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उत्तराखंड की वादियों में "सोलो बैंड" की धुन

उत्तराखंड के रामनगर में रहने वाले दीप रजवार अपने सोलो बैंड की वजह से सुर्खियों में हैं। वे बिना किसी की मदद लिए मुंह से माउथ ऑर्गन, हाथ से गिटार, पैरों से ड्रम बजाते हैं और इनकी धुन के साथ उनकी गायकी भी चलती रहती है। वे हर शाम कार्बेट पार्क के पास के होटलों में अपनी प्रतिभा से सैलानियों का दिल जीतते हैं।
उत्तराखंड की वादियों में

उत्तराखंड के रामनगर में रहने वाले दीप रजवार अपने सोलो बैंड की वजह से सुर्खियों में हैं। वे बिना किसी की मदद लिए मुंह से माउथ ऑर्गन, हाथ से गिटार, पैरों से ड्रम बजाते हैं और इनकी धुन के साथ उनकी गायकी भी चलती रहती है। वे हर शाम कार्बेट पार्क के पास के होटलों में अपनी प्रतिभा से सैलानियों का दिल जीतते हैं। संगीत के शौक और कड़े अभ्यास से तैयार सोलो बैंड में परफॉर्मेंस देख दर्शक भी एकबारगी हैरान हो जाते हैं। सोलो बैंड में दीप 3 से 4 घंटे तक कार्यक्रम कर लेते हैं। अब दीप सोलो बैंड में बांसुरी को जोड़ने के लिए कड़ा रियाज कर रहे हैं। उनका दावा है कि उत्तराखंड में सोलो बैंड के अकेले परफार्मेर वो ही हैं।

मुंह से माउथ आर्गन, उंगलियों से गिटार से निकला संगीत, पैरों से ड्रम और झांझर की तान के साथ सुरीली आवाज में गाना गाने के हुनर ने 38 साल के दीप ने अपनी मेहनत के दम पर सोलो बैंड बजाने में महारथ हासिल की है। स्थानीय लोगों के अलावा कार्बेट घूमने आने वाले देशी और विदेशी सैलानी दीप की प्रतिभा के मुरीद हैं। उनके कार्यक्रमों की खासी मांग भी रहती है।

दरअसल शहर के भरतपुरी मोहल्ले के रहने वाले दीप रजवार को बचपन से संगीत की धुन सवार हो गई थी। शहर में संगीत सिखाने वाला कोई नहीं था, इसलिए उन्होंने लोगों को देख-देखकर ही हारमोनियम और माउथ ऑर्गन बजाना सीखा। डिग्री कॉलेज और स्थानीय स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में उन्हें खासी तारीफ मिली, जिससे उनका उत्साह बढ़ा और वे 2002 में गिटार सीखने के लिए दिल्ली चले गए। इसी बीच उन्होंने यू-ट्यूब में अपनी परफॉर्मेंस के वीडियो डालने शुरु किए तो लोगों ने उसे सराहा और सुझाव भी दिए।

कैसे हुई इसकी शुरुआत

दीप का कहना है कि वे कार्यक्रमों में अलग-अलग लोगों को गिटार, माउथ ऑर्गन, ड्रम बजाते देखते थे तो मन में ख्याल आया कि इनको एक साथ भी बजाया जा सकता है। जिसके बाद उन्होंने वाद्य यंत्रों को एक साथ बजाने का रियाज शुरु किया। पहले उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे घंटों अभ्यास से उनकी राह आसान होती चली गई। वर्ष 2016 के आगमन पर उन्होंने नैनीताल के मशहूर बैंड स्टैंड में सोलो बैंड को लांच कर पहली प्रस्तुति दी। ‘सेव द नेचर’ थीम की प्रस्तुति को दर्शकों ने काफी सराहा था। इसके बाद उन्होंने कई जगहों पर प्रस्तुतियां दी और प्रसिद्ध हो गए।

दीप कार्बेट पार्क के समीप स्थित रिजॉर्ट में ठहरने वाले सैलानियों के समक्ष अपनी प्रस्तुतियां देते हैं और उनकी अच्छी-खासी कमाई भी होती है। उन्होंने वर्ष 2002 में आकाशवाणी के युवावाणी में गजलों की प्रस्तुतियां भी दी थीं। अब वे इन वाद्य यंत्रों के साथ बांसुरी को भी बजाने का अभ्यास कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर मन में कुछ करने की ठान ली जाए तो कड़ी मेहनत से उसे पूरा किया जा सकता है। उनके यू ट्यूब चैनल से दुनियाभर के लोग उनसे जुड़े हैं और समय-समय पर सुझाव भी देते रहते हैं।

सोलो बैंड के जरिए करेंगे जागरुक

दीप रजवार कहते हैं कि पर्यावरण संरक्षण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, अशिक्षा जैसे तमाम मुद्दों को लेकर वे उत्तराखंड में चेतना यात्रा निकालने की योजना बना रहे हैं। जिसके तहत वे जगह-जगह सोलो बैंड के माध्यम से छोटी-छोटी प्रस्तुतियां देंगे और लोगों को गंभीर मुद्दों पर जागरुक करने की कोशिश करेंगे। उनका मकसद है कि लोग संगीत की विधा को देखें और पर्यावरण जैसे ज्वलंत मसलों पर जागरुक हों। यह यात्रा कब से निकलेगी, इसकी तारीख अभी तय नहीं की है। 

वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर भी हैं दीप

दीप रजवार केवल संगीत के महारथी नहीं हैं, बल्कि वे अच्छे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर भी हैं। वन्यजीवों की जीवन शैली खासकर बाघों की खिंची उनकी फोटो वाइल्डलाइफ की चर्चित देशी-विदेशी मैगजीन सेंचुरी  एशिया, साइवस और कई वेबसाइट में जगह पा चुकी हैं। उनकी फोटो स्थानीय अखबारों में भी प्रकाशित होती रहती हैं। उन्हें उम्दा फोटोग्राफी के लिए इमेजिन इंडिया, वर्ड फोटोग्राफी फोरम, बियांड विजन, नैनीताल विंटर कार्निवाल सहित कई जगहों पर पुरस्कृत किया जा चुका है। वे कार्बेट लैंडस्केप में वन्यजीव संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाते रहे हैं।

 

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