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गरीबी दूर करने की मेहनत रंग लाई

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पिछले 17 वर्षों से ओडिशा की राजनीति की धुरी बने हुए हैं। वे राज्य विधानसभा के चार चुनाव लगातार जीत चुके हैं। विकास के विभिन्न मानकों पर राज्य ने उनकी अगुआई में काफी तेज छलांग भरी है।
गरीबी दूर करने की मेहनत रंग लाई

राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.1 फीसदी के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 2016-17 में 7.94 फीसदी रही और गरीबी में यहां काफी तेजी से गिरावट आई है। इस साल आउटलुक स्पीकआउट पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ प्रशासक के पुरस्कार विजेता मुख्यमंत्री पटनायक से आउटलुक ने बात करके जानने की कोशिश की कि उनकी कामयाबियों के पीछे कौन से राज छुपे हुए हैं। कुछ अंशः

एक पिता के रूप में बीजू पटनायक को आप कैसे देखते हैं? हमारे लिए तो वे एक स्वतंत्रता सेनानी, एक दुस्साहसी पायलट, एक उद्यमी, एक निर्भय जनवादी और संघीय ढांचे के पैरोकार रहे हैं। एक पुत्र के रूप में आपको कौन सी बात ज्यादा अहम जान पड़ती है?

जैसा आपने कहा, उन सभी कारणों से वे अहम हैं। जाहिर है, वे एक अच्छे पिता भी थे। फिर जैसा आपने बताया, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान का उनका रिकॉर्ड, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनकी भूमिका, एक महान उद्यमी और एक बेहद कामयाब राजनेता- ये सब उनकी छवियां हैं।

एक पुत्र के रूप में आपको उनकी किस चीज ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया?

मुझे उनके बारे में सबसे ज्यादा शानदार बात यह लगती है कि वे अपने विचारों और कार्रवाइयों में अपने समय से काफी आगे थे।

पिता के रूप में भी?

हां, पिता के रूप में भी वे जो सोचते थे उसे लागू करते थे।

क्या आपने अपने बड़े होने के दौरान कभी उन्हें रोल मॉडल बनाने का सोचा? क्या आप भी उनका अनुकरण करना चाहते थे, उनके जैसा बनना चाहते थे?

दरअसल, मैंने राजनीति में आने के बारे में सोचा ही नहीं था। वो तो 1997 में उनके निधन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री और अन्य लोगों ने मुझसे उनकी संसदीय सीट से उपचुनाव में खड़े होने का आग्रह किया और मैंने उनके प्रति ओडिशा के लोगों के सम्मान के मद्देनजर ऐसा किया। मैं राज्य के लोगों के लिए उनके काम को जारी रखना चाहता था।

मतलब कि 1997 में उनके निधन तक आपने कभी भी उनके पदचिह्नों पर चलने का नहीं सोचा था?

नहीं, न मैंने सोचा था, न उन्होंने।

राजनीतिक मसलों पर चर्चा के दौरान भी उन्होंने कभी आपसे यह इच्छा जाहिर नहीं की?

बिलकुल नहीं!

जवानी के दिनों में आप अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी शख्सियतों की संगत में रहा करते थे, जैसे जैकलीन केनेडी, बीटल्स। कैसा अनुभव था?

मिसेज केनेडी और मेरे बीच एक पेशेवर रिश्ता था। वे मेरी पहली और तीसरी किताब की संपादक थीं। और हमारा रिश्ता शानदार था।

कैसा रिश्ता था? यह कैसे संभव हुआ कि उन्होंने आपकी पुस्तक संपादित की? हम जानते हैं कि अकसर ये सब इतना आसान नहीं होता।

अमेरिका में हमारे कुछ दोस्तों ने दरअसल उस किताब के लिए मेरा नाम सुझाया था जो वे अपने प्रकाशन से लाना चाहती थीं।

और बीटल्स?

बीटल्स के लोग अपनी बीवियों के साथ यहां साठ के दशक में आए थे और महर्षि की पत्नी के यहां रुके थे। वे भारत के विभिन्न मसलों पर मुझसे सलाह लेना चाहते थे। यह भी दोस्तों के माध्यम से ही था।

और वे लोग आपके बुटीक में मिलने आए?

हां, बेशक।

उनके संगीत का प्रशंसक होने के नाते आपके लिए यह तजुर्बा कैसा था?

बहुत उत्साहजनक अनुभव था। वास्तव में यहां हम सब के लिए वे काफी शानदार लोग थे। 

उन दिनों निजी विमान सेवाओं के लिए नीति नहीं बनी थी। नब्बे के दशक के आरंभ में नरसिंहराव शासन के दौरान जेट एयरवेज को लाइसेंस मिला। उस समय क्या आपके मन में कलिंग एयरलाइंस को दोबारा शुरू करने का कोई खयाल आया था?

नहीं, लेकिन हमने भुवनेश्वर तक बेहतर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं के लिए काम किया है और काफी हद तक कामयाब भी हुए हैं।

आपकी जिंदगी में 1997 बहुत अहम वर्ष था। आपने बताया कि पिता के गुजरने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने आपसे राजनीति में आकर चुनाव लड़ने को कहा था। इतनी बड़ी छलांग के मामले में आपने दूसरे की सुनी?

नहीं, मैंने स्वेच्छा से ऐसा किया। मुझे लगा कि सही मौका है और मैं आ गया। मुझे लगा कि मेरे पिता ने ओडिशा की जनता की सेवा की और खुद सोचा कि मैं भी उसे विस्तार दे सकता हूं।

क्या ओडिशा की बदहाली और कुछ नेताओं का खराब चरित्र भी इसकी वजह रहा?

शायद, मैं ऐसा मान सकता हूं।

सत्ता का अर्थ आपके लिए क्या है?

मैं वास्तव में सत्ता के बारे में सोचता नहीं, बल्कि लोगों की सेवा के बारे में ज्यादा सोचता हूं।

आप जिस तरह के माहौल में बड़े हुए वहां सत्ता का राज था। आपके पिता इतने सशक्त राजनेता थे। न सिर्फ नेता बल्कि एक सत्तासीन शख्सियत जिन्हें जनता की सराहना भी हासिल थी। उस लिहाज से इस सत्ता का अनुभव आपके लिए कैसा रहा?

मैंने पहले कहा कि मैंने इसे कभी सत्ता के रूप में लिया ही नहीं। मैंने इस जिम्‍मेदारी को जनता की सेवा के रूप में लिया, एक कर्तव्य जो उनकी समृद्धि और विकास के लिए निभाया जाना है।

मतलब एक मुख्यमंत्री के बतौर आप इसलिए कामयाब रहे क्योंकि सत्ता के जंजाल से आप मुक्त रहे, कोई मोह नहीं रहा उसका?

मुझे सत्ता के जंजाल का मोह कभी नहीं रहा। मैं राज्य की जनता के विकास और कल्याण पर कहीं ज्यादा एकाग्र रहा।

या फिर इसलिए कि आपको खरीदा नहीं जा सका? आपके पास पहले से दुनिया की हर नेमत थी। आप दून स्कूल में पढ़े। आपका औरंगजेब रोड पर एक मकान है। मेरा मतलब है कि ऐसी कोई चीज की कमी आपको नहीं थी जिसे पैसे से खरीदा जा सकता हो?

ये सच है।

आपके राज्य ओडिशा पर लौटते हैं। इतने नाटकीय तरीके से विकास दर में तेज वृद्धि और गरीबी में गिरावट को आप कैसे देखते हैं?

यह तीन आइ पर केंद्रित रहा हैः सिंचाई (इरिगेशन), इन्‍फ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढांचा और समावेशी वृद्धि (इनक्लूसिव ग्रोथ)। जहां तक सिंचाई का सवाल है, हमने इसकी क्षमता में बड़े पैमाने पर इजाफा किया है। मैं 2000 में जब मुख्यमंत्री बना, उस वक्त राज्य चावल का आयात कर रहा था। आज हम देश भर में दूसरे राज्यों को चावल निर्यात करने के मामले में तीसरे स्थान पर हैं। इसके अलावा हाल के पांच वर्षों में हमने लगातार चार साल राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार जीता है। इन्‍फ्रास्ट्रक्चर के मामले में हमने सड़कों, पुलों और राजमार्गों का निर्माण करवाया। इन सब में सुधार आया है। महिलाओं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण और विकास के लिहाज से समावेशी वृद्धि में भी हम कामयाब रहे। आज हमारे यहां पचास लाख से ज्यादा महिलाएं एक स्वयं-सहायता समूह कार्यक्रम ‘मिशन शक्ति’ के माध्यम से सशक्त हुई हैं और आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनी हैं। शहरी और ग्रामीण निकायों में हमने औरतों को 50 फीसदी आरक्षण दिया है।

मुख्यमंत्री के बतौर पर आपका निजी हस्तक्षेप क्या रहा?

जैसा कि मैंने बताया, इन जनसमर्थक और गरीबी विरोधी कार्यक्रमों पर ध्यान लगाना, जिसमें काफी हद तक कामयाब रहे हैं। यही वजह है कि हमारी पार्टी लगातार चार बार जीतकर आई है।

क्या ऐसा इसलिए है कि आप अपने नौकरशाहों को काफी आजादी देते हैं?

बेशक हम नौकरशाहों को कठिन कार्य करने और नतीजे देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

भाषायी समुदायों के बीच एक किस्म की प्रतिस्पर्धा रही है। शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि ओडिशा ने कम से कम प्रति व्यक्ति आय के मामले में बंगाल को पीछे छोड़ दिया है।

मुझे खुशी है कि हम ऐसा करने में कामयाब रहे। इसका बंगाल के साथ किसी प्रतिस्पर्धा से लेना-देना नहीं है। यह सामान्य तरक्की है।

सत्रह साल में हालांकि ऐसा परिणाम देने के पीछे कुछ कारण रहे होंगे। क्या भ्रष्टाचार पर निगरानी या अंतिम व्यक्ति तक विकास योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए खास प्रयास किए गए हैं?

हमने इस सरकार को पारदर्शी और प्रगतिशील बनाए रखने की कोशिश की है। गरीबी दूर करने के लिए हमने बहुत मेहनत की है और काफी हद तक कामयाब भी हुए हैं।

और ऐसा आपने तब किया जबकि एक प्रतिष्ठित उड़िया परिवार से होने के बावजूद आपको उड़िया बोलनी नहीं आती?

नहीं, नहीं, कतई नहीं। बस मुझे इसका अवसर ही नहीं मिला। राजनीति में आने से पहले मैं ओडिशा में रहा ही नहीं।

फिर भी क्या आप कुछ दूरी बनाकर रखते हैं? एक व्यक्ति और एक नेता के बतौर?

जरूरी नहीं है। मुझे नहीं लगता कि मैं कोई दूरी बना के रखता हूं। मैं तो लगातार जनता से और बाकी सब के साथ संवाद में रहता हूं।

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