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यूपी: गन्ना किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने की कवायद, 30 नवंबर बकाया भुगतान की डेडलाइन

उत्तर प्रदेश सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद गन्ना किसानों का बकाया भुगतान नहीं हो पा रहा है। जबकि...
यूपी: गन्ना किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने की कवायद, 30 नवंबर बकाया भुगतान की डेडलाइन

उत्तर प्रदेश सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद गन्ना किसानों का बकाया भुगतान नहीं हो पा रहा है। जबकि सरकार का वादा था कि गन्ना बकाया भुगतान 14 दिन में करेंगे। पांच दिन बाद एक अक्टूबर से सीजन शुरू होने वाला है और सरकार पर अभी नौ हजार सात सौ 70 करोड़ रुपया किसानों का बकाया है। इसलिए सरकार कोशिश कर रही है कि चीनी मिलों को पेराई के लिए तैयार करें और उनकी मदद करें। जिससे किसानों का गुस्सा शांत हो जाए।

चीनी मिलों को साढ़े चार रुपए प्रति किलो मिलेगा अनुदान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में किसानों को बकाया गन्ना भुगतान कराने के लिए चीनी मिलों को साढ़े चार रुपए प्रति किलो अनुदान देने का निर्णय लिया गया। इससे सरकार पर पांच सौ करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके अलावा चीनी मिलों को पांच फीसदी ब्याज दर पर पांच साल के लिए चार हजार करोड़ रुपए का साफ्ट लोन देने का निर्णय लिया गया है। मिल के डिफाल्टर होने पर 12 फीसदी ब्याज वसूला जाएगा। लोन उसी चीनी मिल को मिलेगा, जिसने कम से कम 30 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान किया हो। लोन के लिए एक शर्त रखी गई है कि पैसा आरटीजीएस के माध्यम से सीधे गन्ना किसानों के खाते में जाएगा।

चीनी बेचकर बकाया दे पाना मुश्किल

प्रमुख सचिव गन्ना संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि सरकार की ओर से बकाया गन्ना भुगतान के लिए चार हजार करोड़ साफ्ट लोन, पांच सौ करोड़ अनुदान, 887 करोड़ रुपए फेडरेशन को लोन, 23 करोड़ निगम को लोन और 725 करोड़ रुपए बिजली का भुगतान किया जाएगा। इस प्रकार कुल मिलाकर धनराशि 61 सौ 35 करोड़ रुपए होती है। इसके अलावा मिलों के पास करीब 46 टन चीनी अभी स्टॉक में है। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक 46 टन चीनी को तीस हजार रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से जोड़ने पर करीब 13 हजार आठ सौ करोड़ रुपए की चीनी स्टॉक में है, लेकिन चीनी बिक नहीं रही और 85 फीसदी चीनी पर बैंकों का कर्ज है। इसलिए इसे बेचकर भी पूरा पैसा किसानों को नहीं दे सकते।

नौ मिलों ने 50 फीसदी से कम किया भुगतान

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कुल 119 चीनी मिलें संचालित हैं। इसमें 24 सहकारी क्षेत्र की मिलें हैं और शेष निजी। किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान करीब नौ हजार 770 करोड़ रुपए बकाया है। इसमें निगम और फेडरेशन का 887 करोड़ रुपए बकाया है। सरकार किसानों को 887 करोड़ एकमुश्त उनके खाते में भेजने जा रही है। 63 चीनी मिलों ने 80 फीसदी, 42 चीनी मिलों ने 50 फीसदी और नौ मिलों ने 50 फीसदी से कम भुगतान किया है।

एथनाल की दर तय

गन्ने के रस से एथनाल बनाने के लिए भारत सरकार ने स्वीकृति दी है। इसके लिए सरकार की ओर से बी ग्रेड एथेनाल के लिए 53 रुपए और ए ग्रेड एथनाल के लिए 59 रुपए दर तय किया गया है। इससे एक तो किसानों को राहत मिलेगी, दूसरे विदेशी मुद्रा बचेगी।

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