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नागपुर: दशहरा रैली में बोले आरएसएस प्रमुख, जो अर्थनीति सबका हित नहीं साधती उस पर विचार हो

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शनिवार को नागपुर में विजयदशमी के अवसर पर अपना स्थापना दिवस मनाया।हर...
नागपुर: दशहरा रैली में बोले आरएसएस प्रमुख, जो अर्थनीति सबका हित नहीं साधती उस पर विचार हो

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शनिवार को नागपुर में विजयदशमी के अवसर पर अपना स्थापना दिवस मनाया।हर साल की तरह इस दिन भी आरएसएस ने स्थापना दिवस कार्यक्रम में अपना शक्ति प्रदर्शन किया। इस मौके पर स्वयंसेवकों का पथ संचलन सुबह 6.15 बजे रेशमबाग मैदान से शुरु हुआ, जो पूरे शहर से होकर गुजरा। इस मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन के शुरुआत में कहा, शुक्रवार को मुंबई में जो दुखद घटना हुई, उसको लेकर सभी के मन में वेदना है। भागवत ने कहा कि जीवन में ऐसी बातों का सामना करके आगे बढ़ना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विजयादशमी का पर्व विजय देने वाला पर्व है।

स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान मोदी सरकार के काम और पॉलिसी की तारीफ करते हुए भागवत ने कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ समान नागरिक संहिता और म्यांमार की रोहिंग्या शरणार्थी समस्या का जिक्र किया। वहीं, संघ प्रमुख ने अपने भाषण में डोकलाम में भारत की रणनीति और धैर्य की भी तारीफ की।   

'सत्तर साल बाद अब महसूस हुई आजादी '

मोहन भागवत नागपुर में दशहरा रैली के दौरान कार्यकर्ताओं को दशहरे की शुभकामनाएं दी और कहा कि देश में सत्तर साल बाद अब आजादी महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि हम 70 साल से स्वतंत्र हैं, फिर भी पहली बार अहसास हो रहा है कि भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। भारत पहले भी था, हम सब भी थे, लेकिन भारत को गंभीरतापूर्वक देखना और भारत में दखल देने से पहले 10 बार विचार करना। यह बातें केवल आज सामने ही आई हैं।

आरएसएस प्रमुख ने कहा, जम्मू और लद्दाख के साथ पहले सौतेला व्यवहार किया गया। 2-3 महीने पहले कश्मीर में स्थितियां अनिश्चित थीं, लेकिन जिस तरह से अलगाववादियों से निपटा गया है, पुलिस और सेना को पूरा कंट्रोल दिया गया, वह सराहनीय है।

'कश्मीर में देश विरोधी ताकतों की आर्थिक रूप से कमर टूट गई'

वहीं, भागवत ने बोला कि सीमाओं पर सुरक्षा को चुनौती देने वालों को हमने जवाब दिया, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उन्हें जवाब मिला है। कश्मीर में देश विरोधी ताकतों की आर्थिक रूप से कमर टूट गई है। कश्मीर घाटी में शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं जैसी चाहिए वैसी नहीं पहुंच रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीरी पंडित नागरिक अधिकारों से वंचित हैं। अलगाववादियों पर सख्ती जारी रखते हुए वहां के नागरिकों को आत्मीयता का अनुभव कराना चाहिए, इसके लिए नए प्रावधान बनाने पड़े तो बनाना चाहिए, पुराने प्रावधान हटाने पड़े तो हटाना चाहिए।

'जिहादी और राष्ट्र विरोधी ताकतें अपना खेल खेल रही हैं'

इसके अलावा केरल और बंगाल को लेकर भी उन्होंने टिप्पणी की। भागवत ने कहा कि वहां जिहादी और राष्ट्र विरोधी ताकतें अपना खेल खेल रही हैं। शासन-प्रशासन वहां का ध्यान नहीं देता है, वह भी उन्हीं का साथ देता है। राजनीति में वोटों की खुशामद करनी पड़ती है, लेकिन समाज मालिक है। उस समाज को जागरूक बनाना चाहिए।

'रोहिंग्या को आश्रय दिया तो रोजगार और सुरक्षा पर होगा संकट '

रोहिंग्या पर आरएसएस प्रमुख ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को अगर आश्रय दिया तो रोजगार पर भार और सुरक्षा पर संकट होगा। मानवता की बात ठीक है पर उसके लिए कोई अपने मानवों को समाप्त करे ये ठीक नहीं। वह वहां से यहां क्यों आए हैं। वहां क्यों नहीं रह सकते। सारी जानकारी लेते हैं तो ध्यान आता है कि उनकी अलगाववादी, हिंसक और आपराधिक गतिविधियां इसका कारण हैं। जिहादी ताकतों से उनके संबंध वहां पर उजागर हो गए। इसलिए उस देश के शासन का रवैया भी उनके प्रति कड़ा ही है।

गोरक्षकों को परेशान नहीं होना चाहिए, अपना काम करते रहना चाहिए

सीमा की समस्याएं कहीं नहीं हैं। सब प्रकार की तस्करी विशेषकर गो तस्करी, बांग्लादेश की सीमा पर चलती है। गोरक्षक और गोरक्षा का प्रचार करने वाले मुस्लिम भी हैं दूसरे संप्रदायों के भी हैं। गाय की रक्षा करने वालों की यूपी में हत्या हुई जिसमें सिर्फ बजरंग दल वाले ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी शहीद हुए। जो गोरक्षा की आड़ में हिंसा करते हैं कानून उन पर ऐक्शन लेगा, गोरक्षकों को परेशान नहीं होना चाहिए, अपना काम करते रहना चाहिए। शब्द किसी पर चिपकाना उसे बदनाम करना ठीक नहीं, विजिलांटे शब्द को गाली जैसा बना दिया और गाय के साथ चिपका दिया।

'जो अर्थनीति सबका हित नहीं साधती उस पर विचार हो'

रैली में भागवत ने कहा कि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए, आर्थिक प्रगति के लिए कई योजना चली। जनधन सहित कई योजनाओं को चलाने के साथ साहसिक फैसले भी लिए गए। पर आकलन करना पड़ेगा कि क्या असर हुआ। उन्होंने कहा कि जो अर्थनीति सबका हित नहीं साधती उस पर विचार हो, हमें सब तबके को साथ लेकर चलने वाली नीति चाहिए, हमें अपने देश के हिसाब से अपनी नीति पर काम करना होगा, दुनिया के घिसे-पिटे मानक क्यों मानें।

उन्‍होंने कहा कि शासन के अच्छे संकल्प तो हैं लेकिन इसको लागू कराना और पारदर्शिता का ध्यान रखना जरूरी है। लोगों के लाभ के लिए अनेक योजनाएं चलीं। साहस करने में भी शासन कम नहीं है, लेकिन जो किया है उसका हो क्या रहा है, इसे समझना चाहिए। देश में आर्थिक सुधार के लिए एक मानक सही नहीं हो सकता।

'आर्थिक भूचालों का असर भारत पर सबसे कम '

इस दौरान आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि देश में हर हाथ को काम मिलना चाहिए। स्वरोजगार, लघु, मध्यम और कुटीर उद्योग से सबसे ज्यादा काम मिलता है। विश्व के आर्थिक भूचालों का असर भारत पर सबसे कम हुआ। ऐसा छोटे व्यापारों की वजह से हुआ।

'मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की'

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ लाल कृष्‍ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी पहुंचे। विजय दशमी के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की, जिसकी परंपरा काफी समय से चली आ रही है।

 




 

  

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