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मुंबई-पुणे के बीच दुनिया की पहली हाइपरलूप, 25 मिनट में पूरा होगा 3 घंटे का सफर

मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट का काम शुरू होने के बाद अब मुंबई के लोगों को इससे भी...
मुंबई-पुणे के बीच दुनिया की पहली हाइपरलूप, 25 मिनट में पूरा होगा 3 घंटे का सफर

मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट का काम शुरू होने के बाद अब मुंबई के लोगों को इससे भी दोगुने स्पीड से दौड़ने वाली हाइपरलूप ट्रेन का तोहफा मिलने जा रहा है। इसके शुरू होने पर दोनों शहरों के बीच 150 किलोमीटर की दूरी महज 14 से 25 मिनट में तय की जा सकेगी। अभी इसमें करीब तीन घंटे लगते हैं।

मुंबई-पुणे को हाइपरलूप से जोड़ने के लिए अमेरिकी कंपनी वर्जिन ग्रुप ने महाराष्ट्र सरकार के साथ इंटेंट अग्रीमेंट साइन करने की घोषणा की है। पिछले साल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने टेस्ला को महाराष्ट्र में हाइपरलूप के ट्रायल का न्योता दिया था। कंपनी का दावा है, इस तकनीक से 1000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से सफर किया जा सकता है।

15 करोड़ यात्री सफर कर पाएंगे

मैग्नेटिक महाराष्ट्रा इंन्वेस्टर समिट के दौरान रविवार को वर्जिन ग्रुप के चेरयमैन रिचर्ड ब्रैनसन ने कहा, 'मुंबई-पुणे के बीच वर्जिन हाइपलूप तैयार करने के लिए हमने महाराष्ट्र सरकार के साथ एक अग्रीमेंट साइन किया है और इसकी शुरुआत एक ऑपरेशनल डेमंस्ट्रेशन ट्रैक के साथ हुई है।' इसमें हर साल 15 करोड़ यात्री सफर कर पाएंगे। नवंबर 2017 में महाराष्ट्र सरकार ने इस रूट पर सर्वे के लिए कंपनी के साथ करार किया था।

रिचर्ड ने कहा, 'प्रस्तावित हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम यातायात की दुनिया को बदल देगा और यह मुंबई को दुनिया में अग्रणी बनाएगा। इस प्रॉजेक्ट का आर्थिक समाजिक लाभ 55 अरब डॉलर है।' उन्होंने दवा किया कि इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रॉजेक्ट की कीमत और टाइमलाइन डीटेल की अभी प्रतीक्षा है।

यहां भी जारी है हाइपरपूल का काम

इससे पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने विजयवाड़ा और अमरावती शहरों को हाइपरलूप से जोड़ने के लिए अमेरिकी कंपनी हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टेक्नॉलजीज (एचटीटी) समझौता किया था। दोनों शहरों के बीच की एक घंटे की यात्रा घटकर केवल 5-6 मिनट की रह जाएगी। इस समय सयुंक्त अरब अमीरात, अमेरिका, कनाडा, फिनलैंड और नीदर लैंड में भी हाइपरलूप पर काम जारी है।

क्या है हाइपरलूप?

हाइपरलूप टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क के दिमाग की उपज है, जिन्होंने साल 2013 में एक वाइटपेपर के रूप में हाइपरलूप की बेसिक डिजाइन से दुनिया को रू-ब-रू किया था। हाइपरलूप एक ट्यूब ट्रांसपॉर्ट टेक्नॉलजी है। इसके तहत खंभों के ऊपर (एलिवेटेड) ट्यूब बिछाई जाती है। इसके भीतर बुलेट जैसी शक्ल की लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है। वैक्यूम ट्यूब में कैपसूल को चुंबकीय शक्ति से दौड़ाया जाता है। बिजली के अलावा इसमें सौर और पवन ऊर्जा का भी उपयोग हो सकता है।  

इतना हो सकता है किराया?

हाइपरलूप में बिजली का खर्च बेहद कम है। पॉल्यूशन बिल्कुल नहीं होता है। समय हवाई या सड़क की तुलना में घटकर 20% रह जाएगा। इसका किराया हवाई किराये या टैक्सी कैब के बराबर रखा जा सकता है।

 

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