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CM सर्बानंद सोनोवाल के खिलाफ पोस्ट लिखने के आरोप में बीजेपी के दो सोशल मीडिया वर्कर गिरफ्तार

निजी सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट के जरिए सांप्रदायिक टिप्पणी करने और मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का...
CM सर्बानंद सोनोवाल के खिलाफ पोस्ट लिखने के आरोप में बीजेपी के दो सोशल मीडिया वर्कर गिरफ्तार

निजी सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट के जरिए सांप्रदायिक टिप्पणी करने और मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का अपमान करने के आरोप में असम पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सोशल मीडिया टीम के दो सदस्य को गिरफ्तार किया। पुलिस ने इसी तरह के आरोपों पर राज्य भर से कम से कम तीन अन्य लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।

24 घंटे में 2 लोग गिरफ्तार

इस मामले को लेकर राज्य की पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पिछले 24 घंटों में दो लोगों को नितुमोनी बोरा और नानी गोपाल दत्ता को गिरफ्तार किया। वहीं, एक अन्य सदस्य हेमंत बरुआ के घर पर बुधवार रात को पुलिस ने छापा भी मारा था। बरुआ माजुली जिले का निवासी है, जो मुख्यमंत्री का भी निर्वाचन क्षेत्र है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, मोरीगांव के एसपी स्वप्निल डेका ने कहा, 'पिछली रात को राजू महंता ने नीतूमोनी बोरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया, जिसके आधार पर हमने उसे गिरफ्तार किया है। एफआईआर में बयान दर्ज करवाया गया है कि उसने मुख्यमंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।' सोशल मीडिया टीम ने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र के अस्तित्व पर सवाल उठाया।

गिरफ्तारी पर सोशल मीडिया टीम के सदस्य ने क्या कहा

नाम न छापने की शर्त पर भाजपा की सोशल मीडिया टीम के एक सदस्य ने कहा, ‘हम असम में पार्टी (भाजपा) को लोकप्रिय बनाने के लिए 2014 से बहुत मेहनत कर रहे हैं क्योंकि हम पार्टी और उसके आदर्शों से प्यार करते हैं। हमने तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ एक आक्रामक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया था, जो पार्टी और उसके कुशासन को उजागर कर रहा था, जो वास्तव में असम में परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त कर रहा था। हालांकि, हमारे सदस्यों को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा गिरफ्तार नहीं किया गया था’।

'अगर मैं सोशल मीडिया पर अपने मन की बात नहीं कह सकता तो यह असहिष्णुता है'

 

उन्होंने कहा, वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हमारे अधिकार का प्रयोग करने से हमें कैसे रोक सकते हैं? अगर मैं सोशल मीडिया पर अपने मन की बात नहीं कह सकता तो यह असहिष्णुता है। किसी भी सदस्य ने कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की। हालांकि, कुछ सदस्यों ने केवल अपनी नाखुशी व्यक्त की जब सरकार राज्य के स्वदेशी लोगों की रक्षा करने में विफल रही। इसमें कुछ भी गलत नहीं है’। बता दें कि इस साल जनवरी में, गुवाहाटी के एक पुलिस स्टेशन ने विवादास्पद नागरिकता बिल के खिलाफ 7 दिसंबर को हुई एक बैठक में कुछ वक्ताओं के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था।

सोशल मीडिया पोस्ट में क्या किया दावा

हाल ही में नीतू बोरा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट से दावा किया था कि बीजेपी सरकार प्रवासी मुस्लिम से स्थानीय असमियों की रक्षा करने में नाकाम रही है। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि इस स्थिति के लिए मुख्यमंत्री सोनोवाल जिम्मेदार हैं।

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