Advertisement

सोशल मीडिया पर ‘लाल सलाम’, कॉमरेड लिखने के लिए असम में हो सकती है जेल

सोशल मीडिया पर ‘लाल सलाम’, ‘कॉमरेड’ लिखना या लेनिन की तस्वीर अपलोड करने पर अब आपको असम में...
सोशल मीडिया पर ‘लाल सलाम’, कॉमरेड लिखने के लिए असम में हो सकती है जेल

सोशल मीडिया पर ‘लाल सलाम’, ‘कॉमरेड’ लिखना या लेनिन की तस्वीर अपलोड करने पर अब आपको असम में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत सलाखों के पीछे डाल सकता है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने किसान नेता अखिल गोगोई के करीबी सहयोगी बिट्टू सोनोवाल के खिलाफ अपने आरोप पत्र में उल्लेख किया है कि उन्होंने अपने कुछ दोस्तों को कॉमरेड कहा था और दूसरों के बीच ‘लाल सलाम’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था।

एनआईए द्वारा यूएपीए के विभिन्न आरोपों के तहत सोनोवाल और गोगोई के दो अन्य सहयोगियों को इस साल की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। गोगोई को पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था जब असम ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा था।

गोगोई 16 दिसंबर, 2019 से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी, 253 ए, 153 बी और यूएपीए की धारा 18 और 39 के तहत एक एनआईए मामले (13/2019) के संबंध में हिरासत में हैं।

दरअसल, 29 मई को दायर आरोपपत्र में यह उल्लेख किया गया था कि सोनोवाल ने लेनिन की एक तस्वीर को "पूंजीपति हमें वह रस्सी बेचेंगे जिसके साथ हम उन्हें फांसी देंगे" इन शब्दों के साथ अपलोड किया था।

किसान संस्था कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस), गोगोई जिसके सलाहकार हैं, ने आरोप लगाया कि एनआईए द्वारा प्रस्तुत 40-पृष्ठ की चार्जशीट में उनके नेताओं के खिलाफ किसी भी आरोप को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है।

चार्जशीट का हवाला देते हुए केएमएसएस के अध्यक्ष भैस्को सैकिया ने कहा कि जांच एजेंसी केएमएसएस के नेताओं को माओवादियों के रूप में ब्रांड करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि किताबें जो बाजार में खुलेआम उपलब्ध हैं, उन्हें पढ़ना माओवादी होने का सबूत नहीं हो सकता।

सैकिया ने आगे कहा, “एनआईए यह दिखाना चाहती है कि अखिल गोगोई एक माओवादी हैं, लेकिन वे कोई ठोस सबूत नहीं दे सकते। उन्होंने माओवाद पर लिखी किताबों का भी जिक्र किया। एनआईए ने ‘एन इंट्रोडक्शन टू सोशलिज्म’ और ‘कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ जैसी किताबें जब्त की थीं। ये किताबें बाजार से खरीदी गई थीं। इनके आधार पर इस तरह के आरोप लगाना हास्यास्पद है।

सीएए के विरोधी आंदोलन पर सैकिया ने कहा कि यह आंदोलन लोगों का आंदोलन था। लोग विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे अपनी पहचान और संस्कृति को लेकर डर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनआईए कह रहा है कि केएमएसएस नेताओं की सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में भूमिका है और यह एक माओवादी हमले जैसा है। लेकिन हम हिंसा में विश्वास नहीं करते हैं।

पुलिस ने 12 दिसंबर को जोरहाट से गोगोई को गिरफ्तार किया था, जब गुवाहाटी में विरोधी सीएए विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिससे सार्वजनिक संपत्तियों को व्यापक नुकसान हुआ। तब से, उन्हें अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बावजूद रिहा नहीं किया गया है क्योंकि उनके खिलाफ नए मामले सामने आए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad