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बंगाल: वंदे भारत पर पथराव, भाजपा ने मामले की जांच एनआईए से कराने की मांग की

हावड़ा और न्यू जलपाईगुड़ी को जोड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाए जाने के कुछ दिन बाद ही...
बंगाल: वंदे भारत पर पथराव, भाजपा ने मामले की जांच एनआईए से कराने की मांग की

हावड़ा और न्यू जलपाईगुड़ी को जोड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाए जाने के कुछ दिन बाद ही उस पर पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में पथराव किया गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा कराए जाने की मांग की है।

रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है। मालदा शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर कुमारगंज रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन पर पथराव किया गया। इस घटना में 22303 वंदे भारत एक्सप्रेस के डिब्बा संख्या सी-13 का शीशा टूट गया है।

कुमारगंज क्षेत्र पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एफएफआर) के कटिहार डिवीज़न के अधिकार क्षेत्र में आता है।अधिकारी ने बताया कि घटना सोमवार को शाम करीब पांच बजकर 10 मिनट पर हुई और ट्रेन को बीच रास्ते में नहीं रोका गया। यह मालदा टाउन रेलवे स्टेशन पर अपने तय कार्यक्रम के तहत ही रुकी।मालदा टाउन रेलवे स्टेशन राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के आईसी प्रशांत राय ने बताया कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) मामले की जांच कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 दिसंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हावड़ा स्टेशन से ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी।पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि क्या यह घटना हावड़ा स्टेशन पर उद्घाटन समारोह में ‘‘जय श्री राम’’ के नारे लगाने का ‘‘बदला’’ है ?

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ दुर्भाग्यपूर्ण व घिनौना। पश्चिम बंगाल के मालदा में भारत की शान वंदे भारत एक्सप्रेस पर पथराव। क्या ऐसा उद्घाटन समारोह में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने का बदला लेने के लिए किया गया? मैं प्रधानमंत्री कार्यालय, रेल मंत्रालय को मामले की जांच एनआईए को सौंपने और दोषियों को दंडित करने का आग्रह करता हूं।’’

उद्घाटन समारोह में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए थे, जिसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उस मंच पर जाने से इनकार कर दिया जहां से ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई थी।रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने बनर्जी को मनाने की कोशिश लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ममता बनर्जी मुख्यमंत्री मंच के सामने कुर्सी पर बैठ गई थीं।

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