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इरोम राजनीति में आना चाह रही हैं तो स्वागत है उनकाः नजमा हेपतुल्ला

अगले वर्ष पंजाब और उत्तर प्रदेश के अलावा मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव हैं। मणिपुर के चुनाव इस संदर्भ में रोचक होने वाले हैं कि आयरन लेडी इरोम शर्मिला ने इस दफा न केवल राजनीति में आने की इच्छा जाहिर की है बल्कि वह मुख्यमंत्री भी बनना चाहती हैं। उधर भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना पूरा दम-खम लगा रखा है। मणिपुर के सामाजिक, राजनीतिक हालात पर वहां की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से बातचीतः
इरोम राजनीति में आना चाह रही हैं तो स्वागत है उनकाः नजमा हेपतुल्ला

इरोम शर्मिला राजनीति में आना चाहती हैं, मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं। एक महिला होने के नाते आप क्या कहेंगी?

मैंने तो हमेशा, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम किया है और कोशिश की है। इरोम ने बहुत संघर्ष किया है। अगर वह चुनाव लड़ना चाहती हैं और जनता उन्हें जिता देती तो वह बन सकती हैं। मैं भविष्यवाणी तो नहीं कर सकती हूं लेकिन इरोम ने 16 साल संघर्ष किया है। मणिपुर में महिलाएं बहुत मेहनती हैं। जागरुक हैं। वहां दुनिया का सबसे बड़ा महिला मार्केट लगता है (इमा मार्केट) जिसे महिलाएं ही चलाती हैं। मैं वहां की 18वीं राज्यपाल हूं और पहली महिला राज्यपाल हूं। इस नाते मैं भी वहां महिलाओं को संगठित कर रही हूं।     

 

मणिपुर के राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे क्या हैं?

आमतौर पर जो प्रदेशों के अंदर विकास के मुद्दे होते हैं वहीं मणिपुर के मु्ददे हैं। वहां विकास का मुद्दा सबसे बड़ा है। मणिपुर नॉर्थ-ईस्ट में है। म्यांमार की सीमा पर है। जाहिर है कि दूरी की वजह से आंखों से भी दूर रहा होगा। लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए मणिपुर न दिल से दूर है आंखों से दूर है। इसलिए उन्होंने नॉर्थ ईस्ट पर फोकस किया है। नारा दिया है कि लुक ईस्ट-वर्क ईस्ट।

 

मणिपुर म्यांमार की सीमा पर स्थित है। आए दिन वहां घुसपैठ की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इसपर आप क्या कहेंगी?

यही बात तो खास है कि मणिपुर सीमावर्ती राज्य है। पूरा नॉर्थ-ईस्ट ही सीमावर्ती है। म्यांमार, चीन, बांग्लादेश की सीमा के साथ सटा हुआ है। बीते वर्षों में वहां जो विकास की गति होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई। मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक घाटी का इलाका है,जिसमें ज्यादातर लोग घाटी में रहते हैं, एक पहाड़ी इलाका है, जो ज्यादा बड़ा इलाका है लेकिन वहां कम लोग रहते हैं। पहाड़ों में जाने के रास्ते नहीं हैं। सड़कें भी नहीं है। वे लोग बाकी दुनिया से अपने को कटा हुआ समझते हैं। इसका असर उनके जीवन पर होता है। स्वास्थ, तालीम आदि सभी पर।

 

मणिपुर विधानसभा में जो इनर लाइव परमिट को लेकर तीन विधेयक पास किए गए थे उसे लेकर नगा और कुकी लोग नाराज थे। अभी क्या स्थिति है ?

इनर लाइव परमिट को लेकर थोड़े मुद्दे हैं। उसपर कुछ लोगों को खासकर नगा लोगों को एतराज है। सरकार देख रही है। लेकिन उनकी सोच और मांगों का ख्याल रखा जाएगा। नाइंसाफी किसी के साथ नहीं होगी।

 

मुसलमानों के क्या मुद्दे हैं

जो दूसरे लोगों के मुद्दे हैं वहीं मुसलमानों के मुद्दे हैं। विकास का ही मुद्दा है। विकास की सख्त जरूरत है।   

 

युवा असंतोष को कैसे दूर किया जा सकता है?

युवा चाहते हैं कि उनका भविष्य उज्जवल हो। उन्हें शिक्षा, प्रशिक्षण, नौकरी सुरक्षा आदि सब मिले। वे जान-माल की सुरक्षा भी चाहते हैं। यही दूसरे लोग भी चाहते हैं। विकास की कमी की वजह से जो होना चाहिए था,जो मिलना चाहिए था वह नहीं हो पाया। पहाड़ी इलाका होने की वजह से वहां बड़े कारखाने नहीं लग सकते लेकिन वहां पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। वहां सुंदर झील, हरियाली, जैव विविधिता बहुत शानदार है। हालांकि वहां की झील में प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। उसकी वजह से वहां की जैव विविधता भी खतरे में है। पांच-छह तरह की मछलियां हमेशा के लिए खत्म हो चुकी हैं। इन सभी मोर्चों पर सरकार का काम चल रहा है। यह सब ईको-टूरिज्म के लिए बहुत जरूरी है। दुनिया भर में इसपर काम चल रहा है। पर्यटन पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। होटल बनाए जाएं, स्पा होने चाहिए। इससे युवाओं को नौकरियां मिलेंगी। नौकरियां होंगी तो असंतोष नहीं रहेगा।

 

राजनीति में आपका लंबा अनुभव रहा है। विकास की दृष्टि से आप मणिपुर के बारे में कैसा सोचती हैं?

उपरोक्त योजनाओं के अलावा वहां के लोगों की मुख्य समस्या स्वास्थ्य की है। गांव दूर हैं। लोगों को आने-जाने में दिक्कत होती है। मैंने केंद्र सरकार खास तौर पर प्रधानमंत्री जी को सुझाव दिया है कि वहां फ्लाइंग डॉक्टर सुविधा होनी चाहिए। हैलीकॉप्टर में एक डॉक्टर, नर्स और सहयोगी हो, गांव-गांव हैलीपैड पर उतकर मरीजों का इलाज किया जाए। स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जाएं क्योंकि सड़कें बनाने में वक्त लगता है और खर्च भी होता है। कई ऐसी जगहें हैं जहां रेल और सड़कें बन ही नहीं सकतीं। वहां डॉक्टरों के रहने के मकान नहीं हैं। नर्स और सहयोगियों के रहने की सुविधा हो। जड़ी-बूटियों के जरिये आयुर्वेद में योगदान लिया जा सकता है। आयूष के महकमे के साथ मिलकर रिसर्च किया जा सकता है। वहां की संस्कृति बहुत रईस है। उसे आगे लेकर जाया जा सकता है। मणिपुर में बेहरीन ऑर्केड होते हैं। उसके जरिये महिलाओं को रोजगार मिल सकता है। अभी तक हम ऑर्केड थाईलैंड से खरीदते हैं। चैरी ब्लॉस्म फेस्टिवल आयोजित किया जा सकता है। बहुत कुछ हो सकता है। मणिपुर एक ऐसा नोडल राज्य बनेगा कि लोग वहां खुशी से जाना चाहेंगे। 

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