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आज से अलग केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जानें क्या कुछ हुए बदलाव

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के लिए आज यानी 31 अक्टूबर की सुबह कुछ अलग है। बीते 72 सालों से अब तक एक ही...
आज से अलग केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जानें क्या कुछ हुए बदलाव

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के लिए आज यानी 31 अक्टूबर की सुबह कुछ अलग है। बीते 72 सालों से अब तक एक ही राज्य का ही हिस्सा रहे दोनों क्षेत्र अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बुधवार की मध्यरात्रि यानी 12 बजे के बाद से केंद्रशासित प्रदेश बन गए हैं। देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके को सरकार ने इस बदलाव के लिए चुना था।

इसी साल 5 अगस्त को केंद्र की मोदी सरकार ने संसद में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने का फैसला लिया था। इसके अलावा राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के तौर पर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन का ऐलान किया गया था।

जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म होने के साथ ही सूबे में कई अहम बदलाव आज से लागू हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर का अब कोई अलग झंडा और संविधान नहीं होगा। इसी के साथ देश में राज्यों की संख्या जो अब तक 29 थी, वो घटकर 28 हो गई है और केंद्रशासित प्रदेश 7 से बढ़कर 9 हो गए हैं। आइए जानते हैं आज से लागू हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नए बदलावों के बारे में- 

नई व्यवस्था से क्या क्या बदलेगा

-    जम्मू कश्मीर को देश के दूसरे राज्य से अलग करने वाले कानून खत्म हो जाएंगे। राज्य का विशेष दर्जा खत्म।

-    जम्मू-कश्मीर में अब रनबीर पेनल कोड की जगह इंडियन पेनल कोड यानी आईपीसी की धाराएं काम करेंगी।

-    गाड़ियों पर राज्य के लाल झंडे की जगह अब सिर्फ भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराएगा।

-    राज्य के 420 स्थानीय क़ानूनों में से अब सिर्फ 136 कानून ही बचे हैं।

-    राज्यपाल नहीं अब उप-राज्यपाल का पद होगा।

-    विधानसभा सीटों की संख्या अब 89 से बढ़ाकर 114 की जाएगी।

जानें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में और क्या-क्या बदलेगा-

आईएएस, आईपीएस का नया कैडर बनेगा

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में काम कर रहे सभी प्रशासनिक अधिकारी और राज्य कैडर के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस मौजूदा जगहों पर ही काम कर रहे थे और 31 अक्टूबर से भी वे अपने मौजूदा कैडर के तहत काम जारी रखेंगे। ये अधिकारी अपनी सेवाएं मौजूदा तरीके से तब तक जारी रख सकते हैं, जब तक दोनों केंद्र शासित प्रदेश के उप-राज्यपाल नया आदेश जारी नहीं करते।

इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में विधानसभा गठन होने के बाद सरकार अपने प्रशासन का गठन करेगी। बंटवारे के बाद राज्य सरकार के कर्मचारियों का भी बंटवारा होगा। वहां पर अब आईएएस और आईपीएस का नया यूटी कैडर बनेगा, जिससे केंद्रीय गृह मंत्रालय का नए राज्यों में ज्यादा नियंत्रण होगा।

उप-राज्यपाल ही मुखिया होगा

संविधान के अनुच्छेद 239ए के तहत जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। यही अनुच्छेद दिल्ली और पुडुचेरी पर लागू है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी। हालांकि, प्रदेश की पुलिस उप-राज्यपाल के अधीन होगी। उप-राज्यपाल के जरिए कानून-व्यवस्था का मामला केंद्र सरकार के पास होगा। जबकि, जमीन से जुड़े मामले विधानसभा के पास ही होंगे।

वहीं, लद्दाख अनुच्छेद 239 के तहत केंद्र शासित प्रदेश बना है। इसके तहत लद्दाख की न ही कोई विधानसभा होगी और न ही कोई विधान परिषद। यहां उप-राज्यपाल ही मुखिया होगा। उप-राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं।

जम्मू-कश्मीर में बढ़ेंगी विधानसभा सीट

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के मुताबिक, चुनाव आयोग और सरकार मिलकर जम्मू-कश्मीर का नए सिरे से परिसीमन करवाएंगे, जिसके बाद यहां विधानसभा सीटें बढ़ेंगी। अभी जम्मू-कश्मीर में 83 और लद्दाख में 4 विधानसभा सीट थी। 24 सीटें पीओके में भी हैं, जिन पर चुनाव नहीं होते हैं। इस तरह से जम्मू-कश्मीर में कुल विधानसभा सीटों की संख्या अभी तक 107 थी, जो नए परिसीमन के बाद 114 तक पहुंच सकती हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर में 5 लोकसभा और लद्दाख में 1 लोकसभा सीट होगी।

दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का एक ही हाईकोर्ट होगा, जिसके न्यायिक क्षेत्र में ये दोनों केंद्र शासित प्रदेश आएंगे। दिल्ली और पुड्चेरी भी केंद्र शासित प्रदेश हैं और दोनों प्रदेशों में विधानसभा हैं, फिर भी दिल्ली का अपना हाईकोर्ट है जबकि, पुड्डुचेरी के मामले मद्रास हाईकोर्ट के क्षेत्र में आते हैं। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, जज, वकील और स्टाफ का खर्चा और सैलरी दोनों प्रदेशों की जनसंख्या के आधार पर वहन होगी।

केंद्र के 106 कानून लागू हो जाएंगे

आधार एक्ट, शत्रु संपत्ति एक्ट, हिंदू मैरिज एक्ट और आरटीआई एक्ट जैसे केंद्र के 106 कानून दोनों केंद्र शासित में लागू होंगे। इसके अलावा अनुच्छेद-370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे से यहां 153 कानून लागू थे, जो अब खत्म हो जाएंगे। हालांकि, राज्य के 166 कानून अभी भी लागू रहेंगे।

 

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