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“विकास की लकीर चेहरे पर दिखेगी, मीडिया में नहीं”

खनिज संपदा से भरपूर झारखंड की कमान दूसरी बार झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को मिली है।...
“विकास की लकीर चेहरे पर दिखेगी, मीडिया में नहीं”

खनिज संपदा से भरपूर झारखंड की कमान दूसरी बार झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को मिली है। उन्होंने भाजपा जैसे ताकवर विरोधी को हराकर जनता का विश्वास हासिल किया है। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आउटलुक से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब झारखंड में विकास की लकीर यहां के लोगों के चेहरे पर दिखेगी, मीडिया की सुर्खियों में नहीं। प्रस्तुत है, सोरेन से बातचीत के प्रमुख अंश:-

-विधानसभा चुनाव में इतनी बड़ी जीत पर आप क्या कहना चाहेंगे?

यह मेरी या किसी पार्टी की जीत नहीं है। यह गुरुजी (शिबू सोरेन) के त्याग और समर्पण की जीत है, यह झारखंड की जीत है।

- आपकी सरकार का एजेंडा क्या होगा?

अलग राज्य के रूप में झारखंड के सपनों को पूरा करने का दिन अब आया है। यह मतदाताओं की आकांक्षाओं को पूरा करने का संकल्प लेने का दिन है। हम ऐसा विकास करेंगे जो झारखंड के लोगों के चेहरे पर दिखेगा, केवल मीडिया की सुर्खियों में नहीं। हमारे लिए झारखंड सबसे पहले है, बाकी बातें बाद में।

- नागरिकता कानून और एनआरसी पर आपका नजरिया क्या है?

चुनावी व्यस्तता के कारण मैं अब तक इन दस्तावेजों को पढ़ नहीं पाया हूं, इसलिए अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। पहले मैं इन कानूनों का अध्ययन करूंगा, उसके बाद अपने सहयोगियों से विचार-विमर्श करके ही किसी फैसले पर पहुंचूंगा। वैसे मोटे तौर पर मैं कह सकता हूं कि यह देश के लोगों को एक बार फिर से लाइन में खड़ा करने वाला फैसला है। हम हमेशा राज्य और देश की भावना से खड़े रहने वाले लोग हैं। हमारी पार्टी की तो पैदाइश ही आंदोलन से हुई है।

– इस चुनावी जीत ने आपके भीतर क्या बदलाव किया है?

हम तो आज भी वैसे ही हैं, जैसे हमेशा थे। हम वैसे लोगों में नहीं जो जीतने पर खुशी से बेकाबू हो जाते हैं। हम लड़ने वाले लोग हैं, आंदोलन की उपज हैं। मेरी राजनीति लड़ाई और आंदोलन के इर्द-गिर्द घूमती है। यह जीत हमारे लिए एक चुनौती है, अवसर है। हम इसका सदुपयोग झारखंड को संवारने में करेंगे। झारखंड के लिए हम अपने विजन पर काम करेंगे और इस प्रदेश के लोग देखेंगे कि विकास क्या होता है।

- इस चुनाव ने आपको क्या सिखाया?

इस चुनाव से मैंने सीखा है कि कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी ताकतवर क्यों न हो जाए, जमीन से जुड़ा रहना चाहिए। आप जनता की भावनाओं से खेल कर सफल नहीं हो सकते। जनता के सपनों को कुचल कर जीत नहीं सकते। देश में कई ऐसे लोग हुए हैं, जिन्होंने अकेले लड़ाई लड़ी है और जीत हासिल की है। इस चुनाव ने हमें सिखाया है कि जनता को कभी निराश नहीं करना चाहिए, उसे भयभीत नहीं बनाना चाहिए।

- झारखंड चुनाव के नतीजों का क्या संदेश देखते हैं?

इस चुनाव ने साफ संदेश दिया है कि पहले स्थानीय मुद्दों का समाधान करें। अनुच्छेद 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दे हमारे लिए हो सकते हैं, लेकिन बेरोजगारी, जमीनी विकास और हमारी अस्मिता सबसे महत्वपूर्ण है। झारखंड की जनता ने साफ कहा है कि हमें अपने अस्तित्व की चिंता है। इसलिए पहले हमारी सुनो, बाकी बातें बाद में होती रहेंगी।

– अपने सहयोगियों के बारे में आप क्या कहेंगे?

हमने मिल-जुल कर चुनाव लड़ा। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री जैसी शख्सीयतों ने झारखंड में प्रचार किया, एक व्यक्ति को टारगेट पर रखा, लेकिन लोगों ने उन्हें करारा जवाब दिया। हमने अपने सहयोगियों के साथ लोगों से जुड़ने की रणनीति पर काम किया। हमारे सहयोगियों ने शानदार काम किया है। अब काम करने का समय आ गया है। हम इसमें सफल ही नहीं होंगे, बल्कि नई लकीर खींचेंगे।

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