पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए टीम गठित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए तत्काल चिकित्सा विशेषज्ञों का दल गठित करने का निर्देश केंद्र सरकार को देने का अनुरोध करने वाला याचिका पर सुनवाई के लिए बुधवार को हामी भरी। जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता द्वारा मामले को जल्दी सूचीबद्ध करने का अनुरोध करने पर याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने की बात कही।

याचिका में अनुरोध किया गया है कि न्यायालय केंद्र को निर्देश दे कि वह इस महामारी से जूझ रहे बच्चों के प्रभावी इलाज के लिए सभी उपकरण और अन्य सहायता उपलब्ध कराए। वकील मनोहर प्रताप ने अपनी यचिका में दावा किया है कि वह दिमागी बुखार के कारण बीते हफ्ते 126 से ज़्यादा बच्चों की मौत से व्यथित हैं।

मुजफ्फरपुर में की गई 11 चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती

मंगलवार तक केजवरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की और पूर्वी चंपारण जिले में एक बच्चे की इस रोग से मौत हुई थी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि दरभंगा, सुपौल और मधुबनी के कुल 11 चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती मुजफ्फरपुर में की गयी है। इसके अलावा अन्य जिलों में तैनात तीन बाल रोग विशेषज्ञों और 12 नर्सों को मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है।

हरिवंशपुर में घर खाली कर रहे लोग

वैशाली जिले के हरिवंशपुर गांव के लोगों ने एईएस के डर से अपने घर छोड़ दिए हैं। अधिकांश परिवारों ने बीमारी के फैलने के बाद अपने बच्चों को दूसरे गांवों में भेज दिया है।

मृत बच्चों के पिता ने कहा," बीमारी के संबंध में एक घंटे के भीतर एक्यूट इंसेफेलाइटिस के कारण मेरे दो बेटों की मौत हो गई। बड़ा एक 7 साल का था जबकि छोटा दो साल का था। प्रशासन द्वारा कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया था।” उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री ने बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कुछ नहीं किया है। बीमारी से पीड़ित बच्चों के लिए अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है।"

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "मेरी सात वर्षीय बेटी की मृत्यु हो गई। बीमारी के बारे में प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं थी।" एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "मैंने अपने दो बच्चों को दूसरे गांव में भेज दिया है क्योंकि यहां खतरा है।"

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