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प्रवासी मजदूर संकट: साइकिल खरीदने के लिए जब प्रवासी मजदूर ने बेचा पत्नी का मंगलसूत्र

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने की कवायद के तहत देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन का सबसे बुरा असर उन...
प्रवासी मजदूर संकट: साइकिल खरीदने के लिए जब प्रवासी मजदूर ने बेचा पत्नी का मंगलसूत्र

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने की कवायद के तहत देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन का सबसे बुरा असर उन मजदूरों पर हुआ है, जो अपने घर छोड़कर दूसरे राज्‍यों में काम करने के लिए गए थे। लॉकडाउन के बाद काम नहीं होने के बाद खाने-पीने की दिक्कतों के कारण अब ये प्रवासी मजदूर जल्‍द से जल्‍द अपने घर लौटना चाहते हैं। दरअसल, काम नहीं होने और पैसे की कमी के कारण ज्‍यादातर मजदूरों का कहना है कि अपने घर पर रूखी-सूखी ही सही, लेकिन दो वक्‍त की रोटी तो मिलेगी। कई ऐसे मजदूर भी हैं जो ठेले, रिक्शा, ऑटो और साइकिल के सहारे अपने-अपने घर को लौट गए हैं। वहीं, लॉकडाउन के दौरान बेंगलुरु में फंसे एक महिला समेत तीन प्रवासी मजदूरों ने साइकिल से वापस अपने गांव लौटने का विचार बनाया, लेकिन साइकिल का इंतजाम करने के लिए मजदूर को अपनी पत्नी का मंलसूत्र बेचना पड़ गया। क्योंकि लॉकडाउन के कारण कामधंधा बंद होने के कारण उनके पास घर जाने तक के लिए पैसे नहीं बचे थे।

दरअसल, साइकिल से अपने घर तक की दूरी तय करने वाले इन तीन प्रवासियों को जब ओडिशा के कटक में सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा देखा गया, तो उन्होंने पिकअप वाहन के माध्यम से तीनों को उनके मूल स्थान भद्रक भेजे जाने की व्यवस्था की।

हालांकि, इस बीच पत्रकारों से बात करने पर जेना नाम के एक प्रवासी ने बताया कि उसकी पत्नी ने बेंगलुरु से घर लौटने के लिए साइकिल खरीदने के लिए पैसे की व्यवस्था करने के लिए चंदन की पत्नी को अपना 'मंगलसूत्र' बेचने के लिए कहा, जिसके बाद उसने ऐसा करके साइकिल के खरीदने के लिए पैसे की व्यवस्था की।

तीन प्रवासी मजदूरों में से एक चंदन ने बताया, "घर पहुंचने के लिए जब पैसे की व्यवस्था न हो पाई और वापस लौटने का कोई विकल्प न दिखा तो मेरी पत्नी ने दो साइकिल खरीदने के लिए अपना मंगलसूत्र बेच दिया और हम बेंगलुरु से भद्रक के बसुदेवपुर के लिए रवाना हो गए।"

चंदन के मुताबिक, उन्होंने दो महीने से कोई पैसा नहीं कमाया था और कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा था। अंतिम उपाय के रूप में उनकी पत्नी को 15,000 रुपये के लिए अपना मंगलसूत्र बेचने के लिए मजबूर हो गई। इसके बाद, चंदन ने अपने दोस्त तपन जेना के साथ 5,000 रुपये में दो साइकिलें खरीदीं और कर्नाटक से अपने गृहनगर बासुदेवपुर, जो भद्रक जिले में पड़ता है, के लिए निकल पड़े।

इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीनों के लिए भोजन और पीने के पानी की व्यवस्था की और एक पिक-अप ट्रक की भी व्यवस्था की जो उन्हें उनके मूल स्थान तक ले जाएगा। 

 

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