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सीएए के खिलाफ पंजाब विधानसभा में पारित हुआ प्रस्ताव, केरल के बाद ऐसा करने वाला दूसरा राज्य

पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून को रद्द करने...
सीएए के खिलाफ पंजाब विधानसभा में पारित हुआ प्रस्ताव, केरल के बाद ऐसा करने वाला दूसरा राज्य

पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून को रद्द करने की मांग करने वाला प्रस्ताव पेश किया। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में भी संशोधनकी मांग की है, ताकि लोगों के बीच फैले एनपीआर और एनआरसी के डर को खत्म किया जा सके। बता दें कि पंजाब से पहले केरल की लेफ्ट सरकार भी ऐसा प्रस्ताव ला चुकी है।

पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को कहा था कि वह सीएए, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के मुद्दे पर सदन की भावना के अनुसार आगे बढ़ेगी। इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को दो दिवसीय विधानसभा सत्र के दौरान नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने की संभावना से इनकार नहीं किया था। केरल की तरह राज्य सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने के सवाल पर सिंह ने 17 जनवरी तक इंतजार करने को कहा था।

कहा जा रहा है कि कांग्रेस शासित राज्यों में आने वाले हफ्तों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने की संभावना है। इस दौरान राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया को रोकने का काम भी किया जाएगा। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि वे प्रस्तावित प्रस्ताव के कानूनी प्रभाव का मूल्यांकन कर रहे हैं।

'17 जनवरी का इंतजार कीजिए'

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने के सवाल पर कहा था कि कल तक इंतजार कीजिए। इससे पहले सीएम अमरिंदर ने कहा था कि उनकी सरकार विभाजन करने वाले इस कानून को लागू नहीं होने देगी। यह कानून एनआरसी और एनपीआर के साथ भारतीय संविधान का उल्लंघन करता है।

केरल में पास हो चुका है प्रस्ताव

कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्रियों और गठबंधन सहयोगियों को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए सूचित किया है। अब तक केरल ने सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार भी पहले ही कह चुकी है कि वह नए कानून के खिलाफ है।

विपक्ष ने की थी एनपीआर को रोकने की मांग

सोमवार को विपक्ष की बैठक ने सभी समान विचारधारा वाले मुख्यमंत्रियों को एनपीआर प्रक्रिया को रोकने के लिए कहा है। विपक्षी दलों के प्रस्ताव में कहा गया, 'सीएए, एनपीआर या एनआरसी एक पैकेज है, जो असंवैधानिक है, क्योंकि यह विशेष रूप से गरीबों, एससी/एसटी, भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्षित करता है। एनपीआर एनआरसी का आधार है। हम सीएए को तत्काल वापस लेने और राष्ट्रव्यापी एनपीआर को रोकने की मांग करते हैं।'

क्या है नागरिकता कानून

केंद्र सरकार नागरिकता अधिनियम, 1955 में बदलाव करने हेतु संसद में नागरिकता संशोधन बिल लेकर आई। दोनों सदनों में इस बिल के बहुमत से पास होने के बाद 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस पर अपनी मुहर लगा दी, जिसके करीब एक महीने बाद सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसे पूरे देश में लागू कर दिया है। इस कानून के मुताबिक अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हुए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी। कानून लागू होने से पहले इन्हें अवैध शरणार्थी माना जाता था।

जानें क्यों हो रहा है सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन

सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का मानना है कि यह कानून भारत के संविधान के खिलाफ है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि ये भारत के संविधान की सेक्युलर संरचना पर हमला करता है। लोगों का मानना है कि इस कानून के दायरे में पड़ोसी देशों में पीड़ित मुसलमानों को भी शामिल करना चाहिए। उनका यह भी आरोप है कि जब देश में एनआरसी लागू होगा तो दस्तावेजों के अभाव में लाखों लोगों को नागरिकता साबित करने में मुश्किल आएगी या फिर डिटेंशन सेंटर में जाना पड़ेगा।

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