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यूपी घरेलू रक्षा विनिर्माण इकाईयों को मिलेंगे 4 लाख करोड़ रुपये के कार्य

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय...
यूपी घरेलू रक्षा विनिर्माण इकाईयों को मिलेंगे 4 लाख करोड़ रुपये के कार्य

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय नौसेना और उत्तर प्रदेश सरकार के मध्य महत्वपूर्ण एमओयू संपन्न हुआ। यूपीडा और ‘नेवल इनोवेशन एण्ड इण्डीजनाइजेशन आर्गनाइजेशन‘ के मध्य हुआ यह अनुबंध उत्तर प्रदेश में स्थापित हो रहे डिफेंस काॅरीडोर को व्यवहारिक सफलता तक ले जाने में सहायक बनेगा। इससे न केवल देश का रक्षा उद्योग भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं के अनुरूप अपने को तैयार कर सकेगा। भारतीय नौसेना में इनोवेशन के साथ ही स्वदेशीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। उत्तर प्रदेश डिफेन्स मैन्यूफैक्चरिंग काॅरीडोर में स्थापित होने वाले सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस के सहयोग से भारतीय नौसेना तकनीकी रूप से अपनी समस्याओं का समाधान तलाश सकेगी। साथ ही इस डिफेन्स काॅरीडोर में नौसेना की इकाई भी स्थापित होने की संभावना है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र से जुड़ी औद्योगिक इकाइयों के प्रोत्साहन में यह मील का पत्थर साबित होगा। रक्षा उपकरणों का निर्माण घरेलू स्तर पर होने से देश रक्षा क्षेत्र में भी जल्द आत्मनिर्भर बनेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि डिफेंस एक्सपो के बाद उत्तर प्रदेश के लिए डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर की दृष्टि से यह प्रस्तावित एमओयू अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए नेवल इनोवेशन एण्ड इण्डीजनाइजेशन आर्गनाइजेशन, एनआईआईओ‘ का शुभारम्भ भी हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि डिफेंस एक्सपो के बाद उत्तर प्रदेश के लिए डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर की दृष्टि से यह एमओयू बेहद महत्वपूर्ण है। खास बात यह है कि नेवल इनोवेशन इंडिजिनाइजेशन ऑर्गेनाइजेशन का शुभारंभ भी हुआ और भारतीय नौसेना तथा उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर के नोडल विभाग यूपीडा के बीच एक एमओयू हस्ताक्षरित हुआ है।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत विज़न में नवाचार और स्वदेशीकरण की तरफ लगातार हम सबका ध्यान आकर्षित किया है और इस दृष्टि से अभी हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा से संबंधित जिन 101 आइटम्स को भारत के अंदर ही मेक इन इंडिया की तर्ज पर निर्मित करने की कार्रवाई को आगे बढ़ाने का कार्य प्रारंभ किया है। इससे ना केवल आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने अपितु भारत के अंदर डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग काॅरिडोर की दृष्टि से उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा। इसमें खासतौर पर 101 वस्तुओं की सूची में जो उच्च प्रौद्योगिकी आधारित अनेक हथियार प्रणालियों सहित देश की रक्षा सेवाओं की जरूरतों को पूरा करने वाली जो विभिन्न वस्तुएं भी शामिल है। इस निर्णय से स्वदेशीकरण के लक्ष्य को  हासिल करने में मदद तो मिलेगी ही साथ ही देश का रक्षा उद्योग भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतों के अनुरूप अपने आप को तैयार कर सकेगा। नेवल इनोवेशन एण्ड इण्डीजनाइजेशन आर्गनाइजेशन की स्थापना से भारतीय नौसेना में इनोवेशन के साथ-साथ स्वदेशीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा तथा एक शैक्षणिक समुदाय एवं उद्योग के साथ-साथ एक बेहतर समन्वय भी इसके माध्यम से स्थापित हो पाएगा।

एमओयू हस्ताक्षरित होने के साथ ही नौसेना और यूपीडा के बीच औपचारिक रूप से एक संपर्क स्थापित करने में मदद मिलेगी। एमओयू हस्ताक्षरित होने से भारतीय नौसेना प्रदेश के डिफेंस काॅरिडोर में स्थापित होने वाले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के सहयोग से अपनी समस्याओं को तकनीकी समाधान भी तलाश कर सकेगी। इस एमओयू के माध्यम से भारतीय नौसेना द्वारा डिफेंस कॉरिडोर में अपनी इकाई स्थापित करने की भी संभावनाएं आगे बढ़ सकती हैं। भारतीय नौसेना का डिफेंस कॉरिडोर में स्थापित इकाईयों केे प्रारूप को विकसित करने के लिए नेवल एप्लीकेशन विकसित करने हेतु इंटरैक्शन संभावित हैं। भारतीय रक्षा उद्योग में त्वरित गति से बदलाव आज की आवश्यकता है। देश सिर्फ रक्षा बाजार के विस्तार पर ही केंद्रित नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन मेक इन इंडिया की नीति के अंतर्गत स्वदेशी उत्पादन पर भी हमें ध्यान देना होगा। उत्तर प्रदेश इस दृष्टि से अत्यंत संभावनाओं वाला प्रदेश है।

2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट का शुभारंभ उत्तर प्रदेश में किया था। उस समय उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए एक डिफेंस काॅरिडोर की घोषणा की थी। भारत सरकार द्वारा घोषित दो डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग काॅरिडोर्स में से उत्तर प्रदेश का एक है।
उत्तर प्रदेश डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग काॅरिडोर एक ग्रीन फील्ड परियोजना है। राज्य सरकार द्वारा डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग काॅरिडोर के विकास को को प्राथमिकता के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है और इस दिशा में उत्पादन की प्रक्रिया को गतिमान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन और छूट को भी एक पॉलिसी के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है। सिंगल विंडो प्रक्रिया के अंतर्गत रक्षा और एयरोस्पेस उत्पादन इकाइयों को भी इसमें समाहित किया गया है। मुझे बताता है कि वर्तमान में अलीगढ़ कानपुर झांसी चित्रकूट जनपद में 1290 हेक्टेयर से अधिग्रहण किया गया है। अलीगढ़ नोड में अधिग्रहीत समस्त भूमि निवेशकों को आवंटित की जा चुकी है।

उत्तर प्रदेश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग काॅरिडोर की स्थापना लखनऊ, कानपुर, आगरा, झांसी, चित्रकूट और अलीगढ़ जनपदों में की जा रही है। राज्य सरकार ने इन जनपदों के सम्पूर्ण भौगोलिक क्षेत्र को डिफेन्स काॅरिडोर में समाहित किया है। उत्तर प्रदेश सरकार बीते वर्षों से ही घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े और कड़े कदम लगातार उठा रही है। उत्तर प्रदेश में डिफेंस काॅरिडोर की स्थापना 6 जनपदों के 5,072 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जा रही है। इस काॅरीडोर का सबसे अधिक लाभ बुंदेलखण्ड को होगा। झांसी में 3,025 हेक्टेयर, कानपुर में 1,000 हेक्टेयर, चित्रकूट में 500 हेक्टेयर और आगरा में 300 हेक्टेयर भूमि पर काॅरिडोर के नोड्स स्थापित किये जा रहे हैं। इसके अलावा इस डिफेंस काॅरीडोर का विशेष हिस्सा लखनऊ और अलीगढ़ जनपदों में भी स्थापित होगा।

भारत के रक्षा उद्योग क्षेत्र में बहुत ही तेजी से बदलाव आ रहे हैं। बीते दिनों रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने ऐतिहासिक लेते हुए हल्के लड़ाकू हेलीकाॅप्टर, मालवाहक विमान, पारंपरिक पनडुब्बियां, तोपें, कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें सहित 101 विभिन्न उपकरणों व हथियारों के आयात पर पाबंदी लगाई है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस निर्णय से अगले कुछ वर्षों में घरेलू रक्षा उद्योग को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कार्य मिलेंगे।

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में पहली बार 5 से 9 फरवरी 2020 में डिफेंस एक्सपो 2020 का आयोजन किया गया था। यह डिफेंस एक्सपो अंतर्राष्ट्रीय डिफेंस एक्जीविशन का 11वां संस्करण था। उत्तर प्रदेश के लिए यह एक्सपो बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश में 23 निवेशक कंपनियों के साथ हमारे हस्ताक्षर हुए थे और लगभग 50 हजार करोड़ रुपए के निवेश की संभावना आगे बढ़ी थी।
इससे न केवल औद्योगिक निवेश और विकास को आगे बढ़ाने और रोजगार के सृजन को आगे बढ़ाने में मदद मिली बल्कि यह उत्तर प्रदेश की दृष्टि से एक बेहद महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित हुआ है।

 

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