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डीटीसी बसों में महिलाएं सुरक्षित क्यों नहीं?

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों में महिला सुरक्षा के नाम पर नाम मात्र की व्यवस्था है। हाल ही में इस...
डीटीसी बसों में महिलाएं सुरक्षित क्यों नहीं?

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों में महिला सुरक्षा के नाम पर नाम मात्र की व्यवस्था है। हाल ही में इस बात पर मुहर तब लगी जब डीयू की ने आरोप लगाया कि बस में बैठा एक शख्स उसे देखकर अश्लील हरकत (मास्टरबेट) करने लगा। छात्रा ने घटना का वीडियो भी बनाया। यह घटना 7 फरवरी को हुई थी लेकिन छात्रा वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने से डर रही थी।

बाद में छात्रा ने ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर, दिल्ली पुलिस, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद और योगेंद्र यादव को टैग किया। छात्रा ने कहा कि उस शख्स की हरकत पर उसने शोर मचाया, लेकिन बस में मौजूद सभी यात्री खामोश बने रहे। कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। बड़ी मशक्क्त के बाद मामले में एफआईआर दर्ज हुई।

ये मानसिकता से भी जुड़ा मामला है। एक शख्स सरेआम ऐसी हरकतें करने की हिम्मत रखता है तो निश्चित रूप से वह भयंकर कुंठित है। दिल्ली में छेड़छाड़ और रेप के मामले लगातार हो रहे हैं। ‘रेप कैपिटल’ जैसी बातें दिल्ली के साथ जोड़ी जाने लगी हैं, जो इसकी छवि के लिए भी खतरनाक है। सवाल यह है कि प्रशासन और सरकार के स्तर पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट खासकर डीटीसी बसों में महिला सुरक्षा के नाम पर क्या हो रहा है?

सरकार के दावों से उलट है हकीकत

दिल्ली सरकार ने सत्ता में आने से पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिला सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे। कहा गया था कि अपराध रोकने के लिए बसों में सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) लगाए जाने के अलावा प्रत्येक बस में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाएगा।

सार्वजनिक वाहनों में पैनिक बटन व मोबाइल फोन पर एसओएस बटन की सुविधा देने की घोषणा की गई थी, लेकिन आप सरकार के तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद इस दिशा में कुछ नहीं किया गया।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी में चल रहीं करीब 5500 डीटीसी और क्लस्टर बसों में से सिर्फ 200 में ही सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। शुरुआत में बसों में होमगार्ड को तैनात किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे बसों में उनकी संख्या भी गायब हो गई।

शुरुआत में कुछ बसों में ट्रायल के रूप में सीसीटीवी कैमरे लगाए भी गए, लेकिन बाद में योजना की किसी ने सुध नहीं ली। स्थिति यह है कि सभी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और उनमें जीपीएस को प्रभावी करने की योजना फाइलों में बंद है। वर्तमान में इस दिशा में काम के नाम पर निजी बस ऑपरेटरों को नया परमिट देने से पूर्व उसमें सीसीटीवी और जीपीएस लगाए जाने को अनिवार्य कर दिया गया है। परिवहन मंत्रालय डीटीसी व क्लस्टर सेवा के अंतर्गत चल रही बसों में सीसीटीवी कैमरे कैसे लगाए जाएं और उनकी मॉनिटरिंग कैसे हो, इस पर अभी भी बैठकें ही कर रहा है। 

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