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हरियाणा की मंडियों में गेहूं की बाढ़, दो हफ्ते में आवक 50 लाख टन के पार, दो दिन के लिए खरीद की बंद

चंडीगढ़, हरियाणा ने दो दिन शनिवार और रविवार को मंडियों में गेहूं की खरीद बंद कर दी है। अप्रैल के पहले...
हरियाणा की मंडियों में गेहूं की बाढ़, दो हफ्ते में आवक 50 लाख टन के पार, दो दिन के लिए खरीद की बंद

चंडीगढ़, हरियाणा ने दो दिन शनिवार और रविवार को मंडियों में गेहूं की खरीद बंद कर दी है। अप्रैल के पहले हफ्ते पांच लाख टन पर अटकी गेहूं की आवक दूसरे हफ्ते में 50 लाख टन पार कर गई है। केंद्रीय हरियाणा के 10 जिलों की मंडियां गेहूं से अटी पड़ी हैं और उठान के लिए भी मंडियों में वाहनों का प्रवेश न हो पाने की सूरत में सरकार ने 17 व 18 अप्रैल के लिए गेहूं की मंडियों में आवक पर रोक लगा दी है। इन दो दिनों में मंडियों से केवल गेहूं का उठान होगा।

आउटलुक से बातचीत में हरियाणा के कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहा कि दक्षिणी हरियाणा में गेहूं की आवक और खरीद के हालात बाकी जिलांे से अलग हैं। दक्षिणी हरियाणा के रेवाड़ी,महेंद्रगढ़,भिवानी,नारनौल,और नूह मेवात में गेहूं के साथ करीब उतनी ही मात्रा सरसों की भी आ रही है जबकि बाकी जिलों में जोर केवल गेहूं की आवक का है। एमएसपी से 1200 रुपए अधिक प्रति क्विंटल भाव होने से सरसों की 100 फीसदी खरीद प्राइवेट व्यापारियांे द्वारा की जा रही है। दलाल के मुताबिक इस बार हरियाणा की मंडियों में 80 लाख टन से अधिक गेहूं आवक की उम्मीद है। 16 अप्रैल तक मंडियों में 50 लाख टन गेहूं आ चुकी है जिसमें से सरकारी एजेंसियों  ने 41.35 लाख टन की खरीद की है। उठान 25 लाख टन का हुआ है। प्रदेश में अब तक 1,60,270 किसानों के 4,33,262 जे फार्म बनाए जा चुके हैं। 16 अप्रैल तक किसानों को 873.27 करोड़ रुपए की राशि सीधे खातों में भेजी जा चुकी है। गेहूं के मंडियों से उठान मंे तेजी लाने के लिए सभी जिला उपायुक्तों को तैनात किया गया है।

आढ़तियों को ढाई फीसदी कमीशन सीधे उनके बैंक खातों में दिया जा रहा है। सीधे किसानों को बैंक खातों में भुगतान के विरोध में आढ़तियों की 7 अप्रैल को हड़ताल सरकार ने उन्हें पिछले साल की बकाया आढ़त और मजदूरी ब्याज समेत चुकाने के मुख्यमंत्री के एलान के साथ खत्म हो गई है। कृषि मंत्री दलाल का दावा है कि किसानांे को आढ़तियों के महंगे कर्ज जाल से मुक्त कराने की दिशा में डीबीटी वरदान साबित होगा। केंद्र के तीन कृषि कानूनांे के विरोध में प्रदेश के जो किसान राज्य सरकार के खिलाफ डटे हुए थे अब उनके सुर बदले हुए हैं। 

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