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"कभी थे राजीव गांधी के घोर विरोधी", अब उद्धव ठाकरे ने उनके नाम से शुरू की नई अवॉर्ड योजना, मोदी सरकार ने हटाया दिया है पुरस्कार से नाम

महाराष्ट्र सरकार ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम देश के शीर्ष खेल...

महाराष्ट्र सरकार ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम देश के शीर्ष खेल रत्न पुरस्कार से हाटाए जाने के कुछ दिनों बाद ही उनके नाम पर एक आवॉर्ड शुरू करने का फैसला किया है। राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार ने "राजीव गांधी अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस इन आईटी सेक्टर" नाम से पुरस्कार शुरू करने का ऐलान किया है। यह अवार्ड उन आईटी कंपनियों को दिए जाएंगे, जिनके कार्य से समाज को मदद मिलेगी।

राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह पुरस्कार 1984 से 1989 तक देश के पीएम रहे राजीव गांधी के भारत में आईटी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने में योगदान को सम्मानित करने के लिए है। एक आधिकारिक रिलीज में कहा गया है कि यह पुरस्कार हर साल दिवंगत कांग्रेस नेता की जयंती 20 अगस्त को प्रदान किए जाएंगे, लेकिन इस वर्ष प्राप्तकर्ता का चयन 30 अक्टूबर तक किया जाएगा। इस पुरस्कार के लिए संगठनों के सिलेक्शन के लिए रूपरेखा तय करने के लिए महाराष्ट्र सूचना और प्रौद्योगिकी निगम नोडल एजेंसी होगी।

इस बारे में जानकारी देते हुए महाराष्ट्र सरकार के आईटी मंत्री सतेज पाटिल ने ट्वीट किया, 'महाराष्ट्र के आईटी राज्य मंत्री के रूप में बेहद गर्व के साथ यह ऐलान करना चाहता हूं कि महाविकास अघाड़ी सरकार ने पूर्व पीएम राजीव गांधी के नाम पर आईटी पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। हर साल 20 अगस्त को यह पुरस्कार दिया जाएगा।'

बता दें, पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने चल रहे टोक्यो ओलंपिक 2020 के दौरान खेल रत्न पुरस्कार का नाम राजीव गांधी से बदल कर हॉकी के नायक मेजर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया है। भारतीय हॉकी टीमों के टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद मोदी सरकार ने इस सम्मान का नाम महान हॉकी खिलाड़ी के नाम पर रखने का फैसला किया था।

गौरतलब हो कि शिवसेना महा विकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल होने से पहले तक राजीव गांधी की घोर विरोधी रही है। साल 2009 में महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक परियोजना को आम जनता के लिए खोला था। इसका नाम राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था। इसका विरोध शिवसेना ने जमकर किया था। वहीं, 2017 में शिवसेना ने राजीव गांधी आरोग्यदायी योजना का नाम बदलकर महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना करवा लिया था।

 

 

 

 

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