Advertisement

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा- आलोचना करना आसान लेकिन सिस्टम को बदलना मुश्किल

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि किसी व्यवस्था की आलोचना करना, उस पर हमला करना और उसे...
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा- आलोचना करना आसान लेकिन सिस्टम को बदलना मुश्किल

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि किसी व्यवस्था की आलोचना करना, उस पर हमला करना और उसे नष्ट करना आसान है लेकिन उसे बदलकर काम करने योग्य बनाना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण है।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित 72वें स्वतंत्रता दिवस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि संस्थान ऊंचाइयों को छू सके, इसके लिए अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं को दूर रखकर सकारात्मक मानसिकता के साथ रचनात्मक कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि कुछ तत्व ऐसे भी हो सकते हैं जो संस्थान को कमजोर करने का प्रयास करें, लेकिन हमें एक साथ मिलकर इसके आगे झुकने से इनकार करना होगा। साथ ही तार्किकता, परिपक्वता और जिम्मेदारी के साथ स्पष्ट और ठोस सुधार किए जा सकते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि आज जश्न का मौका है इसलिए इसे मनाया जाए और तय किया जाए कि हम कभी न्याय की देवी की आंखों में आंसू नहीं आने देंगे।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह जरूरी है कि एक तरह की ऑडिट या समझ हो, ताकि जनहित याचिकाओं (पीआईएल) का व्यापक परिप्रेक्ष्य कहीं खो न जाए। बेवजह दायर की गई जनहित याचिकाओं पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए भारी जुर्माने को लेकर कानून मंत्री ने यह कहा। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि कोर्ट में मौखिक टिप्पणी जारी करना संस्थान को नुकसान पहुंचा रहा है। हमें इस बात को महसूस करना होगा कि यही एकमात्र संस्थान है जहां फैसले लोगों के सामने किए जाते हैं। कोर्ट में कहा गया हर शब्द मीडिया रिपोर्ट करती है।

चीफ जस्टिस की टिप्पणी चार जजों के जवाब के तौर पर देखी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ एक साथ 12 जनवरी को मीडिया के सामने आए थे। उन्होंने खुलेतौर पर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से काम नहीं कर रहा है और चीफ जस्टिस की ओर से न्यायिक पीठ को सुनवाई के लिए मामले  मनमाने ढंग से दिए जा रहे हैं। इससे ज्युडिशियरी के भरोसे पर सवाल उठ रहा है। अगर इसे ठीक नहीं किया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad