Advertisement

सरकारों ने ही बिगाड़े हालात : राजेंद्र सिंह

जल पुरुष के नाम से विख्यात, पानी के नोबल पुरस्कार माने जाने वाले स्कॉटहोम वाटर और मैगसायसाय अवॉर्ड से नवाजे गए राजेंद्र सिंह का मानना है, देश में पानी की कमी राजनेताओं की देन है और सामुदायिक विकेंद्रीय जल प्रबंधन से हालात सुधारे जा सकते हैं। आउटलुक के साथ उन्होंने पानी की समस्या और समाधान पर बात की। पेश हैं प्रमुख अंश:
सरकारों ने ही बिगाड़े हालात : राजेंद्र सिंह

 

देश के ग्यारह राज्यों में इन दिनों पानी की गंभीर समस्या है, इसकी वजह और समाधान क्या है?

हालात भयावह हैं। समस्या प्राकृतिक नहीं, मानव निर्मित है। जिस राज्य में चालीस बड़े बांध बनाए गए हों वहां टैंकरों से पानी भेजना पड़ रहा है तो इससे बुरी दशा क्या हो सकती है। अपनी चीनी मिलों से पहले नेताओं ने पूरे राज्य में गन्ना उगा कर धरती की ऊपरी सतह का पानी खाली कर लिया। फिर निचली सतह का पानी उद्योगों से प्रदूषित कर दिया। सोच-समझ कर कोई नीति ही सरकारों ने नहीं बनाई। मराठवाड़ा और लातूर से बड़े-बड़े नेता जीते मगर पानी के लिए किसी ने कुछ नहीं किया। पानी प्रकृति के प्यार से मिलता है, बांध बनाने से नहीं। 

समाधान क्या है, कैसी नीतियां हों? 

हर आयाम पर काम करना होगा। फिर से सामुदायिक विकेंद्रीय जल प्रबंधन हो। ठेकेदारी बिलकुल न हो। धरती से कम से कम पानी निकाला जाए। संभव हो तो पीने के लिए सिर्फ भूजल का इस्तेमाल हो। खेती और उद्योगों के लिए भूजल के दोहन पर प्रतिबंध लगे।

जल संरक्षण-सूखे से निपटने के लिए सरकार से क्या अपेक्षा है?

हालात बिगाड़ने वाले काम बंद करना ही सरकार के लिए पर्याप्त है। आजादी के बाद से एक भी ऐसा काम सरकारों ने नहीं किया जिसे जल संरक्षण की श्रेणी में रखा जा सके। पानी का काम सामुदायिक तरीकों से ही हो सकता है।

जल संरक्षण की शुरुआत कहां से की?

शुरुआत में अपने ही क्षेत्र में तालाब खुदवाया। इससे इलाके का जल स्तर ऊपर उठा और पानी की समस्या कम हो गई। बाद और लोग साथ आ गए। हमारी संस्था तरुण भारत अब जोर-शोर से इस दिशा में काम कर रही है। संस्था अब तक देश भर में 11 हजार 600 तालाबों और सात सूखी नदियों में जल भरण का काम कर चुकी है। हमने ढाई लाख कुओं को भी रीचार्ज कराया। पलायन कर चुके चार लाख लोग अपने घरों को भी लौटे हैं।

आगे क्या योजनाएं हैं? 

भीकनपुर, अलवर में पानी पर नौ दिन की एक कार्यशाला की है। इसमें हजारों कार्यकर्ताओं को जल संरक्षण का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षित लोग अब देश भर में श्रमदान कर जल संरक्षण में सहयोग करेंगे। जल को लेकर सरकारी नीतियों के खिलाफ हम देश भर में बुंदेलखंड, मराठवाड़ा और दिल्ली सहित कई जगह सत्याग्रह करने जा रहे हैं। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement