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छत्तीसगढ़ में गरम होता माहौल

एक बार फिर छत्तीसगढ़ की जमीन बड़े हिंसक दिनों की आहट महसूस कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा में हुई सभा, वहां से यह ऐलान करना कि हिंसा को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ठीक उसी समय माओवादियों द्वारा सुकमा के सैंकड़ों ग्रामीणों को बंधक बनाना-इस ओर इशारा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है।
छत्तीसगढ़ में गरम होता माहौल

 

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक  केंद्र सरकार, छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार के साथ मिलकर माओवादियों के खिलाफ जून-जुलाई में एक बड़ा अभियान शुरू करने की तैयारी में है। इसी की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दंतेवाडा में सभा का आयोजन किया गया था। दंतेवाडा को माओवादियों का गढ़ माना जाता है और भाजपा नेताओं की माने तो इस सभा के जरिए माओवादियों को उनके गढ़ में जाकर ललकारा गया है। अब उनके खात्मे की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। बहरहाल, इस तरह के जुमले छत्तीसगढ़ की राजनीति के लिए नए नहीं हैं। ऐसा कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार में भी तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने ऐलान किया था, तैयारियां भी शुरू कर दी थी। बाद में तगड़े विरोध के बाद ऑपरेशन ग्रीन हंट-(जिसे बाद में नकार दिया गया) को स्थगित कर दिया गया था। अभी इसी हंट को आगे बढ़ाने की तैयारी मोदी सरकार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में नक्सलबाड़ी से लेकर पंजाब में खूनी लड़ाइयों का जिक्र करते हुए कहा कि जब वहां ये सब खत्म हो गया तो यहां पर भी खत्म हो जाएगा। यहां भी यह खत्म होगा। आपकी समस्याओं का एकमात्र समाधान है विकास। अगर छत्तीसगढ़ इस समस्या से मुञ्चत हो जाता है तो वह देश का नबंर वन राज्य हो जाएगा। इस तरह से उन्होंने दंतेवाडा में यह संकेत दिया कि अब विकास की राह में कोई और रोड़ा नहीं बर्दाश्त किया जाएगा। प्रधानमंत्री की यात्रा का आर्थिक पक्ष भी बहुत तगड़ा था। जिन चार सहमति पत्रों पर (एमओयू) प्रधानमंत्री की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए वह 24,826 करोड़ रुपये के थे। बड़े निवेश की तैयारी के लिए जरूरी है कि विरोध के स्वर को शांत किया जाए। और इस बारे में राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इशारा किया।

 

रमन सिंह ने नक्सलियों से लडऩे के लिए नागालैंड सशस्त्र बल की मांग गृह मंत्रालय से की है। रमन सिंह का कहना है कि चूंकि सेना का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता इसलिए उन्हें नागालैंड सशस्त्र पुलिस की सेवाओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चूंकि इस बल को जंगलों में लडऩे का जबर्दस्त कौशल है, इसलिए राज्य को इनकी जरूरत है। गौरतलब है कि बस्तर इलाके में पहले भी इस बल को तैनात किया गया था। रमन सिंह के शब्दों में इस बल ने उस समय बहुत अच्छा काम किया था और यहां नक्सली प्रभाव कम हुआ था। वहीं दूसरी तरह नागा फोर्स को सबसे खुंखार बलों में गिना जाता है। ये मानवाधिकार उल्लंघन के लिए बेहद बदनाम रहे हैं। रमन सिंह ने बताया कि गृह मंत्रालय से यह आश्वासन मिला है कि नागा फोर्स के लिए वे नागालैंड सरकार से बात करेंगे।

 

उधर प्रधानमंत्री के दौरे से छत्तीसगढ़ के माओवादियों में गहरी बैचेनी है। यही वजह है कि ठीक यात्रा के समय ही सुखमा में बड़ी संक्चया में ग्रामीणों को बंधक बनाने और एक ग्रामीण (जिसे माओवादी पुलिस मुखबिर मानते थे) की हत्या करके माओवादियों ने सरकार को यह संकेत दिए कि वे आसानी से मैदान छोड़ने वाले नहीं हैं। माओवादियों ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का विरोध करते हुए बाकायदा एक पर्चा निकाला और बंद का आह्वान किया। आने वाले दिनों में उनके अभियान में भी और तेजी आने की उम्मीद है। इसकी वजह यह भी है कि बड़े पैमाने पर जिन परियोजनाओं को हरी झंडी मिली है, उससे जन-जंगल-जमीन पर कब्जे की लड़ाई भी तेज होगी। उधर छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ सलवा जुडूम जैसा गैर-कानूनी अभियान शुरू करने वाले महेंद्र कर्मा के बेटे छवींद्र कर्मा भी फिर नए सिरे  और नए नाम के साथ सलवा जुडूम सरीखा अभियान शुरू करने की तैयारी में हैं। छवींद्र कर्मा का दावा है कि इस बार बार ये अभियान शांतिपूर्ण रहेगा। वह 2013 की 25 मई को छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी में नक्सल हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा की दूसरी बरसी पर इस अभियान को फिर शुरू करने वाले हैं।यानी एक बार फिर मोर्चाबंदी तेज हो गई है। आर्थिक हितों की पूर्ति की लड़ाई भी ज्यादा बर्बर होने की आशंका है। आखिर करोड़ों रुपये के समझौतों की जमीन जो है, छत्तीसगढ़।  

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