Advertisement

इंदिरा अम्मा के नाम पर हर पेट के लिए दाना-पानी- हरीश रावत

फरवरी 2014 में उत्तराखंड के मुख्य‍मंत्री पद की कमान संभालने वाले हरीश रावत राज्य के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाते हैं। लंबे समय के राजनीतिक जीवन में रावत ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बनने के बाद माना जा रहा था कि अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो रावत को कमान मिल सकती है। लेकिन सियासी कारणों सेे रावत को देर से राज्य की कमान मिली। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जब सरकार बनी तो विजय बहुगुणा को मुख्य‍मंत्री पद दिया गया। उस समय रावत केंद्र सरकार में मंत्री थे। विजय बहुगुणा को बीच कार्यकाल से ही हटाकर हरीश रावत को राज्य की कमान दी गई। दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हरीश रावत से विभिन्न मुद्दों पर आउटलुक के विशेष संवाददाता ने देहरादून के बीजापुर गेस्ट हाउस में विस्तार से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
इंदिरा अम्मा के नाम पर हर पेट के लिए दाना-पानी- हरीश रावत

आपको मुख्य‍मंत्री बने दो साल हो गए इन दो साल की उपलब्धियों को आप किस रूप में आंकते हैं?

उपलब्धियों या कार्ययोजना को साल में बांटना कठिन है। जब मैं मुख्य‍मंत्री बना तो मेरे सामने दो बड़ी चुनौतियां थी। पहली चुनौती थी आपदा। राज्य का एक बड़ा हिस्सा आपदा से जूझ रहा था। राज्य की संचार व्यवस्था खराब थी। लोगों का मनोबल गिरा हुआ था। पर्यटक भी राज्य में आने से कतरा रहे थे। पर्यटकों में विश्वास पैदा करना और राज्य के लोगों का मनोबल बढ़ाना मेरा पहला कदम था। जिसमें मैं सफल भी हुआ। दो साल के अंदर पर्यटकों का विश्वास जगा और पर्यटन वापस आ गया। दूसरी चुनौती थी अर्थव्यवस्था जिस पर काबू पा लिया गया।
लेकिन आपदा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास की अभी समस्या बनी हुई है?
इस समस्या को काफी हद तक दूर कर लिया गया है। लोगों का पुनर्वास भी हुआ है और उनके लिए आजीविका के संसाधन भी तैयार किए गए है। केदारनाथ में जो विकास का काम हुआ है उससे विरोधी भी खुश हैं। लेकिन मैं इसे अपनी उपलब्धि नहीं कहूंगा। बल्कि यह पूरे राज्य की उपलब्धि है क्योंकि सभी लोगों का जो सामुहिक विश्वास है उसी का परिणाम है कि भयावह आपदा के बावजूद यहां के लोग उससे उबर गए।
आपदा राहत कार्य में घोटालों को लेकर सवाल भी उठे। इस बारे में आप क्या कहेंगे?
ऐसा कुछ नहीं है। जब कोई मुद्दा नहीं मिला है तो घोटालों की बात हो रही है। लेकिन जब काम हो रहा है तो जनता तारीफ भी कर रही है। यहां तक विपक्ष के लोग भी काम की तारीफ कर रहे हैं।
आपदा से उत्तराखंड का पर्यटन भी प्रभावित हुआ। अब क्या स्थिति है?
पर्यटकों में विश्वास जगा है उसी का परिणाम है कि जैसा सामान्य दिनों में पर्यटक आते थे उसी तरह से आ रहे हैं। जब पर्यटन का पीक समय होता है उस समय 12 लाख पर्यटक आते थे। अभी संख्या 10 लाख के आसपास है। मुझे लगता है कि यह बड़ी उपलब्धि है।
पर्यटन के क्षेत्र में बेहतर काम हुआ लेकिन लोगों को रोजगार मिले इस दिशा में सरकार क्या कदम उठा रही है?
उसके लिए भी काम किया जा रहा है। छोटा प्रदेश होने के कारण रोजगार के अवसर कम हैं। लेकिन राज्य सरकार लोगों को रोजगार मिले इस दिशा में कई कदम उठा चुकी है और आने वाले दिनों में लोगों को रोजगार मिले इस दिशा में काम किया जा रहा है। हमारी इच्छा है कि उत्तराखंड का पर्यटन केवल किसी सीजन के लिए नहीं हो बल्कि पूरे साल हो। इस दिशा में काम किया जा रहा है। क्योंकि पर्यटन के क्षेत्र में राज्य में अपार संभावनाएं हैं। नेशनल पार्क, बटरफ्लाई पार्क, इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। जब पर्यटन का विस्तार होगा तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
इंदिरा अम्मा भोजन की आपने शुरूआत की। कोई विशेष कारण?
इसका कोई विशेष कारण नहीं है। बस सरकार की सोच यह थी लोगों को सस्ता और पौष्टिक भोजन मिले। इसलिए सरकार ने इस योजना की शुरुआत की। इसमें भी खास बात यह है कि इस योजना का संचालन महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। इससे बड़ी संख्या‍ में महिलाओं को रोजगार मिला और लोगों को पौष्टिक भोजन। योजना की सफलता को देखते हुए राज्य के सभी जिलों में इसकी शुरूआत हो चुकी है और आने वाले दिनों में इसके और केंद्र खुलेगें।
कृषि के क्षेत्र में राज्य सरकार क्या कर रही है?
कृषि ही नहीं बल्कि दुग्ध, उत्पादन से लेकर स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। जैसे पेड़ लगाने पर सरकार बोनस दे रही है। आर्गेनिक के क्षेत्र में राज्य सरकार बेहतर काम कर रही है। इसके अलावा राज्य की जो अपनी प्राकृतिक संपदा है उससे लोगों को रोजगार देने का काम किया जा रहा है।
अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव है आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
मेरे लिए कोई चुनौती नहीं है। अगर मैं लोगों में विश्वास जगा पाया तो जीत निश्चित है। क्योंकि मैंने जो राज्य के विकास के लिए जो रोडमैप बनाया वह लोगों के मन को छू गया है। मैं मानता हूं कि अगर सही काम हुआ तो लोगों का साथ मिलेगा। अगर काम नहीं होगा तो निश्चित तौर पर लोग कामकाज का आकलन करेंगे।
लेकिन आपको पूरा कार्यकाल नहीं मिल पाया। इसके पीछे क्या वजह रही?
कोई वजह नहीं है। जबसे मुझे राज्य की कमान मिली है उसके बाद से मैंने काम करना शुरू किया। राज्य का विकास हो, लोगों का विकास हो यह हमारी पहली प्राथमिकता है और इसमें मैं काफी हद तक सफल भी हो गया हूं।
कांग्रेस की पांच साल की सरकार में दो-दो मुख्य‍मंत्री इसको लेकर विपक्ष मुद्दा भी बना सकता है। इस बारे में आप क्या कहेंगे?
अगर काम अच्छा होगा तो कोई मुद्दा नही बनेगा। मैं पहले भी कह चूंका हूं कि अगर मैंने लोगों में आशाएं नहीं जताई, काम नहीं किया तो जनता नकार देगी। इसलिए यह कोई मुद्दा नहीं है। अगर आप बेहतर काम करेंगे तो जनता आपके साथ है।
आपके पास एक साल और इस दौरान आपकी क्या योजना है?
मैंने अपना रोड मैप पहले ही बता दिया। उसी को सही तरीके से लागू कराना हमारी प्राथमिकता है। इस दिशा में मैं और पूरी सरकार और यहां के लोग काम कर रहे हैं। जब राज्य का विकास होगा तो लोगों का भी विकास होगा।
कांग्रेस में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने को लेकर लगातार चर्चा चल रही है। क्या इस साल उनको कमान मिल जाएगी?
युवाओं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का फोकस राहुल गांधी की ओर हो गया है। राहुल लगातार सक्रिय भी हैं और राज्यों पर उनका ज्यादा ध्यान है। बदलाव प्रकृति का नियम है और राहुल गांधी को कमान मिलती है तो इसमें गलत क्या है।
लेकिन पार्टी के कई पुराने नेता राहुल गांधी का विरोध कर रहे है। इसे पीढिय़ों का टकराव माना जा रहा है?
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
केंद्र सरकार से जो राज्य की अपेक्षाएं होती हैं क्या वह पूरी हो रही हैं?
केंद्र सरकार केवल वादे कर रहा है। नरेंद्र मोदी की सरकार ने इतनी अपेक्षाएं पैदा कर दी कि उसे पूरा करने में मुश्किल दिख रही है। आम जनता से वही वादा करना चाहिए जो हो सकता है। जब लोगों की अपेक्षाएं नहीं पूरी हो रही हैं तो राज्य की अपेक्षाएं कहां से पूरी होंगी। नरेंद्र मोदी दुनिया भर में विकास का ढोल पीट रहे हैं। योजना आयोग को बंद कर दिया। कई योजनाएं केवल भाषणों तक सीमित हैं। जनता को झूठे सब्जबाग नहीं दिखाए जा सकते। आज जो जागरुकता आई है उसमें काम करने की जरुरत है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad