Advertisement

मथुरा कांड का मास्टर माइंड रामवृक्ष यादव मारा गया

उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में हुए हिंसक बवाल के मुख्य सूत्रधार रामवृक्ष यादव की मौत हो गई है। जवाहरबाग में पुलिस और अतिक्रमणकारियों के बीच हुए खूनी तांडव के बाद रामवृक्ष यादव के लापता होने की खबर थी। शनिवार देर शाम अधिकारियों ने यादव के मारे जाने की पुष्टि कर दी है।
मथुरा कांड का मास्टर माइंड रामवृक्ष यादव मारा गया

उत्तर प्रदेश के डीजीपी जावीद अहमद ने ट्वीट करके रामवृक्ष के मारे जाने की पुष्टि की। रामवृक्ष के सहयोगियों ने उसके शव की शिनाख्त कर ली है। हालांकि पुलिस ने फोटो के आधार पर शव की पहचान करने के बाद आधिकारिक पहचान के लिए गाजीपुर से रामवृक्ष के परिजनों को बुलाया है। पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) एस आर शर्मा ने बतााया कि गुरुवार को अतिक्रमणकारियों द्वारा किए गए गैस सिलेंडर विस्फोटों से लगी आग में जिन 11 लोगों की मृत्यु हुई उनमें यादव भी शामिल था। आगरा के आईजी पुलिस दुर्गा चंद्र मिश्रा ने बताया कि तीन और घायलों की मौत के बाद मृतक संख्या 27 हो गई है। गोलीबारी की घटना के बाद से रामवृक्ष के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही थी। माना जा रहा था कि उस दिन हुई गोलीबारी में वह घायल हो गया था। मथुरा के जवाहर बाग में गुरुवार को पुलिस और रामवृक्ष यादव के साथियों के बीच हुई गोलीबारी में 24 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में मथुरा के सीटी एसपी और एसएचओ शामिल थे।  

 

मथुरा में सरकार और कानून को ताक पर रख मौत के तांडव की साजिश रचने वाला रामवृक्ष उत्तर प्रदेश के ही गाजीपुर जिले का रहने वाला था। वह पहले बाबा जय गुरुदेव का शिष्य था। जय गुरुदेव की दूरदर्शी पार्टी की ओर से उसने 90 के दशक में गाजीपुर से ही लोकसभा और विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था। सत्याग्रह के नाम पर मध्यप्रदेश के सागर से मथुरा आए रामवृक्ष और उसके साथियों ने करीब दो साल से जवाहरबाग में 280 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा था। रामवृक्ष ने आजाद भारत विधिक वैचारिक सत्याग्रही नाम से एक संस्था बना रखी थी। इस संस्था की कई अजीबो-गरीब मांगे थीं। जिनमें भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द करने की मांग की गई थी। इसके अलावा वर्तमान में देश में प्रचलित मुद्रा की जगह आजाद हिंद फौज करेंसी शुरू करने और 1 रुपये में 60 लीटर डीजल और 1 रुपये में 40 लीटर पेट्रोल देने की बी मांग थी। संस्था के लोग अपने आपको सुभाष चन्द्र बोस का अनुयायी बताते थे और इस नाते खुद के लिए सेनानी का दर्जा चाहते थे। संस्था के लोगों की पेंशन के साथ ही जवाहर बाग में स्थायी निवास की भी मांग थी।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad