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नीट के खिलाफ आवाज उठाने वाली अनिता ने की खुदकुशी, चेन्नई में एसएफआई ने किया प्रदर्शन

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने इस आत्महत्या के लिए केंद्र और राज्य सरकार को दोषी ठहराया है।
नीट के खिलाफ आवाज उठाने वाली अनिता ने की खुदकुशी, चेन्नई में एसएफआई ने किया प्रदर्शन

राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट दरवाजा खटखटाने वाली तमिलनाडु की दलित लड़की अनिता ने आत्महत्या कर ली। अनिता ने कुझुमुर गांव स्थित अपने ही घर में रस्सी से फांसी लगा ली। 17 साल की अनिता डॉक्टर बनना चाहती थी। अनिता के परिवारवालों को राज्य सरकार ने 7 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है।

वहीं अनिता की मौत से गुस्साये स्थानीय लोगों ने गांव में सड़क पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया और अन्नाद्रमुक की अगुवाई वाली राज्य सरकार की निंदा की। दूसरी तरफ अलग-अलग छात्र संगठनों ने इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। एसएफआई सदस्यों ने भी अनिता की मौत चैन्नई के माउंट रोड़ पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने इस आत्महत्या के लिए केंद्र और राज्य सरकार को दोषी ठहराया है। अनीता के माता-पिता को उनकी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी की अध्यक्षता वाली राज्य सरकार और केंद्र सरकार को उनकी मृत्यु की जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने शुरू में आश्वासन दिया था कि तमिलनाडु को नीट से एक साल की छूट मिलेगी।"

दिहाड़ी मजदूरी करने वाले अनिता के पिता ने बताया, "अनीता बड़ी मुश्किलों से लड़ते हुए इस मुकाम पर पहुंची थी, मेडिकल के लिए सीट हासिल न कर पाने को लेकर काफी परेशान थी, उसने क्या गलत किया, कौन जवाब देगा?"

क्या था मामला?

अनीता ने 12वीं की पढ़ाई तमिलनाडु स्टेट बोर्ड से की थी। उसके इस एग्जाम में 98 पर्सेंट नंबर आए थे। पिछले साल तक तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ऐडमिशन 12वीं के नंबरों के आधार पर मिलता था। यानी यही नियम जारी रहता तो अनीता को मेडिकल कोर्स में ऐडमिशन आसानी से मिल जाता। लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को नीट के तहत एग्जाम और काउंसिलिंग करने का आदेश दिया।

12वीं में शानदार प्रदर्शन करनी वाली अनीता को नीट में 700 में से महज 86 अंक ही प्राप्त हुए थे। अनीता ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि वो एमबीबीएस में दाखिले के लिए राज्य में नीट की परीक्षा के अंकों पर निर्भरता पर रोक लगाए। अनिता ने अपनी याचिका में कहा था कि नीट के प्रश्न पत्र काफी कठिन था और पूरी तरह से सीबीएसई पर आधारित था। उसने अपनी याचिका में इस बात का जिक्र किया था कि नीट का परीक्षा प्रारूप राज्य के पाठ्यक्रम के स्टूडेंट के साथ न्याय नहीं कर रहा है। लेकिन कोर्ट ने अनीता की मांग को ठुकरा दिया।ऐसे में उसे एमबीबीएस कोर्स में दाखिला नहीं मिल पाया। इस कारण वह तनाव में थी। 

 

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