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शिवसेना का भाजपा से सवाल- बुलेट ट्रेन पर करोड़ों खर्च हो रहा तो दूध उत्पादक किसानों पर क्यों नहीं

महाराष्ट्र में दूध की कीमतें बढ़ाने की मांग को लेकर सोमवार को दूध उत्पादक किसानों और दूध संघों ने...
शिवसेना का भाजपा से सवाल- बुलेट ट्रेन पर करोड़ों खर्च हो रहा तो दूध उत्पादक किसानों पर क्यों नहीं

महाराष्ट्र में दूध की कीमतें बढ़ाने की मांग को लेकर सोमवार को दूध उत्पादक किसानों और दूध संघों ने आंदोलन किया। दूध उत्पादकों के आंदोलन के बाद राज्य में भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना एक बार फिर पीएम मोदी और भाजपा पर हमला बोला है।

शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने मंगलवार को केंद्र और राज्य सरकार से सवाल करते हुए कहा, क्या सरकार दूध किसानों को सब्सिडी नहीं दे सकती , तो क्या उनसे बात भी नहीं कर सकती? न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राउत ने कहा, आप (सरकार) किसानों को नहीं सुन रहे हैं लेकिन आप बुलेट ट्रेन और मेट्रो रेल जैसी परियोजनाओं पर 300-400 करोड़ रुपये खर्च करने के लिए तैयार हैं। क्या किसानों ने बुलेट ट्रेन की मांग की?

दरअसल, सोमवार को जहां दूध उत्पादक किसानों और दूध संघों के लोग आंदोलन कर रहे थे। इस बीच आंदोलन की अगुआई कर रहे स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के कार्यकर्ताओं ने पुणे में दूध की सप्लाई को रोक दिया। इस दौरान एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें महाराष्ट्र के मालेगांव में कुछ लोग दूध के एक ट्रक को आग के हवाले करते दिख रहे थे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि ये लोग किसान ही हैं। इस पूरे मामले को लेकर शिवसेना ने आज राज्य और केंद्र सरकार पर हमला बोला है।

जानें क्या है किसानों की मांगें?

कीमत में पांच रुपये की वृद्धि और दूध से बनने वाले पाउडर को अनुदान की अपनी मांग पूरी कराने के लिए आंदोलनकारी और दूध संघ मुंबई में दूध आपूर्ति ठप करने की कोशिश कर रहे हैं।

इससे पहले लोकसभा सांसद राजू शेट्टी ने कहा था, ‘किसान डेयरी में 17 रुपये प्रति लीटर दूध बेचते हैं। इसके प्रसंस्करण के बाद डेयरी इसे पाउच में पैक करते हैं और 42 रुपये प्रति लीटर न्यूनतम दर से बेचते हैं। कमाई में इस अंतर का लाभ किसान को नहीं मिलता है।’

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख शेट्टी ने कहा कि दूध की खरीद पर प्रति लीटर पांच रुपये की तत्काल वृद्धि की जाए। वहीं अखिल भारतीय किसान सभा के अजीत नवाले ने बताया कि अगर राज्य सरकार ऊंची कीमतों पर दूध खरीदने में असफल रहता या डेयरी किसानों को विशेष सब्सिडी नहीं देते हैं तो यह आंदोलन और तेज होगा।

 

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