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इंटरव्यू/पुष्कर सिंह धामी: ‘साठ पार सीटें मिलेंगी’

“उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बातचीत” मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भरोसा है...
इंटरव्यू/पुष्कर सिंह धामी: ‘साठ पार सीटें मिलेंगी’

“उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बातचीत”

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भरोसा है कि कांग्रेस अपनों से ही लड़ रही है और इस बार साठ के पार नारे के साथ भाजपा सत्ता में वापसी कर रही है। उनसे आउटलुक के लिए अतुल बरतरिया ने तमाम मुद्दों पर बातचीत की। संपादित अंशः

 

चुनाव में भाजपा किन मुद्दों पर जनता से समर्थन मांग रही है।

उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार ने हर क्षेत्र में काम किए हैं। सड़क, हवाई मार्ग के क्षेत्र में बहुत काम किया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने डेढ़ लाख करोड़ रुपये की योजनाओं का लोकापर्ण और शिलान्यास किया है। भाजपा सरकार ने पूरे पांच साल समाज के हर वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है। यह चुनाव भाजपा सरकार के काम और कांग्रेस की पुरानी सरकार के कारनामों के बीच होने जा रहा है।

कई सीटों पर असंतोष और बगावत से पार्टी कैसे निपटेगी?‍

आप इसे बगावत नहीं कह सकते हैं। जिन लोगों को दावेदारी के बाद भी टिकट नहीं मिल सका है, उनसे बात की गई है। जल्द ही सभी लोग भाजपा के लिए ही काम करेंगे।

हरक सिंह रावत के जाने से क्या पार्टी को नुकसान हो सकता है?‍

 भाजपा काडर आधारित पार्टी है और कार्यकर्ता ही सबसे अहम होता है। अगर कोई कार्यकर्ता से हटकर कुछ और बनने की चाह रखता है तो ऐसे लोगों के लिए भाजपा में कोई जगह नहीं है।

आम आदमी पार्टी भी इस बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसे भाजपा कैसे देखती है?

यह पार्टी चुनाव के वक्त ही आती है और फिर गायब हो जाती है। उत्तराखंड की जनता ऐसी पार्टी को तवज्जो देने वाली नहीं है। भाजपा को आप से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।

गैरसैंण पर भाजपा का क्या रुख रहने वाला है?

गैरसैंण निश्चित रूप से जनभावनाओं से जुड़ा मुद्दा है। भाजपा सरकार ने इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है और इसे अमलीजामा पहनाने की दिशा में काफी काम किया है। सरकार में वापसी के बाद भाजपा गैरसैंण के लिए और भी बहुत कुछ करने वाली है।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव लड़ने से इनकार करने को आप कैसे देखते हैं? क्या इसका कोई असर होगा?

त्रिवेंद्र जी कह चुके हैं कि वे पार्टी के लिए पूरे प्रदेश में काम करना चाहते हैं। पार्टी आलाकमान की भी मंशा है कि त्रिवेंद्र जी की क्षमताओं का लाभ पूरे प्रदेश को मिलना चाहिए।

इस चुनाव में कांग्रेस कितनी बड़ी चुनौती है?

भाजपा के लिए इस चुनाव में कांग्रेस कोई चुनौती है ही नहीं। कांग्रेस तो टिकट बंटवारे को लेकर आपस में लड़ रही है। कांग्रेस को तो कांग्रेस के अंदर से ही चुनौती मिल रही है।

भाजपा को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है?

भाजपा ने इस बार साठ पार का नारा दिया है। पार्टी का हर कार्यकर्ता इस नारे को पूरा करने के लिए प्राण-पण से जुटा हुआ है। 10 मार्च को जब नतीजे सामने आएंगे तो आप देखेंगे कि भाजपा ने अपने साठ पार के नारे को किस शानदार अंदाज से पूरा किया है।

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