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“केंद्र से मिली मदद नाकाफी”

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि राज्य में हालात दूसरे प्रदेशों से बेहतर हैं।...
“केंद्र से मिली मदद नाकाफी”

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि राज्य में हालात दूसरे प्रदेशों से बेहतर हैं। कोरोना से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए राज्य में मेडिकल उपकरणों की भी कमी नहीं है। हालांकि केंद्र से मिली मदद को वे नाकाफी मानते हैं। आउटलुक के हरीश मानव से बातचीत में उन्होंने महामारी से निपटने की सरकार की तैयारियों के बारे में भी बताया। बातचीत के प्रमुख अंश:

पंजाब में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे आप कैसे निपट रहे हैं?

बाकी राज्यों की तुलना में पंजाब के हालात बेहतर हैं। इस समय राज्य के 22 जिलों में से 17 प्रभावित हैं। 15 जिलों में तीन से अधिक संक्रमित हैं। हमारी तैयारी दो स्तर पर है- पहला, स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर और दूसरा, महामारी से बचाव। बचाव के लिहाज से देखें, तो केरल के बाद पंजाब दूसरा राज्य है जिसने पूरी तरह से कर्फ्यू लगाया है। स्वास्थ्य सेवाएं देखें, तो हम प्रतिदिन 800 से अधिक टेस्ट कर रहे हैं। दो प्राइवेट लैब को भी अनुमित दी गई है। हमने केंद्र से लुधियाना के दो सरकारी अस्पतालों को भी सूची में शामिल करने की अनुमति मांगी है। रैपिड टेस्टिंग किट्स मिलने पर बड़े पैमाने पर टेस्ट कर सकेंगे।

पहले कहा गया कि 95,000 एनआरआइ जनवरी के बाद पंजाब में आए, पर बाद में संख्या 55,000 बताई गई। वास्तविक स्थिति क्या है?

दो तरह की संख्या हैं। 95,000 एनआरआइ सीधे पंजाब के मोहाली, अमृतसर एयरपोर्ट और वाघा तथा करतारपुर लैंड पोर्ट के रास्ते लॉकडाउन की घोषणा से पहले आए। उन्हें घरों में क्वारंटाइन किया गया। इनमें से पांच कोरोना पॉजिटिव पाए गए जिन्हें अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया। ज्यादातर लोग क्वारंटाइन अवधि भी पूरी कर चुके हैं। दूसरे 55,000 वे एनआरआइ हैं जो दिल्ली के रास्ते पहुंचे। उन सबके टेस्ट दिल्ली एयरपोर्ट पर किए गए। उनकी तलाश भी हमने पूरी कर ली है। संभव है कि कुछ लोग अपनी विदेश यात्रा का ब्योरा छुपा रहे हैं। उनसे निवेदन है कि वे स्वेच्छा से जानकारी दें, अन्यथा उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाएंगे।

पहले नवांशहर कोरोना पॉजिटिव मामलों का हब था, अब मोहाली पहले स्थान पर है।

नवांशहर अब भी हॉटस्पॉट है। वहां संक्रमण के ज्यादातर मामले एक दूसरे से जुड़े थे। वहां आठ मरीज ठीक हो चुके हैं। किसी इलाके में पॉजिटिव मामलों की संख्या तेजी से इसलिए भी बढ़ती है कि वहां टेस्ट ज्यादा हुए। मोहाली में यही हुआ।

खबरें हैं कि बहुत से अस्पतालों में मास्क और पीपीई किट की किल्लत है। सच क्या है?

मेडिकल उपकरणों की कोई कमी नहीं है। हमने जरूरी उपकरण खरीदने के ऑर्डर दे रखे हैं। कोरोना मरीजों के लिए हमारे पास 5,000 बेड हैं। 52 सरकारी और 195 प्राइवेट आइसोलेशन सेंटर बनाए गए हैं। सरकारी अस्पतालों में 76 और प्राइवेट में 358 वेंटिलेटर हैं। सरकार ने और 93 वेंटिलेटर खरीदने के ऑर्डर दिए हैं। 66,490 एन-95 मास्क उपलब्ध हैं और 27 लाख के आर्डर दिए गए हैं। 16,000 पीपीई किट हैं और दो लाख के ऑर्डर दिए गए हैं।

हॉटस्पॉट से कैसे निपट रहे हैं?

हॉटस्पॉट को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। वहां आवाजाही पर काफी सख्ती है। हमने जांच की क्षमता 10 गुना तक बढ़ा दी है। 10 लाख रैपिड टेस्ट किट का ऑर्डर आइसीएमआर को दिया है। खुले बाजार से भी 10,000 किट खरीद रहे हैं। घरों में जाकर सैंपल लेने के लिए नवांशहर, होशियारपुर और मोहाली में मोबाइल वैन चलाई गई हैं।

केंद्र सरकार की तरफ से दी जा रही सहायता से संतुष्ट हैं?

केंद्र से हमें अभी तक जो मिला है, वह पर्याप्त नहीं है। जीएसटी का बकाया जारी करने के अलावा हमने विशेष पैकेज मांगा है। आपदा राहत कोष से हमें केंद्र से सिर्फ 225 करोड़ रुपये मिले हैं। मनरेगा खाते में कुल 928 करोड़ की ग्रांट मिली है। इतनी रकम से हम कैसे विपदा से निपट सकते हैं? हमें चिकित्सा उपकरण खरीदने और लाखों लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए काफी धन की जरूरत है। कर्मचारियों का वेतन और अन्य रूटीन खर्चों के अलावा गेहूं की खरीद के लिए भी धन चाहिए।

गेहूं की बंपर फसल की संभावना है। कटाई और मंडियों में काम करने के लिए इस बार प्रवासी श्रमिक नहीं हैं। कैसे करेंगे प्रबंध?

श्रमिकों की किल्लत नहीं है। लॉकडाउन के बावजूद हमने करीब 7.5 लाख प्रवासी श्रमिकों को रोका है। उनके वेतन, रहने और खाने का ध्यान रखा जा रहा है। मनरेगा श्रमिकों को भी लगाया जाएगा। किसानों और श्रमिकों को विशेष कर्फ्यू पास जारी किए गए हैं। करीब 4,000 अस्थायी कच्ची मंडियां खेतों के निकट स्थापित की गई हैं। 15 जून तक 30 सदस्यों का कंट्रोल रूम पूरी प्रक्रिया पर नजर रखेगा।

इस बार कंबाइन हार्वेस्टर से गेहूं की कटाई पर जोर रहेगा। इससे पशु चारे का संकट पैदा होने के आसार हैं।

कंबाइन हार्वेस्टर से चारे के नुकसान की धारणा गलत है। पीएयू द्वारा विकसित स्ट्रा-रीपर की मदद से 90 फीसदी तुड़ी प्राप्त की जा सकती है।

लॉकडाउन के बाद के हालात से निपटने के लिए क्या कोई टॉस्कफोर्स बनाने की तैयारी है?

हम टॉस्कफोर्स बना रहे हैं, जो 10 दिन में रिपोर्ट देगी। इसमें उद्योग, व्यापार, कृषि, स्वास्थ्य और सिविल सोसायटी से जुड़े 15 विशेषज्ञ सदस्य होंगे। कोरोना का कहर खत्म होने के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन करेंगे।

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