हनीमून के दौरान कथित तौर पर अपने पति की हत्या करने वाली सोनम रघुवंशी या किसी अन्य व्यक्ति का पुतला दशहरा उत्सव के दौरान नहीं जलाया जा सकेगा। मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि ऐसा न हो।
गौरतलब है कि सोनम के पति राजा रघुवंशी का शव मेघालय में उनके लापता होने के करीब डेढ़ हफ्ते बाद पूर्वी खासी हिल्स जिले के सोहरा इलाके (जिसे चेरापूंजी भी कहा जाता है) में एक झरने के पास एक गहरी खाई में मिला था। बाद में, इस मामले में सोनम और उनके कथित प्रेमी समेत कई अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इस मामले से आकृषित इंदौर स्थित सामाजिक संगठन 'पौरुष' (उत्पीड़न को आश्रय देने के लिए प्रयुक्त असमान नियमों के विरुद्ध लोग) ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि वह 'सूर्पणखा दहन' के लिए 11 सिरों वाला पुतला तैयार कर रहा है, जिसमें सोनम रघुवंशी सहित अपने पति, बच्चों या ससुराल वालों की जघन्य हत्याओं की आरोपी महिलाओं की तस्वीरें होंगी।
इस बीच, न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा की एकल पीठ ने शनिवार को कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस तरह का कृत्य अस्वीकार्य है और प्रतिवादी संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते। अदालत ने यह आदेश सोनम की मां संगीता रघुवंशी द्वारा संगठन के खिलाफ दायर याचिका पर पारित किया।
अदालत ने कहा, "यहां तक कि अगर याचिकाकर्ता की बेटी किसी आपराधिक मामले में आरोपी है और प्रतिवादी की उसके और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ जो भी शिकायत है, उसे इस तरह पुतला जलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जो निश्चित रूप से याचिकाकर्ता, उसकी बेटी और उसके पूरे परिवार के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।"
याचिकाकर्ता ने कहा कि पुतला दहन से उसके परिवार की गरिमा को गंभीर और स्थायी क्षति होगी तथा यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत प्रदत्त उनके मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन होगा, जिसमें जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के साथ-साथ कानून के समक्ष समानता का अधिकार भी शामिल है।
उन्होंने तर्क दिया कि भले ही उनकी बेटी किसी आपराधिक मामले में आरोपी हो, लेकिन संगठन की कार्रवाई सार्वजनिक अपमान का एक गैरकानूनी और असंवैधानिक कृत्य है, जो संभवतः परिवार की छवि को धूमिल करता है और उनकी निजता का उल्लंघन करता है।
राज्य के वकील ने कहा कि कानून के अनुसार जांच की जाएगी, लेकिन याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत पर्चे और अन्य दस्तावेजों की जांच के बाद, अदालत ने पाया कि संगठन की योजनाएं स्पष्ट और अस्वीकार्य थीं।
रविवार को पीटीआई से बात करते हुए संगीता रघुवंशी ने कहा कि अदालत ने अधिकारियों से कहा है कि इस तरह का कोई पुतला दहन न हो और ऐसे किसी भी गैरकानूनी या असंवैधानिक कृत्य को रोका जाए जिससे परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती है।"
उन्होंने कहा कि संगठन को अन्य राज्यों में आपराधिक आरोपों का सामना कर रही किसी भी महिला का पुतला जलाने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है, तथा इस बात पर जोर दिया गया है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी प्रथाएं स्वीकार्य नहीं हैं।
'पौरुष' के संयोजक अशोक दशोर ने कहा, "हमने पहले पुतला दहन को 'व्यभिचार, अनैतिकता, मूल्यहीनता और अभद्रता जैसे नकारात्मक गुणों' के प्रतीकात्मक विनाश के रूप में उचित ठहराया था और पौराणिक पात्रों से इसकी तुलना की थी। हालांकि, अदालत के निर्देश आने के बाद, हम आदेश का पालन करेंगे।"