Advertisement

एमपी का व्यापमं महाघोटाला : 2000 छात्रों का भविष्य चौपट, नेता-अफसर जेल से बाहर

मध्‍य प्रदेश का व्यापमं महाघोटाला देश के शिक्षा जगत में सबसे बड़े घोटालों की जमात में शामिल हो सकता है। मामले की सीबीआई जांच से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भले ही राहत मिल गई हो, लेकिन इस घोटाले ने 2000 से ज्यादा छात्रों का भविष्य चौपट कर दिया है। घोटाले के आरोप में फंसे नेता और अफसर सब धीरे-धीरे जेल से बाहर आ गए, लेकिन इसमें फंसे छात्र अभी तक कैरियर को लेकर सदमे से उबर नहीं पाए हैं। तीन साल पहले घोटाला सामने आया था। छात्र अभी भी सकते में हैं।
एमपी का व्यापमं महाघोटाला : 2000 छात्रों का भविष्य चौपट, नेता-अफसर जेल से बाहर

7 जुलाई 2013 की सुबह 8 बजे पीएमटी की परीक्षा से ठीक पहले एक अनजान व्‍यक्ति की फोन कॉल से इस घोटाले की कहानी शुरू होती है। इस फोन के बाद इंदौर क्राइम ब्रांच हरकत में आई। क्राइम ब्रांच के तत्कालीन एसआई कैलाश पाटीदार राउ बायपास पर एक होटल की निगरानी के लिए पहुंचे। वहां मौजूद दो संदिग्ध लड़कों से सख्ती से हुई पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे डॉ. जगदीश सागर के कहने पर परीक्षा देने आए हैं। फिर हुई डॉ. सागर की गिरफ्तारी। उसके पास से मिली डायरी में 300 से ज्यादा नामों की जांच शुरू हुई, तो घोटाले की परतें खुलती चलीं गईं।

एसटीएफ की जांच में व्यापमं के प्रिंसिपल सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा के कम्प्यूटर में कई बड़े नाम सामने आए। सुधीर शर्मा, संजीव सक्सेना, भरत मिश्रा, तरंग शर्मा, संजीव शिल्पकार सहित कई बड़े किरदार जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे। फिर फरवरी 2014 में पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की गिरफ्तारी के साथ ही इस महाघोटाले के तार सीधे सत्ता के शीर्ष ठिकानों से जुड़ गए।

सीबीआई ने जुलाई 2015 में व्यापमं मामलों की जांच शुरू की, लेकिन किसी भी बड़े नाम का खुलासा आज तक नहीं किया। उल्टे साल भर में एक-एक कर सभी प्रभावशाली आरोपी जमानत पर जेल से बाहर आते रहे। व्यापमं मामले में जेल में बंद छात्र भी जमानत पर बाहर आ चुके हैं,लेकिन उनका कैरियर चौपट हो गया है।

जस्टिस चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय एसआईटी का काम भी सीबीआई जांच शुरू होने के बाद खत्म हो गया। एसआईटी ने इस मामले में हाईकोर्ट से मार्गदर्शन मांगा था, लेकिन हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करने को कहा। जस्टिस भूषण का कहना है कि उनका काम सिर्फ एसटीएफ जांच की मॉनीटरिंग का था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement