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अगले महीने से शुरू होगा कृमि निवारण कार्यक्रम, 32.81 करोड़ बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय कृमि निवारण कार्यक्रम के नवें दौर में एक साल से 19 साल के आयु...
अगले महीने से शुरू होगा कृमि निवारण कार्यक्रम, 32.81 करोड़ बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय कृमि निवारण कार्यक्रम के नवें दौर में एक साल से 19 साल के आयु वर्ग के लगभग 32.81 करोड़ बच्चों और किशोरों को कृमि की दवा देने का लक्ष्य तय किया है। कृमि निवारण कार्यक्रम अगले महीने शुरू होगा। नेशनल डिवर्मिंग डे (एनडीडी) का उद्देश्य बच्चों और किशोरों की आंतों में होने वाले कीड़े के कारण होने वाले स्वास्थ्य जोखिम को कम करना है।

10 फरवरी है कृमि निवारण दिवस

हर साल यह देश के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ियों में 10 फरवरी को आयोजित किया जाता है। जबकि कृमि प्रसार के आंकड़ों के आधार पर चयनित राज्यों में इसे द्वैमासिक स्तर पर भी किया जाता है। इस साल, एनडीडी का द्विवार्षिक दौर 8 अगस्त को आयोजित किया जाएगा और उसके बाद 16 अगस्त इसको खत्म करने के लिए गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

32.81 करोड़ बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य

एनडीडी के नौवें दौर की समीक्षा बैठक में, बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए उपायुक्त डॉ. अजय खेरा ने लगभग 22 राज्यों को इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बधाई दी। फरवरी में आखिरी दौर में लगभग 12 करोड़ बच्चे और किशोर इसमें शामिल होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठक में तकनीकी सहायता भागीदार एवीडेंस एक्शन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगस्त के दौर के लिए डिवर्मिंग का लक्ष्य 32.81 करोड़ है।

स्कूल न जाने वाले बच्चों को भी किया शामिल

बैठक में भाग लेने वाले लोगों में राष्ट्रीय डिवर्मिंग दिवस के राज्य नोडल अधिकारियों के साथ डब्ल्यूएचओ इंडिया के प्रतिनिधि और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, मानव संसाधन विकास, युवा मामले और खेल, पंचायती राज के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

खेरा ने कहा कि प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, मीडिया संवेदीकरण और अन्य विभागों के साथ सहयोग ऐसे कार्यक्रम क्षेत्र हैं जिन्हें हमें मजबूत करना जारी रखना चाहिए। उन्होंने एनडीडी के लिए व्यापक जनगणना-आधारित लक्ष्यों के महत्व के बारे में भी बात की और अधिकतम पहुंच प्राप्त करने के लिए राज्यों की प्रशंसा की और निजी स्कूलों और इस कार्यक्रम में स्कूल न जाने वाले बच्चों को भी शामिल करने के निरंतर प्रयासों के लिए राज्यों की सराहना की।

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