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झांसी के हिस्ट्रीशीटर और SHO का ऑडियो वायरल, निलंबित

उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के नाम पर लगातार एनकाउंटर हो रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक ऑडियो...
झांसी के हिस्ट्रीशीटर और SHO का ऑडियो वायरल, निलंबित

उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के नाम पर लगातार एनकाउंटर हो रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ जिसमें एक हिस्ट्रीशीटर और पुलिस अधिकारी के बीच बातचीत हो रही है।

हालांकि मामले के तूल पकड़ने के बाद उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि जैसे ही उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो के बारे में पता चला उन्होंने स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को निलंबित कर दिया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सर्विस से खुद को निष्कासित करने की भी योजना है।

कहा जा रहा है कि कुछ ही दिन पहले झांसी में लेखराज और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी। जिसमें लेखराज अपने साथियों और बेटों के साथ भागने में कामयाब रहा था। कथित तौर पर इस एनकाउंटर के बाद मऊरानीपुर थाना प्रभारी सुनीत कुमार और हिस्ट्रीशीटर लेखराज के बीच टेलीफोन पर यह बातचीत हुई।

इस ऑडियो क्लिप में सुना जा सकता है कि पुलिस अधिकारी हिस्ट्रीशीटर से कह रहा है कि सरेंडर कर दो नहीं तो एनकाउंटर में मार दिए जाओगे। वहीं हिस्ट्रीशीटर पुलिस अधिकारी को सहायता करने के लिए कह रहा है। पुलिस अधिकारी लेखराज को भाजपा के जिलाध्यक्ष संजय दुबे और बबीना के भाजपा विधायक राजीव सिंह परीक्षा को मैनेज करने की नसीहत देता है। हिस्ट्रीशीटर को पुलिस अधिकारी ने बताया कि दौर बदल चुका है भाजपा का शासन है और उसके पीछे पूरी एसटीएफ की टीम लगी हुई है। पुलिस अधिकारी उसे बताता है कि उसकी की लोकेशन ट्रेस की जा रही है उसके बेटे उसके गुर्गे सब मारे जा सकते हैं।

हिस्ट्रीशटर जब अपने बेटों, नाती-पोतों का हवाला देते हुए जब सहायता करने की बात कहता है तो पुलिस अधिकारी ने उसे बताया कि पिछले दिनों जब पुलिस लेखराज का एनकाउंटर करने गई थी, तब लेखराज इसलिए बच गया था क्योंकि पुलिस जानबूझकर हथियार के बगैर खाली हाथ ही गई थी।

पुलिस अधिकारी लेखराज से कहता है कि उसके ऊपर 60 से अधिक मुकदमे हैं और वह एनकाउंटर के लिए सबसे फिट केस है।

हालांकि इस ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता की पुष्टि आउटलुक नहीं करता लेकिन इसके वायरल होने के बाद सरकार और पुलिस पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। क्या पुलिस अपनी मनमानी करते हुए जिसे चाह रही है उसका एनकाउंटर कर रही है। क्या एनकाउंटर को भी मैनेज किया जा रहा है? क्या ट्रायल का मौका दिए बगैर ही सीधे मौत की नींद सुला दी जा रही है। इससे पहले मानवाधिकार आयोग ने भी योगी सरकार की एनकाउंटर संस्कृति पर सवाल उठाए थे।

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