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तटरक्षक बल के नए महानिदेशक की क्या है योजनाएं

श्री राजेंद्र सिंह भारतीय तटरक्षक बल (कोस्ट गार्ड) की कमान 27 फरवरी को संभाल रहे हैं और कोस्ट गार्ड के अगले महानिदेशक होंगे। वह इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाले तटरक्षक बल के पहले अधिकारी होंगे। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है।
तटरक्षक बल के नए महानिदेशक की क्या है योजनाएं

अभी तक तटरक्षक बल के महानिदेशक के पद पर नौसेना के थ्री स्टार अधिकारी की ही नियुक्ति होती रही है। राजेंद्र सिंह 1980 में तटरक्षक बल में शामिल हुए। वह इस समय तटरक्षक मुख्यालय में अपर महानिदेशक के पद पर तैनात हैं। सिंह वाइस एडमिरल एचसीएस बिष्ट की जगह लेंगे जिन्हें उन्हें नौसेना की पूर्वी कमान का फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ बनाया गया है। राजेंद्र सिंह की प्राथमिक शिक्षा व उच्च शिक्षा मसूरी और देहरादून से हुई है। राजेंद्र सिंह उन अफसरों में हैं जो न केवल तटरक्षक बल की विकास यात्रा के साक्षी रहे हैं बल्कि जिन्होंने बल को इसके वर्तमान स्वरूप में लाने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की हैं। उन्हें तटरक्षक बल में शामिल हर तरह के पोतों की कमान हासिल करने का सौभाग्य मिला है। फिर चाहे वह इंटरसेप्टर नौका हो या उपतटीय गश्ती पोत, तीव्र गश्ती पोत हो, अपतटीय गश्ती पोत हो या अत्याधुनिक अपतटीय गश्ती पोत। अस्सी के दशक में राजेंद्र सिंह ने तस्कर विरोधी कार्रवाई में सक्रिय भागीदारी निभाई। उनके नाम तस्करी का सामान जब्त करने का कीर्तिमान है। इसके लिए उन्हें 15 अगस्त, 1990 को तटरक्षक पदक से सम्मानित किया गया। राजेंद्र सिंह को फील्ड फॉरमेशन में कार्य करने का लंबा अनुभव है। अन्य नियुक्तियों के अलावा वह महानिरीक्षक के रूप में भारतीय समुद्र तट के पूरे पूर्वी तट एवं पश्चिमी तट की कमान संभाल चुके हैं। भारत सरकार ने 15 अगस्त, 2007 को उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया। चाहे आपरेशन हो या विकास और योजना, वित्तीय प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन या प्रशासन, अपने 34 वर्ष के कॅरिअर में राजेंद्र सिंह ने भारतीय तटरक्षक बल के हर पहलू में अत्यंत कुशलतापूर्वक अपना योगदान दिया है। अंतरराष्ट्रीय सद्भावना एवं मैत्री को बढ़ावा देने के लिए उनकी कमान में भारतीय तटरक्षक पोत संग्राम को सुदूरपूर्व जापान, फिलीपींस और वियतनाम भेजा गया। इन लक्ष्यों की पूर्ति में उनके द्वारा किए गए प्रयासों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई। गौरतलब है कि इससे पहले उत्तराखंड के जनरल बीसी जोशी थलसेना और डीके जोशी नौसेना प्रमुख का पद संभाल चुके हैं। श्री राजेन्द्र सिंह के परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती उर्मिला सिंह एवं दो बेटियां हैं। पेश है राजेंद्र सिंह से हुई बातचीत के अंश:
बल के प्रमुख का जिम्मा संभालने के बाद आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?

तटीय सुरक्षा और मैरीटाइम सिक्योरिटी की जिम्मेदारी काफी अहम है। तटरक्षक बल के पांच क्षेत्रीय मुख्यालय, 14 जिला मुख्यालय, 42 स्टेशन और नौ एयर स्टेशन हैं, इनमें सुरक्षा व्यवस्था को चैकस करना पहली प्राथमिकता है। इसके बाद जितनी भी स्टेट मशीनरी, राज्यों की एजेंसियां और दूसरे हितधारक मसलन, भारतीय नौसेना, राज्य पुलिस, बीएसएफ, सीआईएसएफ, पोर्ट अथॉरिटी और स्टेट मैरीटाइम बोर्ड हैं, उन्हें एक सूत्र में बांधना है ताकि सबके साथ सामंजस्य बनाया जा सके। यह इसलिए जरूरी है कि ताकि रियल टाइम सिचुएशन यानी विपरीत परिस्थिति के समय हम सभी में तालमेल रहे। पहली बार तटरक्षक बल का कोई अधिकारी इस पद पर पहुंचा है। इसलिए मुझ पर यह दोहरी जिम्मेदारी है कि मैं नौसेना के साथ सही तालमेल बिठा सकूं। 

26/11 के मुंबई आतंकी हमले के बाद तटरक्षक बल की जिम्मेदारियां बढ़ी हैं, आप इसे कैसे देखते हैं?

 

26/11 के मुंबई आतंकी हमले के बाद कोस्टल सिक्युरिटी नेटवर्क नामक तंत्र बना है। तटरक्षक बल ने सभी एजेंसियों के साथ मिलकर एक मानक संचालन प्रक्रिया यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया है। उसे हमें समय-समय पर रीवैलीडेट करना होगा ताकि सभी एजेंसियों के बीच सही तालमेल बना रहे और भारत में 26/11 जैसी घटना दोबारा न हो। हाल के वर्षों में तटरक्षक बल का काफी विस्तार हुआ है। 2020 तक हमारे पास 150 पोत, लगभग 100 एयरक्राफ्ट, हेलीकाप्टर और फिक्स विंग एयरक्राफ्ट होंगे। हम जरूरत के मुताबिक, दो तटरक्षक बल स्टेशन को डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर में भी तब्दील करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि काम सुचारू रूप से चल सके। इसमें भारत सरकार की ओर से हमें भरपूर सहायता मिल रही है।

आप उत्तराखंड से हैं, आपदा के बाद राज्य के प्रभावित क्षेत्रों में आपकी काफी सक्रियता रही। महानिदेशक का पद संभालने के बाद गृह राज्य के लिए क्या योगदान रहेगा?

तटरक्षक बल में हर राज्य, हर क्षेत्र के लोगों का समावेश है। लेकिन उत्तराखंड के सुदूर पर्वतीय स्थानों तक पहुंचने के लिए पहले तटरक्षक बल ने चमोली, रानीखेत में भर्ती केंद्र खोला था, इस बार हमने उत्तरकाशी में भर्ती केंद्र खोला है, ताकि हम सुदूर क्षेत्रों के उन बच्चों तक पहुंच सकें जिन्हें आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। हमारी प्राथमिकता यह भी है कि उत्तराखंड आपदा से प्रभावित लोगों के ज्यादा से ज्यादा बच्चों को एडवांटेज देकर तटरक्षक बल में शामिल कर सकें। 

अपनी रुचियों के बारे में कुछ बताइए।

मुझे बागवानी का काफी शौक रहा है। कृषक परिवार का होने की वजह से इस ओर शुरू से ही झुकाव रहा है। इसके अलावा मुझे युवाओं से मिलना, उनके विचार सुनना, उन्हें नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करना, उनका उत्साहवर्धन करना काफी पसंद है।

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