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पेड न्यूज मामला: हाईकोर्ट के निर्देश का नरोत्तम मिश्रा ने स्वागत किया

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ द्वारा चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर मांगे गए जवाब का प्रदेश के जनसम्पर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्वागत किया है।
पेड न्यूज मामला: हाईकोर्ट के निर्देश का नरोत्तम मिश्रा ने स्वागत किया

हाई कोर्ट ने इस मामले में शुक्रवार को आयोग के आदेश पर मध्यप्रदेश सरकार के जनसम्पर्क विधि-विधाई और संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को स्टे देने की बजाय आयोग को ही अपना उत्तर देने के लिए 5 जुलाई तक का समय दिया है। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने आउटलुक  से कहा, ‘'मैं हाई कोर्ट के आदेश का स्वागत करता हूं।’'

दरअसल, चुनाव आयोग द्वारा जून 24 को दिए गए फैसले के खिलाफ मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बीते दिनों हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए ग्वालियर खंडपीठ में याचिका लगाई थी। पेड न्यूज की एक शिकायत पर ‌लिए अपने फैसले में चुनाव आयोग नरोत्तम मिश्रा को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर चुका है और साथ ही उनकी विधानसभा की सदस्यता भी खारिज कर दी है।

चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले में मिश्रा को स्टे देने की बजाय आयोग को अपना उत्तर देने के लिये 5 जुलाई तक का समय दिया है।

गौरतलब है कि यह मामला नरोत्तम मिश्रा के 2008 के विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी नरोत्तम मिश्रा वर्ष 2008 में दतिया से चुनाव लड़े थे। तब उनके खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़े राजेन्द्र भारती ने चुनाव आयोग से सबूतों के साथ यह शिकायत की थी कि मिश्रा ने मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए पैसे देकर अखबारों में अपने पक्ष में खबरे छपवाई थीं। राजेंद्र भारती ने 13 अप्रैल 2009 में चुनाव आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में राजेंद्र भारती ने नरोत्तम मिश्रा पर वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में अखबारों में पेड न्यूज छपवाने का आरोप लगाया था।  भारती ने नरोत्तम मिश्रा द्वारा पेड न्यूज का हिसाब चुनाव खर्च में नहीं देने पर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग भी रखी थी। उन्होने मिश्रा के खिलाफ धारा 10ए के तहत चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत की थी।

जनवरी 2013 में चुनाव आयोग ने मिश्रा को नोटिस भेजकर खर्च की जानकारी मांगी थी। इस मामले को लेकर पहले भी मिश्रा अदालत गए थे, लेकिन उन्हें वहां से राहत नहीं मिली थी।

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