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घाटी में बंद के पोस्टर के बाद नहीं खुलीं दुकानें, हालात गृहमंत्री के बयान के उलट

घाटी के कुछ क्षेत्रों में दुकानदारों को दुकान बंद करने की चेतावनी देने वाले पोस्टर सामने आने के बाद आज...
घाटी में बंद के पोस्टर के बाद नहीं खुलीं दुकानें, हालात गृहमंत्री के बयान के उलट

घाटी के कुछ क्षेत्रों में दुकानदारों को दुकान बंद करने की चेतावनी देने वाले पोस्टर सामने आने के बाद आज घाटी की सभी दुकानें बंद रहीं। कश्मीर में बंद का सिलसिला लगातार जारी है। कभी-कभार ही कुछ दुकानें खुलती हैं। लेकिन इस बार दुकान न खोलने के पोस्टर जारी किए गए हैं। लगातार बंद रहने से घाटी का कारोबार प्रभावित हो रहा है। इतना ही नहीं कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में सार्वजनिक परिवहन भी बंद रहा।

गृहमंत्री के बयान के उलट हालात

बुधवार को ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बयान दिया था कि घाटी धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। दिलचस्प यह है कि उनके इस बयान के एक दिन पहले ही घाटी में कई जगह बंद के पोस्टर देखे गए। बंद का असर मध्य कश्मीर में श्रीनगर और गंदरबल जिलों, अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिलों और उत्तर के कुछ क्षेत्रों में है। पिछले कुछ हफ्तों से दुकानें सुबह के वक्त खुल रही थीं लेकिन बंद की चेतावनी वाले पोस्टर देखे जाने के बाद दुकादारों ने अपनी दुकानें बंद ही रखीं। इक्के-दुक्के रिक्शा और एक जिले से दूसरे जिले में चलने वाली कुछ कैब्स के अलावा सड़क पर सार्वजनिक परिवहन के साधन भी नदारद थे।

सभी बड़े नेता नजरबंद

घाटी में 5 अगस्त से ही प्री-पेड मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। 5 अगस्त को ही केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले की घोषणा की थी। घोषणा के बाद से ही घाटी के शीर्ष राजनेता और अलगाववादियों को सरकार ने हिरासत में रखा हुआ है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने तभी से दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद कर रखा है।

केंद्र सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री और श्रीनगर के मौजूदा लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला को विवादास्पद सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया है। यह कानून, उनके पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने 1978 में तब बनाया था जब वह मुख्यमंत्री थे।

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