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सरकारी विभागों पर बिजली बिल बकाए में यूपी अव्वल, नेता-अफसर बिल भरने में पीछे

देश में सरकारी विभागों पर बिजली बिल बकाए के मामले में यूपी पहले पायदान पर है। यदि सरकारी विभागों का...
सरकारी विभागों पर बिजली बिल बकाए में यूपी अव्वल, नेता-अफसर बिल भरने में पीछे

देश में सरकारी विभागों पर बिजली बिल बकाए के मामले में यूपी पहले पायदान पर है। यदि सरकारी विभागों का बकाया वसूल लिया जाए तो आसानी से बिजली कम्पनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकता है और उसका लाभ प्रदेश की जनता को भी मिलेगा। हालांकि इससे पहले भी सरकारी विभागों से वसूली के लिए बिजली विभाग की ओर से कई बार कवायद की गई, लेकिन वह अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाई।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज ऊर्जा मन्त्री श्रीकान्त शर्मा से उनके आवास पर मुलाकात कर एक जनहित प्रस्ताव सौंपा। उपभोक्ता परिषद ने 2018-19 में सितम्बर तक देश के दूसरे अन्य राज्यों के सरकारी बकायों का तुलनात्मक विवरण रखा, जिसमें यूपी देश का पहला राज्य है, जहां सबसे ज्यादा सरकारी विभागों पर बिजली का बिल बकाया है।

13,361 करोड़ का बकाया

प्रदेश के सरकारी विभागों पर 2018-19 में सितम्बर तक कुल बकाया 13,361 करोड़ है। जनहित प्रस्ताव के माध्यम से उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि बजटरी प्रोविजन कराकर सरकार विभागों से पूरा बकाया दिलाएं। उन्होंने सवाल उठाया कि 10 हजार के बिजली बिल बकाए पर अभियान चलाकर उपभोक्ताओं की बिजली काट दी जा रही है, लेकिन सरकारी विभागों की क्यों नहीं? प्रदेश के सरकारी विभागों पर बढ़ते विद्युत बकाए को सरकारी विभागों से वसूलकर विभाग को दिलाकर कैशगैप कम किया जाना चाहिए।

प्रीपेड मीटर लगाने का निर्णय सराहनीय

उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का निर्णय सराहनीय है। अब सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि देश में यूपी सरकारी विभागों से बिजली बिल बकाए में टॉपटेन में पहले पायदान पर  है, इस बकाए को कैसे विभाग को दिलाकर विभाग की आर्थिक हालत सुधारी जाए, जिससे उसका फायदा प्रदेश के उपभोक्ताओं को मिले। इसलिए सरकार को उच्च स्तर पर निर्णय लेकर इस बकाए को बजटरी प्रोविजन कराकर विभाग को दिलाने पर विचार किया जाना बहुत जरूरी हो गया है। इस बारे में सरकार को निर्णय लेने चाहिए। ऊर्जा मन्त्री श्रीकान्त शर्मा ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को यह आश्वासन दिया कि सरकार पूरे मामले पर गंभीर है। सरकारी विभागों के बकाया को हर हाल में कम करके उसका लाभ प्रदेश की जनता को दिलाने के लिए हर तरह से प्रभावी कदम उठाएगी और उपभोक्ता परिषद् के प्रस्ताव पर उचित कदम उठाया जाएगा।

राज्य              सरकारी विभागों पर बकाया

उत्तर प्रदेश                  13361 करोड़

तेलंगाना                   6737 करोड़

आन्ध्र प्रदेश                 4913 करोड़

महाराष्ट्र                    3332 करोड़

छत्तीसगढ                   2011 करोड़

केरल                      1835 करोड़

तमिलनाडु                   1620 करोड़

पंजाब                          1313 करोड़

बिहार                          1120 करोड़

हरियाणा                    969 करोड़

नोट- यह आंकड़े वित्त वर्ष 2018-19 में सितम्बर तक के हैं और इन आंकड़ों पर नीति आयोग की बैठक में चर्चा भी की गई थी। 

 

 

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