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NRC लिस्ट में 19 लाख को नहीं मिली जगह, करगिल हीरो और उसके बच्चों का नाम नहीं, लेकिन पत्नी शामिल

असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की अंतिम लिस्ट आज जारी कर दी गई है। एनआरसी की सूची में 3...
NRC लिस्ट में 19 लाख को नहीं मिली जगह, करगिल हीरो और उसके बच्चों का नाम नहीं, लेकिन पत्नी शामिल

असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की अंतिम लिस्ट आज जारी कर दी गई है। एनआरसी की सूची में 3 करोड़ 11लाख 21 हजार 4 लोगों को शामिल किया गया है जबकि सूची से 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को बाहर रखा गया है। एनआरसी के स्‍टेट को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने यह जानकारी दी। 

सूत्रों ने बताया कि मौलाना बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के दक्षिण अभयपुरी से विधायक अनंत कुमार मालो और उनके बेटे का नाम भी एनआरसी की लिस्ट में शामिल नहीं है।

वहीं, फाइनल असम एनआरसी लिस्ट में भारतीय सेना से रिटायर्ड ऑफिसर 52 वर्षीय सनाउल्लाह का नाम भी शामिल नहीं है। फाइनल लिस्ट में सनाउल्लाह की दोनों बेटी और एक बेटे का नाम भी नहीं है। हालांकि सनाउल्लाह की पत्नी का नाम इसमें शामिल है।

इस फाइनल लिस्‍ट के तहत करीब 41 लाख लोगों का भविष्य तय होना था। हालांकि जिनका नाम इस लिस्‍ट में शामिल नहीं है, वे फॉरेन ट्रिब्‍यूनल में अपील कर सकते हैं। असम में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। असम की राजधानी गुवाहाटी समेत राज्य के कई अन्य संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लगा दी गई है।

जब तक अपील ना सुनी जाए, तब तक यथास्थिति बनी रहे: सीपीआई-एम

 

कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कहा कि इस कदम के बाद बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों को इस लिस्ट से निकाल दिया गया है। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि जिन लोगों को लिस्ट से निकाला गया है उनके अधिकार क्या होंगे। जब तक उनकी अपील नहीं सुनी जाती, अधिकारों और सुविधाओं को लेकर यथास्थिति बनी रहनी चाहिए। साथ ही जिन लोगों को विदेशी घोषित किया जाता है उन्हें डिटेंशन कैंप में भेजने की वर्तमान व्यवस्था बंद हो क्योंकि यह मूलभूत मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

सीएम सोनोवाल ने कहा- लोग घबराएं नहीं

आखिरी लिस्ट के प्रकाशन से पहले असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से कहा कि वे घबराएं नहीं। राज्य सरकार अपनी नागरिकता साबित करने में उन लोगों को मदद करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी जो वास्तव में भारतीय हैं। सोनोवाल ने इन लोगों को कानूनी सहायता मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया है।

सीएम सोनोवाल ने यह भी कहा कि शनिवार को प्रकाशित होने वाली एनआरसी की अंतिम लिस्ट से यदि किसी का नाम बाहर रह जाता है, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह विदेशी बन गया है क्योंकि उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) ही इस संबंध में निर्णय ले सकता है।

राज्य की पुलिस ने अफवाहों में नहीं आने की अपील की

राज्य की पुलिस ने लोगों से भ्रम पैदा करने की कोशिश में जुटे तत्वों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों में नहीं आने अपील की है। पुलिस ने कहा कि सरकार ने उन लोगों के लिए समुचित सुरक्षा मानकों की व्यस्था की है जिनका नाम अंतिम एनआरसी में नहीं आया हो। असम में एनआरसी के प्रकाशन के दौरान शांति-व्यवस्था कायम रखने के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

राज्य में लगाई गई धारा 144 

राज्य में सुरक्षा के मद्देनजर विभिन्न हिस्सों में धारा 144 लगाई गई है। एनआरसी को राज्य में मूल लोगों को अवैध बांग्लादेशियों से बचाने के लिए सुरक्षा कवच और असमी पहचान के सबूत के रूप में देखा जा रहा है।

असम पुलिस ने कियाथा ट्विट

असम पुलिस ने गुरुवार को ट्वीट किया था, 'सरकार ने उन लोगों के लिए समुचित सुरक्षा मानक की व्यवस्था की है जिनका नाम यदि अंतिम एनआरसी में नहीं आया। अफवाहों पर ध्यान मत दें, कुछ तत्व समाज में भ्रम पैदा करने की चेष्टा कर रहे हैं। नागरिकों की सुरक्षा हमारी शीर्ष प्राथमिकता है।'

पुलिस बल ने जारी किया 5 सूत्री परामर्श

किसी अप्रिय घटना को टालने के लिए पुलिस बल ने 5 सूत्री परामर्श भी जारी किया है जिसमें कहा गया है कि एनआरसी में नाम नहीं आने का मतलब यह नहीं है कि अमुक व्यक्ति को विदेशी घोषित कर दिया गया। अंतिम एनआरसी से बाहर रह गया हर व्यक्ति विदेशी न्यायाधिकरण में अपील कर सकता है।

अपील करने की समय सीमा 60 से बढ़ाकर 120 की गई

पुलिस ने कहा है, 'विदेशी न्यायाधिकरण में अपील करने की समय सीमा 60 से बढ़ाकर 120 कर दी गई है। सरकार जिला विधिक सेवा प्राधिकारियों के माध्यम से उन जरूरतमंदों को कानूनी सहायता प्रदान करेगी जो एनआरसी से बाहर रह गए हैं तथा सुविधाजनक स्थानों पर और विदेशी न्यायाधिकरण स्थापित किए जा रहे हैं।'

एनआरसी की फाइनल लिस्ट से पहले और बाद के लिए सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम

इस बीच असम सरकार ने एनआरसी के प्रकाशन, उससे पहले और बाद के लिए सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए हैं। मुख्यमंत्री ने 23 अगस्त को यहां सभी जिलों के उपायुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों के साथ एक बैठक में कानून व्यवस्था की समीक्षा की थी।

एनआरसी पर कई पार्टियों ने उठाए सवाल

भाजपा, कांग्रेस और एआईयूडीएफ समेत सभी बड़े राजनीतिक दलों ने शंका जाहिर की है कि कई वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी से छूट सकते हैं जबकि अवैध विदेशियों के नाम शामिल किए जा सकते हैं। इसी तरह का शक मूल याचिकाकर्ता, असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने भी जताया है।

एपीडब्ल्यू की याचिका पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट

एपीडब्ल्यू की याचिका पर शीर्ष अदालत ने अपनी निगरानी में एनआरसी को अपडेट करने का निर्देश दिया था. एनजीओ एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने कहा कि एनआरसी मामले के मूल याचिकाकर्ताओं के तौर पर हम इस प्रक्रिया से खुश नहीं हैं। हमने उच्चतम न्यायालय से 100 प्रतिशत पुन: सत्यापन का अनुरोध किया है लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गई।

अवैध विदेशियों के नाम सूची में हुए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा: एपीडब्ल्यू

उनका कहना है कि उन्हें इस बात का डर है कि कई अवैध विदेशियों के नाम उसमें होंगे जबकि असल भारतीय नागरिकों को छोड़ दिया जाएगा। शर्मा ने कहा, 'अगर एनआरसी के बाद अवैध विदेशियों के नाम सूची में हुए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। एनआरसी राज्य समन्वयक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।'

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