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पुलवामा में आतंकियों और सेना के बीच मुठभेड़, मेजर समेत 4 जवान शहीद, दो आतंकी ढेर

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को अभी सप्ताह भर भी नहीं हुए हैं कि एक बार फिर सेना के जवानों...
पुलवामा में आतंकियों और सेना के बीच मुठभेड़, मेजर समेत 4 जवान शहीद, दो आतंकी ढेर

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को अभी सप्ताह भर भी नहीं हुए हैं कि एक बार फिर सेना के जवानों को अपनी शहादत देनी पड़ी है। जम्मू-कश्मीर में पुलवामा से करीब 21 किलोमीटर दूर पिंगलन में सोमवार सुबह आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान सेना के चार जवान शहीद हो गए। इनमें एक मेजर भी शामिल हैं। वहीं करीब 11 घंटे तक चले एनकाउंटर में सेना ने जैश के दो आतंकियों को भी ढेर कर दिया है।

सोमवार सुबह पुलवामा जिले में सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में 2-3 आतंकियों को घेरा गया। जिसके बाद सुरक्षाबलों ने यहां एक बिल्डिंग को ही उड़ा दिया, जहां आतंकी छिपे बैठे थे। हालांकि, इस एनकाउंटर में सुरक्षाबल के 4 जवान शहीद हो गए हैं। शहीदों में मेजर रैंक का अफसर भी शामिल है, जबकि एक जवान घायल है। सभी शहीद जवान 55 राष्ट्रीय राइफल्स के थे। वहीं, एक स्थानीय नागरिक की भी मौत हो गई है। जानकारी के मुताबिक, ऑपरेशन देर रात 12 बजे से चल रहा था, पूरी रात दोनों ओर से गोलीबारी हुई। इलाके को घेर कर गांव वालों को बाहर निकाला जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर के पूर्वी डीजीपी एसपी वैद्य ने ट्वीट किया कि वह सुरक्षाबलों को बधाई देना चाहते हैं कि उन्होंने पुलवामा आतंकी हमले के मास्टरमांइड को ढेर कर दिया है।

एनकाउंटर के बाद पत्थरबाजी

पुलवामा में एनकाउंटर स्थल पर घटना के बाद कई पत्थरबाजों ने पथराव करना शुरू कर दिया, जिन्हें सुरक्षाबलों ने चेतावनी दी।

इन जवानों ने लगाई जान की बाजी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जो जवान इस मुठभेड़ में शहीद हुए हैं उनमें मेजर डीएस डोंडियाल, हेड कॉन्स्टेबल सेवा राम, सिपाही अजय कुमार और सिपाही हरी सिंह शामिल हैं। एक जवान घायल है जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

14 फरवरी को 40 जवान हुए थे शहीद

14 फरवरी की दोपहर पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने एक आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था, इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद से ही देश में गुस्सा है और आतंकियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने की मांग हो रही है। ये हमला जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने किया था, जो अपनी गाड़ी में बम फिट कर सीआरपीएफ के काफिले में घुस गया था। 14 जनवरी को हुए हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-माेहम्मद ने ली है। विस्फोटकों से भरी गाड़ी के जरिए किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा हमला था। इससे पहले अक्टूबर 2001 में कश्मीर विधानसभा पर भी इसी तरह हमला हुआ था। इसमें 38 मौतें हुई थीं।

आतंक के सरपरस्तों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी:पीएम

पीएम नरेंद्र मोदी ने पुलवामा हमले के बाद कहा था कि आतंक के सरपरस्तों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा था कि पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ चुका हमारा पड़ोसी देश अगर ये समझता है कि जिस तरह के कृत्य वो कर रहा है, जिस तरह की साजिशें रच रहा है, उससे भारत में अस्थिरता पैदा करने में सफल हो जाएगा, तो वो बहुत बड़ी भूल कर रहा है। मैं आतंकी संगठनों को और उनके सरपरस्तों को कहना चाहता हूं कि वो बहुत बड़ी गलती कर गए हैं। मैं देश को भरोसा देता हूं कि हमले के पीछे जो ताकते हैं, इस हमले के जो भी गुनहगार हैं, उन्हें उनके किए की सजा अवश्य मिलेगी।

अलगाववादियों से वापस ली गई सुरक्षा

बता दें कि पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में पैदा हुए आक्रोश को देखते हुए सरकार ने अलगाववादी नेताओं को मिली सुरक्षा वापस ले ली है, जिनमें ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक, शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन, फजल हक कुरैशी और अब्दुल गनी बट शामिल हैं। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि इन 6 नेताओं और दूसरे अलगाववादियों को किसी भी तरह से सुरक्षा कवर नहीं दिया जाएगा।

 

 

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