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यूपी में जहरीली शराब से मौत पर रहस्य, सरकारी आंकड़े नहीं आने से उठे सवाल

उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। अभी तक सरकार की ओर से आधिकारिक...
यूपी में जहरीली शराब से मौत पर रहस्य, सरकारी आंकड़े नहीं आने से उठे सवाल

उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। अभी तक सरकार की ओर से आधिकारिक आंकड़े नहीं जारी किए गए हैं, जिसकी वजह से यह साफ नहीं हो पा रहा है कि जहरीली शराब से कितने लोगों की मौत हुई है। इससे सरकार की किरकिरी हो रही है। जबकि अन्य रिपोर्टों के आधार पर 40 से ज्यादा लोगों की मौत की बात कही जा रही है। शराब से मौत के मामले में तथ्यों को सामने रखने के बजाय अधिकारी छिपा रहे हैं। इसके अलावा अधिकारियों के अलग-अलग बयान के कारण मृतकों की संख्या उलझ गई है। मामले में निचले स्तर पर अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है लेकिन शासन स्तर पर लापरवाही बरतने वाले अफसरों को बख्श दिया गया है। 

कोई मंत्री सामूहिक विवाह में तो किसी का फोन स्विच ऑफ

मामले में जानकारी के लिए आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह को फोन किया गया तो उनके निजी सचिव ने फोन उठाया और बताया कि मंत्री जी सामूहिक विवाह के कार्यक्रम में हैं। आबकारी आयुक्त धीरज साहू को फोन किया गया तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। सरकार के आधिकारिक वाट्सएप ग्रुपों पर पत्रकारों ने अपडेट जानने के लिए कई बार लिखा लेकिन किसी अधिकारी ने आधिकारिक जानकारी नहीं दी। वहीं,  भाजपा महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने इस बारे में पूछने पर कहा कि अभी हम मीटिंग में हैं। कोई जरूरी है कि हम इस पर बयान दें? हम कुछ नहीं बोलेंगे।

यूपी में अवैध शराब के दोषियों के लिए है मृत्युदंड का प्रावधान

जहरीली शराब से मौतों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद अधिकारियों ने तेजी दिखाई और शासन स्तर पर मुख्य सचिव और डीजीपी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग की। इनके साथ आबकारी विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी और आबकारी आयुक्त धीरज साहू भी थे। जिला स्तरीय अधिकारियों को कार्यवाही के पाठ पढ़ाए गए। मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने कहा कि अवैध शराब से लोगों की मृत्यु की दशा में इस कारोबार में शामिल लोगों की संलिप्तता मिलने पर उनके खिलाफ मुकदमे में आबकारी अधिनियम की धारा ‘60क’ का उल्लेख अवश्य किया जाए, ताकि राज्य सरकार न्यायालय से दोषियों को मृत्युदण्ड दिला सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि आबकारी अधिनियम में धारा ‘60क’ के माध्यम से दोषियों के खिलाफ मृत्युदण्ड की सजा के प्राविधान का व्यापक प्रचार-प्रसार भी कराया जाए। यूपी देश का पहला राज्य है, जिसने अवैध शराब पर मृत्युदंड की सजा का प्रावधान किया है।

कुशीनगर और सहारनपुर जिले में अवैध शराब से हुई लोगों की मृत्यु की घटना का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध शराब के विरुद्ध 15 दिनों का संयुक्त अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

इन पर गिरी गाज

मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में आबकारी विभाग द्वारा जनपद कुशीनगर में तैनात जिला आबकारी अधिकारी योगेन्द्र नाथ रामू सिंह यादव, आबकारी निरीक्षक हृदय नारायण पाण्डेय, आबकारी सिपाही प्रहलाद सिंह, आबकारी सिपाही राजेश कुमार तिवारी, आबकारी सिपाही ब्रम्हानन्द श्रीवास्तव और आबकारी सिपाही रवीन्द्र कुमार को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया। इसी प्रकार, सहारनपुर की घटना के क्रम में जिला आबकारी अधिकारी अजय सिंह, आबकारी निरीक्षक गिरीश चन्द्र, आबकारी सिपाही नीरज कुमार और आबकारी सिपाही अरविन्द कुमार को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया।

सरकार और प्रशासन की लापरवाही का नतीजा: राज बब्बर

प्रदेश में जहरीली शराब से मौत पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि एक तरफ जहां प्रदेश में लगातार जहरीली शराब के सेवन से लोगों की मौतें हो रही हैं, वहीं प्रदेश की आदित्यनाथ सरकार एवं प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में जहरीली शराब से हुई मौतें सरकार और प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है, जिसके लिए प्रदेश की भाजपा सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है।

 गाय की जान इंसान से ज्यादा कीमती: भीम आर्मी

भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर नागल के उमाही में पहुंचे। उन्होंने हाथ जोड़कर लोगों से शराब छोड़ने की विनती की। प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार शराब की बिक्री बढ़ाना चाहती है और उससे होने वाली कमाई को गौशाला में लगाया जा रहा है, इंसान की कीमत कम हो गई है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मृतक के परिजनों को 25-25 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की। साथ ही सही मुआवजा ना मिलने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी।

पिछले वर्ष भी हुई थीं दर्जनों मौत

पिछले वर्ष उन्नाव और लखीमपुर में जहरीली शराब से दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई थीं। उस समय भी विपक्ष ने मामले की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था, किन्तु सरकार ने पिछली घटनाओं से कोई भी सबक नहीं लिया, जिसके परिणाम स्वरूप एक बार पुनः दर्जनों लोगों की मौत हो गईं।

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